उदयपुर: राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम शनिवार को आएंगे, लेकिन इस बार सबसे दिलचस्प मुकाबला दक्षिणी राजस्थान की सलूंबर विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में सभी की निगाहें सलूंबर विधानसभा सीट पर टिकी हुई है. इस बार जनता के पिटारे से किसके पक्ष में जनादेश निकलेगा. यह देखने वाली बात होगी.
बाप ने बिगाड़ा दोनों पार्टियों का समीकरण: दरअसल, उदयपुर की सलूंबर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था. यहां भाजपा, कांग्रेस के अलावा बाप ने भी अपना प्रत्याशी उतारा था. इस बार वोटिंग भी कम हुई. राजनीतिक विश्लेषक हेमेंद्र चंडालिया बताते हैं कि मतदान प्रतिशत पहले के मुकाबले सभी जगह काम हुआ है. ऐसे में कम मतदान होने का असर सभी प्रत्याशियों पर पड़ेगा, लेकिन पिछले उपचुनावों में यह भी देखने को मिला है कि जिसकी प्रदेश में सरकार होती है उसकी जीत होती है. अशोक गहलोत सरकार में भी ऐसा ही देखने को मिला था.उन्होंने बताया कि 1980 के बाद से देखे तो छह बार भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली, जबकि चार बार कांग्रेस पार्टी को जीत मिली है.
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कांग्रेस ने बदला था प्रत्याशी: उन्होंने बताया कि सलूंबर विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशी को बदलकर एक संदेश देने का काम किया है. रेशमा मीणा का कांग्रेस के बीच वर्चस्व भी दिखाई देता है. बाप पार्टी ने भी जितेश कटारा को फिर टिकट देकर इस सलूंबर विधानसभा चुनाव को दिलचस्प बनाया. पिछले चुनाव में जितेश 50 हजार से अधिक वोट लेकर गए थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांत मीणा को टिकट दिया, उसे सहानुभूति वोट मिलने की आस है.
कांग्रेस में थी फूट: उन्होंने कहा कि इस पूरे चुनाव में कांग्रेस के टिकट के दरमियान ही आपसी फूट और गुटबाजी दिखाई दी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुवीर मीणा नाराज दिखाई दिए थे. बाद में बड़े नेताओं के समझाने के बाद सब लोग एक जाजम पर दिखाई दिए. हालांकि, इसका कितना असर दिखाई देगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा.