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एक बार फिर से श्रद्धा पर भारी पड़ा अंधविश्वास, श्राद्ध की अमावस्या पर 9 गायें चढ़ीं काल की भेंट, गोरक्षकों ने जताया रोष - Shraddha Amavasya

भिवानी जिला प्रशासन के एक्टिव न रहने के चलते इस बार की श्राद्ध की अमावस्या पर भी 9 गायें काल का ग्रास बन गई. दरअसल, गायों को जरूरत से ज्यादा अधपका और तेल का खाना दिए जाने से बने विषाक्त के कारण गायों की मौत हो गई, जिसके विरोध में गुरुवार को गोरक्षकों ने धरना दिया.

SHRADDHA AMAVASYA
भिवानी में 9 गायों की मौत (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 3, 2024, 7:36 PM IST

भिवानी: श्राद्ध की अमावस्या पर गोधन को काल का ग्रास बनने से बचाने के लिए हर वर्ष गोरक्षा दल भिवानी व जिला प्रशासन जोर-शोर से जागरूकता अभियान चलाता है और गाय को अत्यधिक मात्रा में खीर, पुरी, हलवा या रोटी ना दिए जाने की अपील करता है, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों में अंधविश्वास व अज्ञानता इतनी हावी है कि जागरूक करने के बावजूद भी गाय को अत्यधिक मात्रा में अधपका या तला हुआ ग्रास दिया जाता है. जिसके चलते हर वर्ष श्राद्ध की अमावस्या पर दर्जनों गाय काल की भेंट चढ़ जाती है. ऐसा ही वाकया इस बार भी देखने को मिला, जहां जिला प्रशासन के प्रबंधों की कमी व लोगों की अज्ञानता के चलते 9 गाय काल का ग्रास बन गईं. जिसके विरोध में गोरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार के नेतृत्व में टीम ने रोष जताया है.

प्रशासन ने नहीं सुनी बात : गोरक्षकों ने मृत पशुओं को साथ लेकर मुंह पर पट्टी बांधते हुए स्थानीय महम रोड स्थित गोशाला के समक्ष मौन धरना दिया. गोरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार ने कहा कि यदि दो दिन पहले किसी प्राकृतिक आपदा का अलर्ट दिया जाए तो प्रशासन बचाव के उपाय पहले ही कर देता है, लेकिन गोरक्षा दल एक वर्ष पहले से प्रशासन से अपील कर रहा था कि श्राद्ध की अमावस्या पर गोधन को काल का ग्रास बनने से बचाने के लिए व्यापक प्रबंध करें, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन ने प्रबंध के सिर्फ दिखावे किए. जमीनी हकीकत पर कोई कार्य नहीं किया.

इसे भी पढ़ें : गाय को भूलकर ना खिलाएं रोटी, वरना बनेंगे पाप के भागीदार, पुण्य पाना है तो करें ये काम - Feeding Roti to Cow

हर श्राद्ध की अमावस्या पर गाय मरती है : परमार ने कहा कि श्राद्ध की अमावस्या पर हर वर्ष गाय मरती है, और वे हर वर्ष धरना देते है. अधिकारी उन्हें अगले वर्ष ऐसा नहीं होने देने का आश्वासन देकर धरना उठवा देते हैं, जिससे वे थक चुके हैं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन उन्हें इस बारे लिखित में बताए कि धर्म के नाम पर गोहत्या कम बंद होगी, अन्यथा उनका आंदोलन यूं ही चलता रहेगा.

जिसने गाय को रोटी दी, वो गोहत्यारा : उन्होंने कहा कि हर वर्ष श्राद्ध की अमावस्या गाय नहीं, हिंदुओं का जमीर व आत्मा मरती है, वे आज धरने पर बैठकर उसका ही शोक जता रहे है. संजय परमार ने जिला प्रशासन व नागरिकों से सवाल करते हुए कहा कि हर वर्ष श्राद्ध की अमावस्या पर मरने वाली गायों की मौत का जिम्मेदार कौन है. उन्होंने कहा कि श्राद्ध की अमावस्या पर जिस व्यक्ति ने भी रोड पर खड़े गोवंश को गोग्रास दिया है, चाहे वो एक रोटी हो या एक पुरी, वे सभी व्यक्ति गोहत्यारे हैं.

