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पेट दर्द से परेशान युवक की सोनोग्राफी में दिखा 30 सेमी लम्बा कीड़ा, ऐसे मिली राहत - worm in the stomach of youth

कुचामनसिटी के 30 साल के युवक को पेटदर्द की परेशानी थी. युवक की सोनोग्राफी करने पर उसकी छोटी आंत में 30 सेमी लम्बा कीड़ा दिखा. मरीज को एलबेंडाजोल देने पर कीड़ा मल के रास्ते बाहर निकल गया.

worm in the stomach of youth
30 सेमी लम्बे कीड़े को छोटी आंत से निकाला (ETV Bharat Kuchman City)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 28, 2024, 9:07 PM IST

30 सेमी लम्बे कीड़े को छोटी आंत से निकाला (ETV Bharat Kuchaman City)

कुचामनसिटी: कृमि शरीर में किस प्रकार नुकसान पहुंचा सकते है, इसका उदाहरण कुचामनसिटी में देखने को मिला. कुचामनसिटी निवासी 30 वर्षीय युवक पेट दर्द से परेशान था. मेडिसिन से थोड़ी देर फायदा रहने और बार-बार दर्द होने पर डॉक्टर ने सोनोग्राफी का सुझाव दिया. रेडियोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप चौधरी ने हाई रिजॉल्यूशन सोनोग्राफी की, तो पेट में छोटी आंत में लंबा वयस्क कीड़ा (राउंडवर्म) दिखा. उसे तुरन्त एलबेंडाजोल लेने पर अगले ही दिन मल के रास्ते 30 सेंटीमीटर लंबा कीड़ा निकला और दर्द में भी आराम आ गया.

कैसे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं: प्रभावित मानव या पशु के मल से परजीवी के अंडे मृदा में मिलते हैं. छोटे बच्चे अक्सर मिट्टी से सने या गंदे हाथ मुंह में डाल लेते हैं. ऐसा करने से उनके पेट में कीड़े हो सकते हैं. इसके अलावा बगैर सही ढंग से धुली हुई फल तथा सब्जियों का सेवन करने, अधपकी सब्जियों का सेवन करने से भी यह रोग हो सकता है. जैसे ही कृमि के अंडे या कीड़े हमारे पेट में पहुंचते हैं, वे हमारी आंतों से चिपक जाते है और शरीर के पोषण पर जीना शुरू कर देते हैं. गौरतलब है कि मिट्टी जनित हेलमिंथ की रोकथाम के लिए हर साल नेशनल डिवर्मिंग डे पर बच्चों को एलबेंडाजोल दवा दी जाती है और स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत खुले में शौच से मुक्ति और हैंड हाइजीन की जनजागरूकता इसकी रोकथाम में प्रभावी कदम है.

पढ़ें: धौलपुर में जहरीले कीड़े के काटने से किसान की मौत, खेतों पर फसल की रखवाली कर रहा था

रेडियोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप चौधरी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व की लगभग 24 प्रतिशत जनसंख्या मृदा-संचारित कृमि या सॉयल ट्रांसमिटेड हेलमिंथ (एसटीएच) यानि पेट के कीड़े से संक्रमित है. लेकिन पूरे विश्व में एसटीएच के मामलों में से 27 प्रतिशत मामले सिर्फ भारत में ही हैं. मिट्टी से होने वाले हेलमिंथिक इंफेसटेशन में एस्केरियसिस या राउंड वर्म मुख्य हैं. इसका प्रभाव मुख्यत बच्चों में देखा जाता और ये भारत में सभी जगह और खास तौर पर दक्षिण और पूर्वी राज्यों में मिलता है. इनका निदान मल में परजीवी के अंडों की पहचान से होता है. वयस्क परजीवी कभी-कभी हाई रिजॉल्यूशन सोनोग्नाफी में दिख जाते हैं.

पढ़ें: सचिवालय कर्मचारी संघ की केंटीन के खाने में निकला कीड़ा, कर्मचारी की तबियत हुई खराब

राजकीय हॉस्पिटल कुचामन के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ लक्ष्मण मोहनपुरिया ने बताया कि कृमि संक्रमण से बचाव के लिए खुली जगह में शौच नहीं करना चाहिए. खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए और फलों और सब्जियों को खाने से पहले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए. नाखून साफ एवं छोटे रहें, साफ पानी पीएं, खाना ढक कर रखें और नंगे पांव बाहर ना खेलें और जूते पहनकर रखें.

