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केदारनाथ में फंसे अजमेर के 13 युवक सुरक्षित लौटे, बोले एनडीआरएफ नहीं होती तो पता नहीं क्या होता - ajmer youth trapped in kedarnath

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 6, 2024, 5:28 PM IST

केदारनाथ धाम की यात्रा पर गए अजमेर के तेरह युवा वहां बादल फटने से चार दिन तक फंस गए थे. एनडीआरएफ की टीम ने उनको वहां से सुरक्षित निकाला. यहां आकर उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ नहीं होती तो वे जिंदा नहीं बच पाते.

ajmer youth trapped in kedarnath
केदारनाथ में फंसे अजमेर के 13 युवक सुरक्षित लौटे (Photo ETV Bharat Ajmer)
केदारनाथ में फंसे अजमेर के 13 युवक सुरक्षित लौटे (Video ETV Bharat Ajmer)

अजमेर: बादल फटने के कारण फंसे केदारनाथ धाम में अजमेर के 13 युवक घर लौट आए हैं. ये लोग वहां चार दिन तक फंसे रहे. इन युवकों को एनडीआरएफ ने रेस्क्यू करके बचाया और हेलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. युवकों ने अजमेर पहुंचकर आप बीती सुनाई और बोले एसडीआरएफ नहीं होती तो ना जाने क्या होता. उनके घर लौटने पर परिजनों ने भी राहत की सांस ली है. इन तेरह युवकों में धीरज, नीरज, जतिन, अनुराग, प्रकाश, ऋतिक, विक्की, शेखर, सौरभ, भरत उदानियां और राहुल भी शामिल है. इनके घर लौटने पर मंगलवार को उनके रिश्तेदार और परिजनों ने स्वागत किया.

2013 की त्रासदी याद आई: केदारनाथ में फंसे युवकों में शामिल नीरज ने बताया कि अजमेर के सुखाड़िया नगर में रहने वाले 13 दोस्त 30 जुलाई को केदारनाथ गए थे. 31 जुलाई को केदारनाथ मार्ग पर चल रहे थे. इस दौरान बारिश शुरू हो गई. बारिश सामान्य ही थी. लेकिन कुछ देर बाद ही पानी का बहाव शुरू हो गया. बहाव इतना तेज था कि केदारनाथ में 2013 की त्रसादी का मंजर आंखों के सामने नजर आने लगा. पानी उनकी कमर के ऊपर से जाने लगा था. बड़ी मुश्किल से उन्हें एक सुरक्षित जगह मिली. रात 9:30 बजे बारिश रुकी. तब हमें सरकारी स्तर पर रुकवा दिया गया. अगले दिन सुबह मंदिर में दर्शन किए. इसके बाद जब वापस लौटने का मानस बना रहे थे तो पता चला कि नीचे मार्ग में बहुत ज्यादा तबाही मच गई है. यात्रा मार्ग में पड़ने वाले सारे ब्रिज टूट गए है.

पढ़ें: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी, सफेद चादर में लिपटा केदारनाथ धाम

चार दिन बाद हुआ रेस्क्यू: नीरज ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम ने हमारी सहायता की. हमें चार दिन तक सरकार की ओर से ठहराया गया और खाने-पीने की व्यवस्था की. वहां लोकल नेटवर्क की सिम से परिजनों से संपर्क हो पाया था. परिजनों को बता दिया गया था कि हम सभी सुरक्षित हैं. इसके बाद एनडीआरफ ने वहां फंसे लोगों के 100-100 के जत्थे बनाए और हमें 13 किलोमीटर नीचे गौरीकुंड तक लाया गया. इसके बाद गौरी कुंड से हेलीकॉप्टर से हमें सिरसी छोड़ा गया. वहां वाहनों के जरिए हम सभी दोस्त ऋषिकेश पहुंचे और वहां अजमेर आ गए.

यह भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा: हजारों लोगों ने गंवाई थी जान, आज भी रोंगटे खड़े कर देती है त्रासदी की यादें

बादल फटा, तब धरती में हुआ कम्पन्न: इस दल में शामिल अनुराग पवन ने बताया कि 10 से 12 किलोमीटर केदारनाथ की ओर चलने पर बारिश शुरू हो गई. हमारे पीछे ही बादल फटा और ऐसा लगा कि धरती में कंपन होने लगा. हम सभी लोग काफी डर गए थे और आगे की ओर भागने लगे. बारिश के कारण पानी का बहाव बहुत तेज था. वहां पर चिकित्सकों की डिस्पेंसरी थी. उन लोगों ने हमारा रेस्क्यू किया और हमें शरण दी. उन्होंने बताया कि पैसे भी लगभग हमारे पास खत्म हो चुके थे.

