अलवर. जिले की सुदूर लक्ष्मणगढ तहसील के गांव जावली में 45 डिग्री तापमान में बरसती गर्मी भी आस्था के आगे बेअसर दिखाई पड़ने लगी है. यहां 21 बीघा भूमि पर 2100 कुंडीय रूद्र महायज्ञ चल रहा है. इसमें हर दिन 2500 पंडितों और 4200 यजमान हवन में वैदिक मंत्रों के साथ आहूतियां दे रहे हैं.
जावली गांव में इन दिनों आस्था की बयार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भीषण गर्मी के बावजूद आसपास के 250 गांवों के 15 से 20 हजार लोग हर रोज यहां धर्ममय कार्यों में जुटे हैं. अवसर है महंत शोभानंद भारती परमहंस मौनी बाबा के सानिध्य में 10 से 21 मई तक आयोजित किए जा रहे 2100 कुंडीय रूद्र महायज्ञ, शिव महापुराण, कृष्ण लीला एवं संत प्रवचन का. महायज्ञ के समापन पर 21 मई को यहां भंडारे का आयोजन होगा, जिसमें लाखों लोगों के शामिल होने का अनुमान है. इससे पूर्व गत 30 अप्रेल को 10 हजार महिलाएं चार किलोमीटर लंबी कलश यात्रा निकाल चुकी हैं.
महाकुंभ सा है नजारा: महायज्ञ में सेवा दे रहे ग्रामीण मुकेश ने बताया कि जावली गांव में सुबह 7 बजे से वैदिक मंत्रों की गूंज सुनाई देने लगती है, जो देर रात तक जारी रहती है. यहां अयोध्या, प्रयागराज एवं अन्य धार्मिक नगरियों से आए 8 से 40 साल तक के शास्त्री व संत यज्ञ में मंत्रोच्चार करते दिखाई पड़ते हैं. प्रतिदिन 15 से 20 हजार लोगों की भोजन प्रसादी तैयार होती है. इसके लिए 250 गांवों से रोज दान आ रहा है. महायज्ञ में अब तक कई हजार क्विंटल अनाज दान में आ चुका है.
हजारों क्विंटल हवन सामग्री: इस 2100 कुंडीय रूद्र महायज्ञ में करीब 6300 किलोग्राम हवन सामग्री, 2100 किलोग्राम देसी घी, 2100 किलोग्राम धूप एवं 700 किलोग्राम तिल का उपयोग होगा. महायज्ञ के लिए पिछले चार महीनों से बडे़ स्तर पर तैयारी की गई थी.
दूर से लगता है झोपड़ियों का गांव: ग्रामीण कुलदीप ने बताया कि दूर से देखने पर यह 2100 महा कुंडीय यज्ञ झोपड़ियां का गांव जैसा लगता है. दूर से यह नजारा काफी अद्भुत दिखाई देता है. लोग दूर-दूर से इसे देखने के लिए भी आ रहे हैं.
महायज्ञ के लिए जावली को ही क्यूं चुना: महंत शोभानाथ भारती परमहंस मौनी बाबा का जन्म दौसा जिले के उलपुरा गांव में हुआ, लेकिन उनका बचपन ननिहाल जावली में बीता. महंत शोभानाथ भारती 6 साल से मौन व्रत धारण किए हुए हैं. वे अपने भक्तों के सवालों का जवाब भी कागज पर लिखकर ही देते हैं. उन्होंने बचपन में ननिहाल में रहते ही संन्यास की राह चुनी. जावली गांव से जुड़ाव के चलते ही मौनी बाबा यहां 2100 कुंडीय रूद्र महायज्ञ का आयोजन करा रहे हैं. हालांकि वे पूर्व में फतेहपुर सीकरी के पास जग्गो का नंगला में अपने गुरू राजा भारती परमहंस के सानिध्य में 1100 कुंडीय महायज्ञ भी करा चुके हैं.