पढ़ें: कोटाः पोषाहार में वितरित होने वाली दाल में निकले कीड़े, लोगों ने किया हंगामा

निजी हॉस्पिटल के डॉ भागीरथ चौधरी ने बताया कि ये कृमि आंत में रहता है और सामान्यतः कोई लक्षण पैदा किए बिना कुपोषण या एनीमिया पैदा कर सकते हैं. ये मानसिक विकास अवरुद्ध कर सकते हैं. साथ ही पेट दर्द, उल्टी कर सकते हैं. कभी-कभार बड़ी संख्या में वयस्क परजीवी होने पर आंत में रूकावट या आंत में छेद कर सकते हैं. आंतों के बाहर जा कर न्यूमोनिया या रूकावट कर सकते हैं.

30 सेमी लम्बे कीड़े को छोटी आंत से निकाला (ETV Bharat Kuchaman City)

कुचामनसिटी: कृमि शरीर में किस प्रकार नुकसान पहुंचा सकते है, इसका उदाहरण कुचामनसिटी में देखने को मिला. कुचामनसिटी निवासी 30 वर्षीय युवक पेट दर्द से परेशान था. मेडिसिन से थोड़ी देर फायदा रहने और बार-बार दर्द होने पर डॉक्टर ने सोनोग्राफी का सुझाव दिया. रेडियोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप चौधरी ने हाई रिजॉल्यूशन सोनोग्राफी की, तो पेट में छोटी आंत में लंबा वयस्क कीड़ा (राउंडवर्म) दिखा. उसे तुरन्त एलबेंडाजोल लेने पर अगले ही दिन मल के रास्ते 30 सेंटीमीटर लंबा कीड़ा निकला और दर्द में भी आराम आ गया.

कैसे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं: प्रभावित मानव या पशु के मल से परजीवी के अंडे मृदा में मिलते हैं. छोटे बच्चे अक्सर मिट्टी से सने या गंदे हाथ मुंह में डाल लेते हैं. ऐसा करने से उनके पेट में कीड़े हो सकते हैं. इसके अलावा बगैर सही ढंग से धुली हुई फल तथा सब्जियों का सेवन करने, अधपकी सब्जियों का सेवन करने से भी यह रोग हो सकता है. जैसे ही कृमि के अंडे या कीड़े हमारे पेट में पहुंचते हैं, वे हमारी आंतों से चिपक जाते है और शरीर के पोषण पर जीना शुरू कर देते हैं. गौरतलब है कि मिट्टी जनित हेलमिंथ की रोकथाम के लिए हर साल नेशनल डिवर्मिंग डे पर बच्चों को एलबेंडाजोल दवा दी जाती है और स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत खुले में शौच से मुक्ति और हैंड हाइजीन की जनजागरूकता इसकी रोकथाम में प्रभावी कदम है.

पढ़ें: धौलपुर में जहरीले कीड़े के काटने से किसान की मौत, खेतों पर फसल की रखवाली कर रहा था

रेडियोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप चौधरी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व की लगभग 24 प्रतिशत जनसंख्या मृदा-संचारित कृमि या सॉयल ट्रांसमिटेड हेलमिंथ (एसटीएच) यानि पेट के कीड़े से संक्रमित है. लेकिन पूरे विश्व में एसटीएच के मामलों में से 27 प्रतिशत मामले सिर्फ भारत में ही हैं. मिट्टी से होने वाले हेलमिंथिक इंफेसटेशन में एस्केरियसिस या राउंड वर्म मुख्य हैं. इसका प्रभाव मुख्यत बच्चों में देखा जाता और ये भारत में सभी जगह और खास तौर पर दक्षिण और पूर्वी राज्यों में मिलता है. इनका निदान मल में परजीवी के अंडों की पहचान से होता है. वयस्क परजीवी कभी-कभी हाई रिजॉल्यूशन सोनोग्नाफी में दिख जाते हैं.

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राजकीय हॉस्पिटल कुचामन के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ लक्ष्मण मोहनपुरिया ने बताया कि कृमि संक्रमण से बचाव के लिए खुली जगह में शौच नहीं करना चाहिए. खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए और फलों और सब्जियों को खाने से पहले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए. नाखून साफ एवं छोटे रहें, साफ पानी पीएं, खाना ढक कर रखें और नंगे पांव बाहर ना खेलें और जूते पहनकर रखें.

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निजी हॉस्पिटल के डॉ भागीरथ चौधरी ने बताया कि ये कृमि आंत में रहता है और सामान्यतः कोई लक्षण पैदा किए बिना कुपोषण या एनीमिया पैदा कर सकते हैं. ये मानसिक विकास अवरुद्ध कर सकते हैं. साथ ही पेट दर्द, उल्टी कर सकते हैं. कभी-कभार बड़ी संख्या में वयस्क परजीवी होने पर आंत में रूकावट या आंत में छेद कर सकते हैं. आंतों के बाहर जा कर न्यूमोनिया या रूकावट कर सकते हैं.

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