एनडीआरएफ ना होती तो भयंकर मुश्किल में होते: एनडीआरएफ टीम ने हमारी सहायता की. हमें रहने के लिए जगह दी और हमें खाना भी खिलाया. उन्होंने कहा कि एनडीआरफ वहां नहीं होती तो हम बहुत बड़ी मुश्किल में फंस सकते थे.स्थानीय लोग वहां खाने पीने की चीजों के भी मुंह मांगे दाम मांग रहे थे.पानी की 20 रुपए की बोतल 100 रुपए में दी जा रही थी.

केदारनाथ में फंसे अजमेर के 13 युवक सुरक्षित लौटे (Video ETV Bharat Ajmer)

अजमेर: बादल फटने के कारण फंसे केदारनाथ धाम में अजमेर के 13 युवक घर लौट आए हैं. ये लोग वहां चार दिन तक फंसे रहे. इन युवकों को एनडीआरएफ ने रेस्क्यू करके बचाया और हेलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. युवकों ने अजमेर पहुंचकर आप बीती सुनाई और बोले एसडीआरएफ नहीं होती तो ना जाने क्या होता. उनके घर लौटने पर परिजनों ने भी राहत की सांस ली है. इन तेरह युवकों में धीरज, नीरज, जतिन, अनुराग, प्रकाश, ऋतिक, विक्की, शेखर, सौरभ, भरत उदानियां और राहुल भी शामिल है. इनके घर लौटने पर मंगलवार को उनके रिश्तेदार और परिजनों ने स्वागत किया.

2013 की त्रासदी याद आई: केदारनाथ में फंसे युवकों में शामिल नीरज ने बताया कि अजमेर के सुखाड़िया नगर में रहने वाले 13 दोस्त 30 जुलाई को केदारनाथ गए थे. 31 जुलाई को केदारनाथ मार्ग पर चल रहे थे. इस दौरान बारिश शुरू हो गई. बारिश सामान्य ही थी. लेकिन कुछ देर बाद ही पानी का बहाव शुरू हो गया. बहाव इतना तेज था कि केदारनाथ में 2013 की त्रसादी का मंजर आंखों के सामने नजर आने लगा. पानी उनकी कमर के ऊपर से जाने लगा था. बड़ी मुश्किल से उन्हें एक सुरक्षित जगह मिली. रात 9:30 बजे बारिश रुकी. तब हमें सरकारी स्तर पर रुकवा दिया गया. अगले दिन सुबह मंदिर में दर्शन किए. इसके बाद जब वापस लौटने का मानस बना रहे थे तो पता चला कि नीचे मार्ग में बहुत ज्यादा तबाही मच गई है. यात्रा मार्ग में पड़ने वाले सारे ब्रिज टूट गए है.

पढ़ें: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी, सफेद चादर में लिपटा केदारनाथ धाम

चार दिन बाद हुआ रेस्क्यू: नीरज ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम ने हमारी सहायता की. हमें चार दिन तक सरकार की ओर से ठहराया गया और खाने-पीने की व्यवस्था की. वहां लोकल नेटवर्क की सिम से परिजनों से संपर्क हो पाया था. परिजनों को बता दिया गया था कि हम सभी सुरक्षित हैं. इसके बाद एनडीआरफ ने वहां फंसे लोगों के 100-100 के जत्थे बनाए और हमें 13 किलोमीटर नीचे गौरीकुंड तक लाया गया. इसके बाद गौरी कुंड से हेलीकॉप्टर से हमें सिरसी छोड़ा गया. वहां वाहनों के जरिए हम सभी दोस्त ऋषिकेश पहुंचे और वहां अजमेर आ गए.

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बादल फटा, तब धरती में हुआ कम्पन्न: इस दल में शामिल अनुराग पवन ने बताया कि 10 से 12 किलोमीटर केदारनाथ की ओर चलने पर बारिश शुरू हो गई. हमारे पीछे ही बादल फटा और ऐसा लगा कि धरती में कंपन होने लगा. हम सभी लोग काफी डर गए थे और आगे की ओर भागने लगे. बारिश के कारण पानी का बहाव बहुत तेज था. वहां पर चिकित्सकों की डिस्पेंसरी थी. उन लोगों ने हमारा रेस्क्यू किया और हमें शरण दी. उन्होंने बताया कि पैसे भी लगभग हमारे पास खत्म हो चुके थे.

एनडीआरएफ ना होती तो भयंकर मुश्किल में होते: एनडीआरएफ टीम ने हमारी सहायता की. हमें रहने के लिए जगह दी और हमें खाना भी खिलाया. उन्होंने कहा कि एनडीआरफ वहां नहीं होती तो हम बहुत बड़ी मुश्किल में फंस सकते थे.स्थानीय लोग वहां खाने पीने की चीजों के भी मुंह मांगे दाम मांग रहे थे.पानी की 20 रुपए की बोतल 100 रुपए में दी जा रही थी.

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