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गर्भवती महिलाओं के लिए खुशखबरी, हरिद्वार में जच्चा-बच्चा के लिए बनेगा 200 बेड का स्वास्थ्य विंग - शगुन योजना उत्तराखंड

200 bed health wing will built in Haridwar गर्भवती महिलाओं के लिए खुशखबरी है, क्योंकि हरिद्वार में जच्चा-बच्चा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 200 बेड का स्वास्थ्य विंग बनाया जाएगा. दरअसल कुछ समय पहले सीएस राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं और जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की थी. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने ये फैसला लिया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 13, 2024, 6:00 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर व्यवस्था के मामले सामने आते रहते हैं. जिसको देखते हुए उत्तराखंड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की कवायद में जुटी हुई है. इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं और मातृ-शिशु के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर जोर दे रहा है. जिसके तहत हरिद्वार जिले में विभाग जच्चा-बच्चा के लिए 200 बेड का स्वास्थ्य विंग बनाने जा रहा है.

सीएस ने जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर जताई थी चिंता: दरअसल, कुछ समय पहले सीएस राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं और जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की थी. जिस पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद अगर जच्चा 48 घंटे तक अस्पताल में रहती है, तो उसे दो हजार रुपये दिए जाएंगे. साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए हीमोग्लोबिन मीटर और स्ट्रिप्स के आदेश जारी किए गए हैं.

खराब एंबुलेंस को बदला जाएगा: हाल ही में सीएस की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान सीएस ने अधिकारियों को आदेश दिए थे कि मातृ-शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल में कोई भी लापरवाही न बरती जाए. साथ ही मातृ-शिशु के लिए तमाम योजनाओं को भी तत्काल लागू किया जाए. सीएस राधा रतूड़ी के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लिया है कि सभी पुरानी और खराब एंबुलेंस को प्राथमिकता के आधार पर बदला जाएगा.

प्रसव के बाद 48 घंटे तक रुकने पर मिलेंगे 2000 रुपये: वहीं, स्वास्थ्य सचिव डाॅ. आर राजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से जिलों को अगले कुछ सालों में 262 नई डोली पालकियां भी दी जाएंगी. गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग शगुन योजना को बढ़ावा दे रहा है. इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद अगले 48 घंटे तक रुकने पर दो हजार रुपये दिये जाने के प्रावधान किया गया है.

गर्भवती महिलाओं पर रखी जाएगी विशेष नजर: स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती महिलाओं पर विशेष नजर रखने के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया भी तैयार की जा रही है. साथ ही जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति की निगरानी पर ध्यान देने के साथ ही वन स्टॉप सेंटर के इस्तेमाल करने को निर्देश दिए गए हैं.

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देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर व्यवस्था के मामले सामने आते रहते हैं. जिसको देखते हुए उत्तराखंड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की कवायद में जुटी हुई है. इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं और मातृ-शिशु के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने पर जोर दे रहा है. जिसके तहत हरिद्वार जिले में विभाग जच्चा-बच्चा के लिए 200 बेड का स्वास्थ्य विंग बनाने जा रहा है.

सीएस ने जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर जताई थी चिंता: दरअसल, कुछ समय पहले सीएस राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं और जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की थी. जिस पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद अगर जच्चा 48 घंटे तक अस्पताल में रहती है, तो उसे दो हजार रुपये दिए जाएंगे. साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए हीमोग्लोबिन मीटर और स्ट्रिप्स के आदेश जारी किए गए हैं.

खराब एंबुलेंस को बदला जाएगा: हाल ही में सीएस की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान सीएस ने अधिकारियों को आदेश दिए थे कि मातृ-शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल में कोई भी लापरवाही न बरती जाए. साथ ही मातृ-शिशु के लिए तमाम योजनाओं को भी तत्काल लागू किया जाए. सीएस राधा रतूड़ी के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लिया है कि सभी पुरानी और खराब एंबुलेंस को प्राथमिकता के आधार पर बदला जाएगा.

प्रसव के बाद 48 घंटे तक रुकने पर मिलेंगे 2000 रुपये: वहीं, स्वास्थ्य सचिव डाॅ. आर राजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से जिलों को अगले कुछ सालों में 262 नई डोली पालकियां भी दी जाएंगी. गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग शगुन योजना को बढ़ावा दे रहा है. इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद अगले 48 घंटे तक रुकने पर दो हजार रुपये दिये जाने के प्रावधान किया गया है.

गर्भवती महिलाओं पर रखी जाएगी विशेष नजर: स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती महिलाओं पर विशेष नजर रखने के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया भी तैयार की जा रही है. साथ ही जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति की निगरानी पर ध्यान देने के साथ ही वन स्टॉप सेंटर के इस्तेमाल करने को निर्देश दिए गए हैं.

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