लखनऊ : उत्तर प्रदेश के 60 जिलों में लघु उद्योग निगम की तरफ से 6000 छोटे उद्योग लगवाए जाएंगे. इसके लिए युवाओं को 20 लाख रुपये की कीमत पर प्लॉट मिलेंगे. उद्योग लगाने के लिए मात्र तीन प्रतिशत की दर से लोन भी मिलेगा. इससे यूपी में लगभग दो लाख रोजगार सृजित होंगे. अगले डेढ़ साल में यह योजना परवान चढ़ेगी. उत्तर प्रदेश लघु उद्योग विकास निगम के उपाध्यक्ष बने नटवर गोयल ने इस संबंध में ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी.
60 औद्यौगिक कॉलोनियां होंगी विकिसत: नटवर गोयल ने बताया कि इस संबंध में लघु उद्योग विकास मंत्री राकेश सचान के साथ विभागीय बैठक के बाद महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि 17 मंडल मुख्यालयों सहित जिन 60 जिलों में फिलहाल निगम के कार्यालय हैं, वहां 60 कॉलोनियां विकसित की जाएंगी. जो केवल लघु उद्योग पर आधारित होंगी. इन 60 कॉलोनियों में 100-100 भूखंड विकसित किए जाएंगे. इसके अलावा इस पूरी कॉलोनी में सीवरेज, बिजली सप्लाई, जलापूर्ति, सड़क और अन्य सुविधा सरकार की ओर से प्रदान की जाएगी.
एक भूखंड की कीमत 20 लाख रुपये: उपाध्यक्ष ने बताया कि एक औद्योगिक भूखंड की कीमत लगभग 20 लाख रुपये होगी. जिसमें जो युवा बेहतर प्रोजेक्ट लेकर सरकार के सामने प्रस्ताव रखेंगे, उनको यह भूखंड आवंटित किए जाएंगे. भूखंड की खरीद और उद्योग लगाने के लिए 3% सालाना की दर से सरकार विभिन्न बैंकों से बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी दिलाएगी.
एक लघु उद्योग में 30-35 रोजगार : नटवर गोयल ने बताया कि इन कॉलोनियों में कोई भी आवासीय निर्माण नहीं किया जा सकेगा. केवल उद्योग ही लगाए जाएंगे. एक लघु उद्योग में लगभग 30 से 35 लोगों को रोजगार मिलेगा. कुल संख्या लगभग 2 लाख होगी. इसके अतिरिक्त एक लघु उद्योग परोक्ष रूप से भी 10 रोजगार और लाता है. जिसमें सप्लायर, डिस्ट्रीब्यूटर, मार्केटिंग करने वाले और अन्य लोग शामिल होते हैं. ऐसे में रोजगार की संख्या लगभग 3 लाख हो जाएगी.
साल 2026 तक जमीन पर उतरेगी योजना : उन्होंने बताया कि इस संबंध में अगले दो महीने में जमीन पर कार्यवाही शुरू हो जाएगी. प्रत्येक जिले में शहर से थोड़ी दूरी पर जहां सस्ती भूमि उपलब्ध होगी, सरकार भूमि मिलते ही कॉलोनी को विकसित करके रोजगार बढ़ाएगी. साल 2026 के अंत तक योजनाएं जमीन पर उतर आएंगी. बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि लोगों को न केवल रोजगार दिया जाए बल्कि उन्हें इस लायक बनाया जाए कि वह दूसरों को भी रोजगार दे सकें. इसी दिशा में लघु उद्योग निगम की यह व्यवस्था काम आएगी. अभी तक बड़े-बड़े उद्योगों के लिए टाउनशिप बनती थी, मगर पहली बार छोटे उद्योगों के लिए भी अलग से कॉलिनियां विकसित की जाएंगी.