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अवनी लेखराः टोक्यो हो या पेरिस 'गोल्ड' पर ही लगा निशाना, इस शूटर की कहानी है दिलचस्प - Rajasthani shooter Avni Lekhara

जयपुर की शूटर अवनी लेखरा ने टोक्यो और पेरिस पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीता है. अवनी के कोच बताते हैं कि उनकी ट्रेनिंग काफी कठिन थी, लेकिन अवनी ने हार नहीं मानी और उसने नेशनल गेम्स में गोल्ड के साथ अपनी सफलता की कहानी लिखनी शुरू कर दी, जो अभी तक जारी है. इस रिपोर्ट में जानिए राजस्थान की पैरा शूटर अवनी लेखरा की कहानी.

Rajasthani shooter Avni Lekhara
अवनी लेखरा की कहानी (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Sep 6, 2024, 5:12 PM IST

जयपुर: जयपुर की शूटर अवनी लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में देश को मेडल जिताया था. एक बार फिर यही कारनामा अवनी ने पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में दोहराया. टोक्यो पैरालंपिक खेलों में अवनी ने एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था, जबकि पेरिस पैरालंपिक खेलों में अवनी ने गोल्ड मेडल जीता है.

Rajasthani shooter Avni Lekhara
अवनी लेखरा की कहानी (ETV Bharat Jaipur)

अवनी के कोच चंद्रशेखर का कहना है कि एक हादसे में अवनी की रीढ़ कि हड्डी में चोट लगी थी, जिसके बाद अवनी व्हील चेयर पर आ गई, लेकिन अपनी इस कमजोरी को अवनी ने अपनी ताकत के रूप में इस्तेमाल किया और शूटिंग खेल से जुड़ गई. अवनी के कोच चंद्रशेखर खुद राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रहे हैं. चन्द्रशेखर ने कोचिंग की शुरुआत तो 1998 में ही कर दी थी लेकिन वे चर्चाओं में तब आए, जब 2016 में राजस्थान खेल परिषद ने कन्सलटेंट कोच के रूप में उन्हें अपने साथ जोड़ा. तब अवनी के पिता प्रवीण लेखरा भी खेल विभाग में ही डिप्टी सैक्रेटरी के पद पर थे. प्रवीण लेखरा के आग्रह पर चन्द्रशेखर की अवनी के साथ कोच के रूप में जो यात्रा शुरू हुई, वो अब तक जारी है.

इसे भी पढ़ें : हादसे में गंवाई कलाई, टोक्यो के बाद अब पेरिस पैरालंपिक में सुंदर ने गाड़ा सफलता का झंडा, जीता मेडल - Athlete Sundar Gurjar Success Story

ऐसे शुरू हुई थी अवनी की ट्रेनिंगः अवनी के कोच चंद्रशेखर ने बताया कि अवनी के साथ कोचिंग की शुरुआत मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज था और मैंने इसे स्वीकार किया. मैंने अवनी और उसके माता-पिता के साथ बैठकर पहले इस बात को समझने की कोशिश की कि किस तरह मैं उसे एक मुकाम तक ले जा सकता हूं. पैरा में किस तरह की तकनीक चाहिए, किस तरह की व्हीलचेयर चाहिए और क्या इक्विपमेंट्स और एसेसरीज की जरूरत होगी, जो सामान्य खिलाड़ी को नहीं होती. साथ ही अवनी की फिजिकल और मेंटल कंडीशन को भी समझा. इस सब में मुझे तीन-चार महीने लगे और जब ओवरऑल चार्ट तैयार हो गया तो हमने ट्रेनिंग स्टार्ट की. कुछ महीने बाद ही पुणे में नेशनल गेम्स थे. अवनी ने इसमें हिस्सा लिया गोल्ड मेडल जीतकर अच्छी शुरुआत की.