प्रशासन ने आश्वासन देकर धरना कराया समाप्त : धरने पर बैठे गोरक्षकों से बातचीत करने के लिए जिला प्रशासन ने बीडीओ को ड्यूटी मजिस्ट्रेट बनाया और वे अपने साथ नगर परिषद के ईओ को धरना स्थल पर लेकर पहुंचे. काफी मान-मनोवल के बाद गोरक्षकों को उन्होंने 21 सितंबर 2025 को श्राद्ध की अमावस्या पर गाय की मौतों को रोकने के लिए लिखित में आश्वासन दिया. जिसके बाद गोरक्षक गाय को मिट्टी देने को राजी हुए और धरना समाप्त किया.

भिवानी: श्राद्ध की अमावस्या पर गोधन को काल का ग्रास बनने से बचाने के लिए हर वर्ष गोरक्षा दल भिवानी व जिला प्रशासन जोर-शोर से जागरूकता अभियान चलाता है और गाय को अत्यधिक मात्रा में खीर, पुरी, हलवा या रोटी ना दिए जाने की अपील करता है, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों में अंधविश्वास व अज्ञानता इतनी हावी है कि जागरूक करने के बावजूद भी गाय को अत्यधिक मात्रा में अधपका या तला हुआ ग्रास दिया जाता है. जिसके चलते हर वर्ष श्राद्ध की अमावस्या पर दर्जनों गाय काल की भेंट चढ़ जाती है. ऐसा ही वाकया इस बार भी देखने को मिला, जहां जिला प्रशासन के प्रबंधों की कमी व लोगों की अज्ञानता के चलते 9 गाय काल का ग्रास बन गईं. जिसके विरोध में गोरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार के नेतृत्व में टीम ने रोष जताया है.

प्रशासन ने नहीं सुनी बात : गोरक्षकों ने मृत पशुओं को साथ लेकर मुंह पर पट्टी बांधते हुए स्थानीय महम रोड स्थित गोशाला के समक्ष मौन धरना दिया. गोरक्षा दल भिवानी के प्रधान संजय परमार ने कहा कि यदि दो दिन पहले किसी प्राकृतिक आपदा का अलर्ट दिया जाए तो प्रशासन बचाव के उपाय पहले ही कर देता है, लेकिन गोरक्षा दल एक वर्ष पहले से प्रशासन से अपील कर रहा था कि श्राद्ध की अमावस्या पर गोधन को काल का ग्रास बनने से बचाने के लिए व्यापक प्रबंध करें, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन ने प्रबंध के सिर्फ दिखावे किए. जमीनी हकीकत पर कोई कार्य नहीं किया.

इसे भी पढ़ें : गाय को भूलकर ना खिलाएं रोटी, वरना बनेंगे पाप के भागीदार, पुण्य पाना है तो करें ये काम - Feeding Roti to Cow

हर श्राद्ध की अमावस्या पर गाय मरती है : परमार ने कहा कि श्राद्ध की अमावस्या पर हर वर्ष गाय मरती है, और वे हर वर्ष धरना देते है. अधिकारी उन्हें अगले वर्ष ऐसा नहीं होने देने का आश्वासन देकर धरना उठवा देते हैं, जिससे वे थक चुके हैं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन उन्हें इस बारे लिखित में बताए कि धर्म के नाम पर गोहत्या कम बंद होगी, अन्यथा उनका आंदोलन यूं ही चलता रहेगा.

जिसने गाय को रोटी दी, वो गोहत्यारा : उन्होंने कहा कि हर वर्ष श्राद्ध की अमावस्या गाय नहीं, हिंदुओं का जमीर व आत्मा मरती है, वे आज धरने पर बैठकर उसका ही शोक जता रहे है. संजय परमार ने जिला प्रशासन व नागरिकों से सवाल करते हुए कहा कि हर वर्ष श्राद्ध की अमावस्या पर मरने वाली गायों की मौत का जिम्मेदार कौन है. उन्होंने कहा कि श्राद्ध की अमावस्या पर जिस व्यक्ति ने भी रोड पर खड़े गोवंश को गोग्रास दिया है, चाहे वो एक रोटी हो या एक पुरी, वे सभी व्यक्ति गोहत्यारे हैं.

प्रशासन ने आश्वासन देकर धरना कराया समाप्त : धरने पर बैठे गोरक्षकों से बातचीत करने के लिए जिला प्रशासन ने बीडीओ को ड्यूटी मजिस्ट्रेट बनाया और वे अपने साथ नगर परिषद के ईओ को धरना स्थल पर लेकर पहुंचे. काफी मान-मनोवल के बाद गोरक्षकों को उन्होंने 21 सितंबर 2025 को श्राद्ध की अमावस्या पर गाय की मौतों को रोकने के लिए लिखित में आश्वासन दिया. जिसके बाद गोरक्षक गाय को मिट्टी देने को राजी हुए और धरना समाप्त किया.

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