हजारीबागः ईसाई धर्म अपना चुके एक दर्जन परिवारों के 100 लोगों को फिर से सनातन धर्म में वापसी करायी गई है. हजारीबाग के इचाक प्रखंड की बरकाखुर्द पंचायत के ममरला गांव के कई लोगों ने सनातन धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था.
हवन कर सनातन धर्म में शामिल कराया
घर वापसी के लिए मंगलवार को विशाल हवन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में विभिन्न जाति और समाज के लोगों के साथ आरएसएस के जिला संघ चालक श्रद्धानंद सिंह भी शामिल हुए. आर्ष कन्या गुरुकुल की बेटियों ने हवन कराकर लोगों की घर वापसी करायी है.
लोगों ने सनातन धर्म में लौटने की जताई थी इच्छा
इस संबंध में स्थानीय अशोक कुमार मेहता ने बताया कि गांव के भोले-भाले ग्रामीणों को दिग्भ्रमित कर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. पिछले दिनों इसे लेकर महापंचायत हुई थी. इस दौरान ईसाई धर्म अपना चुके छह गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने फिर से सनातन धर्म में वापस लौटने की इच्छा जताई थी. इसके तहत आज विशाल कार्यक्रम का आयोजन कर धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को फिर से सनातन धर्म में वापसी करायी गई.
धर्मांतरण का केंद्र बन गया हजारीबागः श्रद्धानंद सिंह
वहीं मौके पर आरएसएस के जिला संघ चालक श्रद्धानंद सिंह ने कहा कि हजारीबाग इन दोनों मतांतरण का केंद्र बिंदु बन गया है. गांव के लोगों को छोटी-छोटी धर्म सभा कर उनके दुख और तकलीफ को दूर करने का प्रलोभन देकर ईसाई बनाया जा रहा है. जब वे ईसाई धर्म कबूल कर लेते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनके साथ कितना बड़ा खेल हुआ है.ऐसे ही 100 से अधिक ग्रामीण आज अपनी इच्छा से फिर से सनातन धर्म में लौट गए हैं.
अंग वस्त्र भेंट कर लोगों को किया गया सम्मानित
वहीं भारी संख्या में लोगों की घर वापसी की खुशी में भंडारा का भी आयोजन किया गया. इस दौरान अंग वस्त्र भेंटकर घर वापसी करने वाले परिवारों को सम्मानित किया गया.इस मौके पर हजारों की तदाद में लोगों की भीड़ जुटी थी.
प्रलोभन देकर ईसाई बनाने का आरोप
ईसाई धर्म छोड़कर फिर से सनातन धर्म अपनाने वाली एक महिला ने बताया कि ईसाई धर्म अपनाने के पहले तरह-तरह का प्रलोभन दिया गया था. जब ईसाई धर्म अपना लिया गया तो परिवार से दूर रहने की सलाह दी जाती थी. कहा जाता था कि पति से बड़ा परमेश्वर है. सुहाग की निशानी तक पहनने से मनाही थी. इसके बाद समझ में आया कि हमारे साथ ठगी हुई है. इस कारण हम सभी फिर से सनातन धर्म में वापस लौट गए हैं.
बहरहाल, बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब धर्म परिवर्तन के बाद लोगों की घर वापसी हुई हो.ऐसे कई आयोजन के माध्यम से पहले भी लोगों को फिर से सनातन धर्म में शामिल किया गया है.
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