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देवउठनी एकादशी आज, जाग उठे देवता, आज से शुरू होंगे मांगलिक कार्य - देवउठनी एकादशी 2024

आज 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है. देवउठनी एकादशी के दिन के बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है.

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देवउठनी एकादशी 2024 (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 8, 2024, 6:48 PM IST

Updated : Nov 12, 2024, 6:49 AM IST

जयपुर : आज 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है. राजस्थान में उपचुनाव के सीजन के बीच 4 महीने बाद फिर से शादियों का सीजन शुरू होने जा रहा है. 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. चूंकि यह स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है, ऐसे में प्रदेश में करीब 30 हजार शादियां होने का आकलन लगाया गया है. जबकि राजधानी में करीब 2500 शादियां होंगी. इससे पहले घंटे-घड़ियाल बजाकर भगवान को जगाया जाएगा. साथ ही मंदिरों में भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के आयोजन भी होंगे. आज प्रदेश में देवोत्थान एकादशी की धूम रहेगी. देवता के उठने के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे. ब्याह-शादी जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होने पर मंगलवार को फिर से बैंडबाजों और शहनाई की धुन गूंजेगी.

देवउठनी एकादशी को सभी एकादशी में श्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे और एक बार फिर सृष्टि का कार्य भार संभालेंगे. इस दिन तुलसी के विवाह का भी आयोजन किया जाता है. और इसे देव दीपावली, देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. मनोज गुप्ता ने बताया कि 4 महीने पहले 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में चले गए थे. इसके बाद 4 महीने तक किसी तरह के मांगलिक कार्य नहीं हुए और अब 12 नवंबर को भगवान योग निद्रा से जाएंगे और एक बार फिर मांगलिक कार्यों का दौर शुरू होगा. इसी दिन तुलसी विवाह भी होता है और इसे अबूझ सावे के रूप में लोग जानते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. मनोज गुप्ता (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - देवउठनी एकादशी के दिन होता है तुलसी शालिग्राम विवाह, जानिए क्या है इसके पीछे की कथा

उन्होंने बताया कि जिस तरह रात्रि को 12:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक के समय को शयन का समय माना जाता है. उसी तरह देवलोक में भी ये चार घंटे का ही समय होता है, लेकिन वहां के चार घंटे पृथ्वी लोक के चार महीने के बराबर होते हैं. इसी लिए जब देव 4 घंटे की निद्रा के बाद उठते हैं, उसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. उन्होंने बताया कि हम अपने जीवन में कोई भी काम देवताओं के आह्वान के साथ ही करते हैं.

यदि ईश्वरीय ऊर्जा उस कार्य में सम्मिलित नहीं हो रही है तो उसके श्रेष्ठ परिणाम की कल्पना नहीं की जा सकती. इसलिए देव उठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. ये विवाह के लिए एक उत्तम मुहूर्त होता है. मैरिज गार्डन और टेंट एसोसिएशन से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब 30 हजार शादियां होंगी, जबकि जयपुर में ढाई हजार शादियां होंगी.

वहीं, प्रदेश में देवउठनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त पर बड़ी संख्या में बाल विवाह के मामले भी सामने आते हैं. ऐसे में पुलिस प्रशासन बाल विवाह को रोकने के लिए बड़ा अभियान शुरू करेगी. जिसे ऑपरेशन लाडली नाम दिया गया है. इस अभियान के दौरान पुलिस प्रशासन बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न तरीकों से लोगों से समझाइश का प्रयास करेगी. ये अभियान 11 से 16 नवंबर तक 6 दिन चलेगा.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी होती हैं, इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी होती हैं. हर एकादशी का अलग नाम और महत्‍व होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी, (देवोत्थान एकादशी) कहा जाता है. देवउठनी एकादशी को देवोत्थनी या हरि प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन से ही शादी-विवाह,सगाई,मुंडन संस्कार समेत सभी शुभ कार्य शुरू होते हैं.

जयपुर : आज 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है. राजस्थान में उपचुनाव के सीजन के बीच 4 महीने बाद फिर से शादियों का सीजन शुरू होने जा रहा है. 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. चूंकि यह स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है, ऐसे में प्रदेश में करीब 30 हजार शादियां होने का आकलन लगाया गया है. जबकि राजधानी में करीब 2500 शादियां होंगी. इससे पहले घंटे-घड़ियाल बजाकर भगवान को जगाया जाएगा. साथ ही मंदिरों में भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के आयोजन भी होंगे. आज प्रदेश में देवोत्थान एकादशी की धूम रहेगी. देवता के उठने के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे. ब्याह-शादी जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होने पर मंगलवार को फिर से बैंडबाजों और शहनाई की धुन गूंजेगी.

देवउठनी एकादशी को सभी एकादशी में श्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे और एक बार फिर सृष्टि का कार्य भार संभालेंगे. इस दिन तुलसी के विवाह का भी आयोजन किया जाता है. और इसे देव दीपावली, देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. मनोज गुप्ता ने बताया कि 4 महीने पहले 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में चले गए थे. इसके बाद 4 महीने तक किसी तरह के मांगलिक कार्य नहीं हुए और अब 12 नवंबर को भगवान योग निद्रा से जाएंगे और एक बार फिर मांगलिक कार्यों का दौर शुरू होगा. इसी दिन तुलसी विवाह भी होता है और इसे अबूझ सावे के रूप में लोग जानते हैं.

ज्योतिषाचार्य डॉ. मनोज गुप्ता (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - देवउठनी एकादशी के दिन होता है तुलसी शालिग्राम विवाह, जानिए क्या है इसके पीछे की कथा

उन्होंने बताया कि जिस तरह रात्रि को 12:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक के समय को शयन का समय माना जाता है. उसी तरह देवलोक में भी ये चार घंटे का ही समय होता है, लेकिन वहां के चार घंटे पृथ्वी लोक के चार महीने के बराबर होते हैं. इसी लिए जब देव 4 घंटे की निद्रा के बाद उठते हैं, उसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. उन्होंने बताया कि हम अपने जीवन में कोई भी काम देवताओं के आह्वान के साथ ही करते हैं.

यदि ईश्वरीय ऊर्जा उस कार्य में सम्मिलित नहीं हो रही है तो उसके श्रेष्ठ परिणाम की कल्पना नहीं की जा सकती. इसलिए देव उठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. ये विवाह के लिए एक उत्तम मुहूर्त होता है. मैरिज गार्डन और टेंट एसोसिएशन से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब 30 हजार शादियां होंगी, जबकि जयपुर में ढाई हजार शादियां होंगी.

वहीं, प्रदेश में देवउठनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त पर बड़ी संख्या में बाल विवाह के मामले भी सामने आते हैं. ऐसे में पुलिस प्रशासन बाल विवाह को रोकने के लिए बड़ा अभियान शुरू करेगी. जिसे ऑपरेशन लाडली नाम दिया गया है. इस अभियान के दौरान पुलिस प्रशासन बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न तरीकों से लोगों से समझाइश का प्रयास करेगी. ये अभियान 11 से 16 नवंबर तक 6 दिन चलेगा.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी होती हैं, इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी होती हैं. हर एकादशी का अलग नाम और महत्‍व होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी, (देवोत्थान एकादशी) कहा जाता है. देवउठनी एकादशी को देवोत्थनी या हरि प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन से ही शादी-विवाह,सगाई,मुंडन संस्कार समेत सभी शुभ कार्य शुरू होते हैं.

Last Updated : Nov 12, 2024, 6:49 AM IST
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