अवनी ने मेडल की लगाई झड़ी : अवनी को वर्ष 2021 में खेल रत्न से सम्मानित किया गया और इसके बाद वर्ष 2022 में पद्मश्री सम्मान मिला. कोच चंद्रशेखर ने बताया कि टोक्यो की सफलता को पेरिस तक बरकरार रखना भी बड़ा चैलेंज था, लेकिन अवनी ने 2022 में ही पेरिस की उसी रेंज पर नए वर्ल्ड रिकार्ड के साथ पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया. वह पेरिस के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की सबसे पहली खिलाड़ी रही. अवनी ने वर्ष 2020 टोक्यो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीता था, इसके बाद वर्ष 2022 में फ्रांस में आयोजित हुए पैरा विश्व कप में अवनी ने दो गोल्ड जीते जबकि दक्षिण कोरिया में आयोजित पैरा विश्व कप में एक सिल्वर मेडल जीता. इसके अलावा चीन में आयोजित हुए एशियाई पैरा खेलों में गोल्ड मेडल जीता, वहीं पेरिस पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

जयपुर: जयपुर की शूटर अवनी लेखरा ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में देश को मेडल जिताया था. एक बार फिर यही कारनामा अवनी ने पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में दोहराया. टोक्यो पैरालंपिक खेलों में अवनी ने एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था, जबकि पेरिस पैरालंपिक खेलों में अवनी ने गोल्ड मेडल जीता है.

Rajasthani shooter Avni Lekhara
अवनी लेखरा की कहानी (ETV Bharat Jaipur)

अवनी के कोच चंद्रशेखर का कहना है कि एक हादसे में अवनी की रीढ़ कि हड्डी में चोट लगी थी, जिसके बाद अवनी व्हील चेयर पर आ गई, लेकिन अपनी इस कमजोरी को अवनी ने अपनी ताकत के रूप में इस्तेमाल किया और शूटिंग खेल से जुड़ गई. अवनी के कोच चंद्रशेखर खुद राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रहे हैं. चन्द्रशेखर ने कोचिंग की शुरुआत तो 1998 में ही कर दी थी लेकिन वे चर्चाओं में तब आए, जब 2016 में राजस्थान खेल परिषद ने कन्सलटेंट कोच के रूप में उन्हें अपने साथ जोड़ा. तब अवनी के पिता प्रवीण लेखरा भी खेल विभाग में ही डिप्टी सैक्रेटरी के पद पर थे. प्रवीण लेखरा के आग्रह पर चन्द्रशेखर की अवनी के साथ कोच के रूप में जो यात्रा शुरू हुई, वो अब तक जारी है.

इसे भी पढ़ें : हादसे में गंवाई कलाई, टोक्यो के बाद अब पेरिस पैरालंपिक में सुंदर ने गाड़ा सफलता का झंडा, जीता मेडल - Athlete Sundar Gurjar Success Story

ऐसे शुरू हुई थी अवनी की ट्रेनिंगः अवनी के कोच चंद्रशेखर ने बताया कि अवनी के साथ कोचिंग की शुरुआत मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज था और मैंने इसे स्वीकार किया. मैंने अवनी और उसके माता-पिता के साथ बैठकर पहले इस बात को समझने की कोशिश की कि किस तरह मैं उसे एक मुकाम तक ले जा सकता हूं. पैरा में किस तरह की तकनीक चाहिए, किस तरह की व्हीलचेयर चाहिए और क्या इक्विपमेंट्स और एसेसरीज की जरूरत होगी, जो सामान्य खिलाड़ी को नहीं होती. साथ ही अवनी की फिजिकल और मेंटल कंडीशन को भी समझा. इस सब में मुझे तीन-चार महीने लगे और जब ओवरऑल चार्ट तैयार हो गया तो हमने ट्रेनिंग स्टार्ट की. कुछ महीने बाद ही पुणे में नेशनल गेम्स थे. अवनी ने इसमें हिस्सा लिया गोल्ड मेडल जीतकर अच्छी शुरुआत की.

अवनी ने मेडल की लगाई झड़ी : अवनी को वर्ष 2021 में खेल रत्न से सम्मानित किया गया और इसके बाद वर्ष 2022 में पद्मश्री सम्मान मिला. कोच चंद्रशेखर ने बताया कि टोक्यो की सफलता को पेरिस तक बरकरार रखना भी बड़ा चैलेंज था, लेकिन अवनी ने 2022 में ही पेरिस की उसी रेंज पर नए वर्ल्ड रिकार्ड के साथ पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया. वह पेरिस के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की सबसे पहली खिलाड़ी रही. अवनी ने वर्ष 2020 टोक्यो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीता था, इसके बाद वर्ष 2022 में फ्रांस में आयोजित हुए पैरा विश्व कप में अवनी ने दो गोल्ड जीते जबकि दक्षिण कोरिया में आयोजित पैरा विश्व कप में एक सिल्वर मेडल जीता. इसके अलावा चीन में आयोजित हुए एशियाई पैरा खेलों में गोल्ड मेडल जीता, वहीं पेरिस पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

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