जोधपुर: क्लाइमेंट चैंज यानी जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक असर महिलाओं व बच्चियों पर होता है. खास तौर से पश्चिमी राजस्थान में इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. इस परिवर्तन का व्यापक असर महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और दैनिक गतिविधियों पर सामने आया है. यह अध्ययन गैर सरकारी संस्थान ग्राविस की ओर से जोधपुर, जैसमलेर, बाड़मेर व बीकानेर के जिले के बीस गांवों में पांच साल के लिए किया गया.
ग्राविस के कार्यकारी निदेशक डॉ प्रकाश त्यागी ने मंगलवार को बताया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को महिलाएं स्वीकारने लगी हैं. उन्हें सहयोग व प्रोत्साहन मिले तो वे इन परिवर्तनों से होने वाले दुष्प्रभावों से पार पा सकती हैं. अध्ययन के दौरान यह भी सामने आया कि अकाल के समय हालात और भी दूभर होते हैं, क्योंकि पुरुष काम के लिए बाहर चले जाते हैं. बच्चों के साथ महिलाओं के लिए अकेले रहना आसान नहीं होता है.
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जोधपुर में मंगलवार को इस अध्ययन पर एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. इसमें यूरोपियन यूनियन की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर डेल्फिन ब्रिसोन्यू भी शामिल हुई. डॉ त्यागी ने बताया कि अध्ययन में सामने आया कि पश्चिमी राजस्थान में आज भी वर्षा सीमित होती हैं. सबको पानी मिल गया, यह कहना अभी ठीक नहीं होगा. सरकार के प्रयास जारी है, लेकिन अभी बहुत काम बाकी है. जब तक पानी की समस्या रहेगी, उससे महिलाएं व बच्चियां पश्चिमी राजस्थान में प्रभावित होती रहेगी. उन्होंने बताया कि बीस गांवों में जलवायु परिवर्तन का असर खास तौर से आर्थिक रूप से, शैक्षणिक रूप, स्वास्थ्य की द्ष्टि से सामने आया है. पानी की कमी के चलते महिलाओं को ज्यादातर समय इसके प्रबंधन में चला जाता है. वे कुछ काम नहीं कर पाती है. उनके साथ ही बच्चियां जुट जाती है तो वे पूरी शिक्षा से वंचित रह रही है. अकाल कभी भी हो सकता है जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर सामने आया है.
सुधार के लिए किए ये किए काम: यूरोपियन यूनियन के सहयोग से ग्राविस ने बीस गांवों में पांच साल में सर्वाधिक 821 जल इकाइयों का निर्माण या पुनर्निर्माण करवाया. आठ जगह पर चारागाह विकसित किए, जिससे महिलाओं को दूर नहीं जाना पड़े. 908 महिलाओं को साथ लेकर सामूहिक बीज बैंक स्थापित किए गए. शुष्क क्षेत्र में बागवानी का प्रशिक्षण दिलावाया गया. आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए स्वयं सहायता समूहों का निर्माण कर उनको आर्थिक मदद दिलाई गई. यह कार्यक्रम अन्य गांवों में भी लागू करने की तैयारी हैं.
यह है परिवर्तन: थार में पिछले 50 वर्षों में, औसत तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है, जबकि वर्षा पैटर्न तेजी से अनियमित हो गया है. इसका रेगिस्तान पर भी असर पड़ा है. ये परिवर्तन कृषि और जल सुरक्षा को खतरे में डालते हैं. इससे 27 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं. जिनमें महिलाओं और लड़कियों की एक बड़ी आबादी शामिल है, जो 60-70% घरेलू संसाधनों के प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाती हैं.