भरतपुर: साइबर अपराधियों का आतंक बना हुआ है. पुलिस प्रशासन लोगों को जागरूक करने और अपराधियों की धरपकड़ कर लगाम लगाने का प्रयास कर रहा है फिर भी लोग लगातार ठगी का शिकार हो रहे हैं. आम लोग ही नहीं बल्कि जागरूकता के अभाव में शिक्षित सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी ठगी का शिकार बन रहे हैं. ताज्जुब तो इस बात का है कि ठगी की वारदात करने वाले ये अपराधी 8वीं, 10वीं तक ही शिक्षित हैं, फिर भी उच्च शिक्षित कर्मचारी-अधिकारियों को भी अपने झांसे में ले रहे हैं. बीते तीन साल में जिले के 9 सरकारी कर्मचारी व अधिकारी ठगी का शिकार बन चुके हैं.
तीन साल में 9 कर्मचारी-अधिकारी ठगे: पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि आम लोगों के साथ ही सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी साइबर अपराध का शिकार हो रहे हैं. वर्ष 2022 में 3, 2023 में 4 और 2024 में 2 सरकारी कर्मचारी/अधिकारी ठगे गए. इनमें से 3 पुलिस कर्मचारी व अधिकारी भी शामिल हैं.
इसलिए हो रहे ठगी का शिकार: साइबर अपराध में लिप्त अपराधी ज्यादा शिक्षित नहीं हैं. अधिकतर अपराधी 8वीं या 10वीं तक शिक्षित हैं. जबकि सरकारी कर्मचारी व अधिकारी उच्च शिक्षित होने के बावजूद कम पढ़े-लिखे ठगों के झांसे में आ जाते हैं. इसके पीछे का अहम कारण जागरूकता का अभाव है. शिक्षित होने के बावजूद कर्मचारी अधिकारी जागरूकता व जानकारी के अभाव में इनके झांसे में आ जाते हैं.
ऐसे ऐसे माध्यमों से ठगी: कम शिक्षित साइबर अपराधी उच्च शिक्षित कर्मचारी व अधिकारियों को बैंक कर्मचारी, शेयर मार्केट में मोटा प्रॉफिट कराने के नाम पर ज्यादा ठगते हैं. साथ ही सेक्सटोर्शन के मामले में भी कर्मचारी-अधिकारी झांसे में आ जाते हैं. कई बार तो किसी परिचित या रिश्तेदार के नाम से ये ठग रुपए मांगते हैं और ये लोग ठगे जाते हैं. हाल ही में जिला कलेक्टर के नाम से भी साइबर अपराधियों ने फेक व्हाट्सएप आईडी तैयार कर अन्य अधिकारियों से संपर्क किया. हालांकि गनीमत रही कि कोई ठगा नहीं गया. लेकिन गत वर्ष महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव के नाम से तीन लोगों को ठग लिया.
लोगों को कर रहे जागरूक: एसपी मृदुल कच्छावा ने बताया कि साइबर ठग नए-नए पैंतरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. नई तकनीक और मोबाइल में नए फीचर-ऐप के बारे में जानकारी नहीं होने पर आमजन साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं. पुलिस का प्रयास यही रहता है जिनके साथ ठगी हुई हो, उसका प्रकरण दर्ज कर ठगी का खुलासा किया जाए. पुलिस द्वारा समय-समय पर साइबर ठगी के बारे में विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाकर स्कूली बच्चों, सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों को जागरूक किया जाता है. साइबर थाना सीमित संसाधनों के बावजूद अच्छा काम कर रहा है.