प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने 30 नवंबर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 75825 शिक्षकों की भर्ती के विज्ञापन में से सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई 12091 श्रेणी के बचे अभ्यर्थियों की फिर से काउंसिलिंग के लिए नया विज्ञापन जारी करने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा परिषद ने विशेष अपील पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति एसक्यूएच रिजवी की खंडपीठ ने कई दिन चली बहस पूरी होने के बाद दिया.
राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय और बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से कुष्मांडा शाही ने अपनी बहस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 एवं बाद में इस मामले में अभ्यर्थियों की अवमानना याचिका में 13 दिसंबर 2019 को सरकार द्वारा ट्रेनी टीचरों की सम्पन्न भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का मामला खत्म कर दिया था. ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर एकल पीठ द्वारा फिर से शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग का निर्देश दिया जाना गैरकानूनी है. दूसरी ओर विनय कुमार पांडेय व अन्य अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, एचएन सिंह, आरके ओझा व अनिल तिवारी ने कहा कि एकल पीठ के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है. वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस में कहा कि सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना वाद में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया. इस कारण इस प्रकार का आदेश हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को सही मानते हुए अवमानना केस समाप्त कर दिया.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विनय कुमार पांडेय व कई अन्य और इससे संबद्ध अन्य याचिकाओं पर निर्देश दिया था कि शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने के लिए नया विज्ञापन पांच फरवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में जारी किया जाए और यह विज्ञापन तीन अखबारों में प्रकाशित कराया जाए.
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