कोटा : कोविड-19 के दौरान कोटा में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए मेडिकल कॉलेज कोटा के अस्पतालों में एक के बाद एक 24 प्लांट स्थापित किए गए थे. महज 3 सालों के अंतराल में ही हालात ऐसे बन गए हैं कि 20 प्लांट आज बंद की स्थिति में हैं. केवल चार प्लांट से ही ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के चारों अस्पताल जेके लोन, एमबीएस, न्यू हॉस्पिटल और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में सिलेंडर पर निर्भरता बढ़ गई है, जबकि इन अस्पतालों में लगे प्लांट की क्षमता इतनी है कि जिसे 1500 से ज्यादा सिलेंडर रोज भरे जा सकते हैं. इससे उलट अस्पतालों में रोज 400 से 500 सिलेंडर मंगवाए जा रहे हैं.
करोड़ों का खर्च, लेकिन मेंटेनेंस नहीं : अस्पतालों में स्थापित किए गए ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर करोड़ों रुपए का खर्चा हुआ है. पीएम केयर फंड के अलावा राज्य सरकार ने भी पैसा लगाया था. स्थाई रूप से इनका उपयोग किए जाने पर लाखों रुपए महीने की बचत की जा सकती है, लेकिन इनका रूटीन मेंटेनेंस भी नहीं हुआ. इसी के चलते अधिकांश प्लांट बंद हैं. वहीं, कुछ तो गारंटी में ही बंद हो गए, जिनको लगाने वाली कंपनी ने दुरुस्त नहीं किया है.
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जेके लोन अस्पताल की अधीक्षक डॉ. निर्मला शर्मा का कहना है कि हमने इन प्लांट को दुरुस्त करने को लेकर केडीए के अधिकारियों को कई बार लिखा है. व्यक्तिगत रूप से जाकर भी मुलाकात की है. वह जयपुर के स्तर से इन्हें दुरुस्त करने की बात कहते हैं. मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल की तरफ से भी पत्र व्यवहार किया गया है. हमने संभाग आयुक्त को भी इस संबंध में जानकारी दी है.
रोज आ रहे 400 सिलेंडर : मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में पांच प्लांट हैं. इनमें एक लिक्विड ऑक्सीजन का 20 हजार लीटर का प्लांट है. यह प्लांट वर्तमान में काम कर रहा है, जबकि चार प्लांट अलग-अलग क्षमता के हैं, जिनमें कुल क्षमता करीब 2200 लीटर प्रति मिनट है. इनमें से एक ही प्लांट वर्तमान में काम कर रहा है. ऐसे में अस्पताल में सिलेंडर की निर्भरता बढ़ गई है. अस्पताल को हर दिन 250 से 300 के आसपास ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए. 120 के आसपास सिलेंडर वर्तमान में मंगवाए जा रहे हैं, जबकि यह प्लांट चालू होते तो इन्हें मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसी तरह से एमबीएस अस्पताल में वर्तमान में रोज 150 सिलेंडर मंगवाए जा रहे हैं. इसी तरह से जेके लोन अस्पताल में करीब 100 से 125 के बीच सिलेंडर रोज मंगवाए जा रहे हैं.
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एसएसबी में ठीक से स्थापित नहीं हुआ प्लांट : दूसरी तरफ सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) की बात की जाए तो वहां पर 6 प्लांट अलग-अलग कैपेसिटी के हैं. इनकी कुल क्षमता 3500 लीटर प्रति मिनट की है. इनमें से एक ही प्लांट काम कर रहा है, जबकि एक प्लांट ढाई साल से बंद है. वहीं, शेष तीन प्लांट जनवरी मार्च और जुलाई में बंद हुए हैं. एक प्लांट ठेकेदार ने हैंडओवर नहीं किया है, क्योंकि वह ठीक से ऑक्सीजन जेनरेट नहीं कर पा रहा था.
डॉ. निर्मला शर्मा का कहना है कि ऑक्सीजन नेसेसरी है और तुरंत हमें लेनी भी आवश्यक है, इसीलिए सिलेंडर से आपूर्ति जारी रखने के लिए आदेश जारी किए गए हैं. एमबीएस अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट डॉ. धर्मराज मीणा का कहना है कि लिक्विड ऑक्सीजन और ऑक्सीजन जनरेशन के प्लांट भी बंद हैं. ऐसे में सिलेंडर के जरिए सप्लाई ली जा रही है. कुछ प्लांट से भी ले रहे हैं. इनको दुरुस्त करवाने को लेकर लगातार प्रयास भी भी किए जा रहे हैं.
अधिकांश प्लांट नहीं हुए हैंडओवर : आपाधापी में लगाए गए ऑक्सीजन प्लांट वारंटी में ही खराब हो गए. इन्हें दुरुस्त करने के लिए अस्पताल प्रबंधन लगातार कंपनियों से बात कर रहा है. अधिकांश ऑक्सीजन प्लांट कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी (तत्कालीन यूआईटी) ने तैयार करवाए थे. इसको लेकर केडीए और डीआरडीओ को भी लेटर भेजे गए हैं. साथ ही कुछ ऑक्सीजन प्लांट अभी भी हैंडओवर नहीं हुए हैं, उनको हैंडओवर करने के लिए भी लिखा गया है. इन प्लांट को लगाने वाले ठेकेदार अब काम भी आगे नहीं कर रहे हैं. इसी के चलते अस्पताल सिलेंडर पर निर्भर हो गए हैं.