लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सुन्नी और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों की हालत दयनीय हो चुकी है. 40 महीने से वेतन न मिलने के कारण 35 सुन्नी और 14 शिया वक्फ बोर्ड के सरकारी कर्मचारी अपनी आजीविका के लिए अन्य काम का सहारा ले रहे हैं.
वक्फ बोर्ड के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मोहम्मद हारुन ने बताया कि दिन में वह बोर्ड में अपनी नौकरी करते हैं और रात में ई रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालते हैं. वेतन न मिलने के कारण परिवार में आर्थिक तंगी गहरा चुकी है.
1 करोड़ रुपये का आवंटित किया था बजट : फसीहुर रहमान ने बताया कि सरकार को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि इतने लंबे समय तक वेतन न मिलने से कर्मचारी मानसिक तनाव में हैं और कई गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले बजट सत्र में राज्य सरकार ने वक्फ बोर्ड के मेंटेनेंस के लिए 1 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था, जिसमें सुन्नी बोर्ड को 60 लाख और शिया बोर्ड को 40 लाख मिले, लेकिन कर्मचारियों के वेतन के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया. फसीहुर रहमान ने कहा कि पहले राजनाथ सिंह और मायावती ने अपने-अपने शासनकाल में वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों के वेतन के लिए बजट दिया था, लेकिन समाजवादी पार्टी और वर्तमान सरकार ने इसे अनदेखा किया है.
'डिप्रेशन के शिकार हो रहे कर्मचारी' : शिया वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी सैयद हसन राजा ने बताया कि बच्चों की फीस न भर पाने से स्कूल से निकाला जा रहा है. मकान मालिक घर खाली कराने की धमकी दे रहे हैं. इन हालातों में कर्मचारी डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं.
'मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, अब तक कोई जवाब नहीं' : कर्मचारी बाकर जाफरी ने बताया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि राशन खत्म हो चुका है, बच्चों की पढ़ाई और घर का किराया तक देने में असमर्थ हैं.
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी. उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की जानकारी लेकर उचित कदम उठाए जाएंगे.
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