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सांड के हमले में अब तक 6 की मौत, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बोले- नंदी बैल की संख्या ज्यादा, सचेत रहना जरूरी - बरेली सांड हमला मौत

बरेली आए दिन सांडों के हमले ( Bareilly bull attack cvo statemen) की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इन सबके बावजूद संबंधित विभाग कोई कारगर कदम नहीं उठा पा रहा है.

बरेली में आए दिन सांड के हमले में लोगों की जान जा रही है.
बरेली में आए दिन सांड के हमले में लोगों की जान जा रही है.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2024, 12:40 PM IST

बरेली में आए दिन सांड के हमले में लोगों की जान जा रही है.

बरेली : जिले में खूंखार सांड आए दिन लोगों की जान ले रहे हैं. ऐसे मामलों में ठोस कार्रवाई के बजाय मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी लोगों को सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस रणनीति बनाने की बात कही है. जिले में एक महीने में ही सांड के हमले में छह लोगों की जान जा चुकी है.

अलग-अलग थाना क्षेत्रों में सांडों ने छह लोगों को पटक-पटक कर मार डाला था. 65 वर्षीय करुणा शंकर सुबह के समय टहलने निकले थे. इस दौरान सांड ने हमला कर उन्हें मार डाला था. इसी तरह अन्य भी घटनाएं हुईं हैं. कई घटनाओं के तो सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे.

सांडों के आतंक पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघ श्याम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नंदी बैल सड़कों पर घूम रहे हैं. बरेली में नंदी बैलों की संख्या काफी ज्यादा है. पहले नंदी बैलों का बधियाकरण करके और उनकी नाथ डाल करके खेती में उनका इस्तेमाल करते थे.

अब खेती में इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लोग अपने बछड़े को 6 महीने के अंदर ही लावारिस छोड़ देते हैं. सांडों की बढ़ती संख्या के कारण हमले की घटनाएं हो रही हैं. हम प्रयास कर रहे हैं की नंदी बैल को पकड़कर गौशालाओं में छोड़ जाए. इसे लेकर रणनीति बनाई जा रही है. नंदी बैल को भी पकड़ करके गौशालाओं में छोड़ने के लिए ग्राम स्तर पर भी एक टीम बनाई गई है.

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि हम गाड़ी चलाते हैं, ट्रैफिक में जाते हैं तो वीआईपी गाड़ी से चार-पांच की मौत हो जाती है तो हम किसको जिम्मेदार ठहराएं. पीडब्ल्यूडी को या परिवहन निगम को जिम्मेदार ठहराए, या गाड़ी मालिक को दोष दें. ऐसा ही सांडों के हमले में भी है. अगर कोई जागरूक नहीं है सांड कहीं खड़े हैं, उनसे कोई टकरा गया तो वे खतरनाक साबित हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें : BHU में फिर तोड़फोड़-हंगामा; हादसे में युवक की मौत पर बवाल, वीसी कार्यालय पर पथराव

बरेली में आए दिन सांड के हमले में लोगों की जान जा रही है.

बरेली : जिले में खूंखार सांड आए दिन लोगों की जान ले रहे हैं. ऐसे मामलों में ठोस कार्रवाई के बजाय मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी लोगों को सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि उन्होंने समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस रणनीति बनाने की बात कही है. जिले में एक महीने में ही सांड के हमले में छह लोगों की जान जा चुकी है.

अलग-अलग थाना क्षेत्रों में सांडों ने छह लोगों को पटक-पटक कर मार डाला था. 65 वर्षीय करुणा शंकर सुबह के समय टहलने निकले थे. इस दौरान सांड ने हमला कर उन्हें मार डाला था. इसी तरह अन्य भी घटनाएं हुईं हैं. कई घटनाओं के तो सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए थे.

सांडों के आतंक पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघ श्याम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नंदी बैल सड़कों पर घूम रहे हैं. बरेली में नंदी बैलों की संख्या काफी ज्यादा है. पहले नंदी बैलों का बधियाकरण करके और उनकी नाथ डाल करके खेती में उनका इस्तेमाल करते थे.

अब खेती में इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लोग अपने बछड़े को 6 महीने के अंदर ही लावारिस छोड़ देते हैं. सांडों की बढ़ती संख्या के कारण हमले की घटनाएं हो रही हैं. हम प्रयास कर रहे हैं की नंदी बैल को पकड़कर गौशालाओं में छोड़ जाए. इसे लेकर रणनीति बनाई जा रही है. नंदी बैल को भी पकड़ करके गौशालाओं में छोड़ने के लिए ग्राम स्तर पर भी एक टीम बनाई गई है.

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि हम गाड़ी चलाते हैं, ट्रैफिक में जाते हैं तो वीआईपी गाड़ी से चार-पांच की मौत हो जाती है तो हम किसको जिम्मेदार ठहराएं. पीडब्ल्यूडी को या परिवहन निगम को जिम्मेदार ठहराए, या गाड़ी मालिक को दोष दें. ऐसा ही सांडों के हमले में भी है. अगर कोई जागरूक नहीं है सांड कहीं खड़े हैं, उनसे कोई टकरा गया तो वे खतरनाक साबित हो जाते हैं.

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