जैसलमेर. डेजर्ट नेशनल पार्क के सुदासरी क्षेत्र में वाईल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के ब्रीडिंग सेन्टर में इस ब्रीडिंग सीजन में अब तक कुल 10 नए चिक गोडावण पैदा हुए हैं. डब्ल्यूआईआई व वन विभाग की संयुक्त टीम ने 6 गोडावण के चिक को रामदेवरा में बने नए ब्रीडिंग सेन्टर में स्थानान्तरित किया है. अब इनको मिलाकर रामदेवरा के ब्रीडिंग सेन्टर में कुल 19 गोडावण हो गए हैं. जबकि सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेन्टर में 21 गोडावण शेष रह गए हैं. दो दिन पूर्व सम्पन्न हुई कार्रवाई में स्थानान्तरित किए गए इन 6 चिकों को जैसलमेर स्थित सुदासरी से 175 किलोमीटर दूर ले जाने के लिए करीब 10 दिन का समय लगा. सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक ट्रिप में विशेष तैयारी के साथ दो चिक गोडावण को ही शिफ्ट किया गया.
इसकी पुष्टि करते हुए जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ डॉ आशीष व्यास ने बताया कि चिक गोडावन को डीएनपी क्षेत्र के सुदासरी इलाके के ब्रीडिंग सेंटर से रामदेवरा स्थित नए कन्जर्वेशन व ब्रीडिंग सेंटर में शिफ्ट किया गया है. इन 6 चिको को तीन बार ट्रिप में ले जाने की कवायद की गई. जिसमें विभाग व डब्ल्यूआईआई की टीम ने सफलता हासिल की है. उन्होंने बताया कि इस मिशन को सफल बनाने के लिये संयुक्त रूप से एक स्पेशल योजना तैयार की गई थी.
मिशन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना को अंजाम देने के लिये एक विशेष प्रकार का देशी जुगाड़ जैसा बॉक्स बनाया गया. जिसकी लंबाई 60 सेन्टीमीटर, चौड़ाई 60 सेन्टीमीटर और उंचाई 42 सेन्टीमीटर थी. इसका उपर का ढक्कन जालीनुमा था व इंटर बाॅक्स की दीवारें में फाॅम लगाया गया. साथ ही उसके अंदर रेत भरी गई थी ताकि गोडावण का चिक अंदर आराम से विचरण कर सके.
गोडावण के चिक को ले जाने के लिए बाकायदा करीब 3-4 दिनों तक सुदासरी क्षेत्र में ही ड्रिल की गई थी. जिसमें सुदासरी की ब्रीडिंग सेन्टर से चिक को बाहर निकालकर बॉक्स में रखा गया था. बॉक्स को एसी इनोवा गाड़ी में रखा गया था और थोड़ी दूर गाड़ी को चलाया गया. ऐसा लगातार 3-4 दिन तक किया गया ताकि गोडावण इस प्रकार के माहौल में ढल सके कि क्योंकि उसका मूवमेन्ट किया जाना था. उन्होंने बताया कि गोडावण को शिफ्ट करने की कवायद जून के प्रथम सप्ताह में शुरू की गई थी. इसमें तीन फेरे आयोजित किए गए. हर फेरे में दो-दो गोड़ावन चिको को ले जाया गया. रामदेवरा ले जाने से पूर्व और पहुंचने के बाद मेडिकल टीम द्वारा उनकी स्वास्थ्य की जांच की गई.
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इतना ही नहीं जब गोडावण को शिफ्ट किया जा रहा था, तब एक मेडिकल टीम व दवाइयां भी उसके साथ थी. इसके अलावा ड्रिल के समय व गोडावण को ले जाते समय हर गोडावण के साथ कीपर था, जो इस प्रक्रिया में हिस्सेदारी निभा रहा था. जिसके बाद आखिरकार वन विभाग व डब्ल्यूआईआई की टीम को इस मिशन को पूरा करने में सफलता प्राप्त हुई. डीएफओ व्यास ने कहा कि कुल मिलाकर इस मिशन को पूरा करने में पूरी तरह से सावधानी बरती गई ताकि गोडावण को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो.