जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 सप्ताह तीन दिन के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने बाल कल्याण समिति की ओर से पीड़िता की उम्र का पुनः परीक्षण कराने के आदेश को रिकॉर्ड पर लिया है. जस्टिस अवनीश झिंगन ने यह आदेश पीड़ित पक्ष की याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि सामाजिक व मनोवैज्ञानिक दबाव के कारण पीड़िता की जान का जोखिम नहीं उठाया जा सकता. अदालत ने कहा कि पीड़िता को बालिका गृह में रखा जाए और होने वाले नवजात को अस्पताल में सुरक्षित रखा जाए. वहीं अदालत ने पीड़ित पक्ष नवजात को गोद देने के लिए एनओसी देने को कहा है. मामले में नवजात के डीएनए के दो नमूने लेकर पुलिस को सौंपे जाएगे और पीड़िता को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आर्थिक सहायता दी जाएगी.
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याचिका में अधिवक्ता संगीता शर्मा ने बताया कि पीड़िता दुष्कर्म के कारण गर्भवती हो गई है. यदि उसने संतान को जन्म दिया, तो उसकी सामाजिक और मानसिक स्थिति खराब होगी. ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से एएजी विज्ञान शाह ने मेडिकल रिपोर्ट पेश कर गर्भपात से उसकी जान के जोखिम की बात कही. वहीं अदालत के सामने आया कि पीड़िता की एक जांच में उम्र 12 साल आई है. जबकि एक्सरे के माध्यम से की गई दूसरी जांच में उसकी उम्र 19-20 साल बताई गई है. वहीं बाल कल्याण समिति ने कहा कि पीड़िता की उम्र का पुनः परीक्षण कराने का निर्णय लिया है. इस पर अदालत ने समिति के निर्णय को रिकॉर्ड पर लेते हुए गर्भपात की अनुमति देने इनकार कर दिया है.