मोरन (असम) : भारत ने अपने एक दिग्गज फुटबॉलर खो दिया है. असम फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान और राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी तोसेन बोराह ने शनिवार रात को दुनिया को अलविदा कह दिया. असम के माराडोना के नाम से मशहूर बोराह का डिब्रूगढ़ के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. असम फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान का 7 सितंबर से हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था.
डिब्रूगढ़ जिले के नहरकटिया में जन्मे इस दिग्गज फुटबॉलर को कम उम्र से ही फुटबॉल के खेल में बहुत रुचि थी। बेहद प्रतिभाशाली तोसेन बोराह ने फुटबॉल के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी आगे बढ़ाया.
तोसेन बोराह का जन्म 14 फरवरी, 1950 को डिब्रूगढ़ जिले के नहरकटिया में हुआ था. नाहरकटिया से अपने शैक्षणिक जीवन की शुरुआत करने वाले तोसेन ने डिब्रूगढ़ के कनोई कॉलेज से 12वीं, कॉटन कॉलेज से स्नातक और गौहाटी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की.
खेल के क्षेत्र में योगदान
बचपन से ही फुटबॉल के खेल के बेहद शौकीन तोसेन बोरा ने स्कूली स्तर से ही फुटबॉल खेला. कॉटन कॉलेज (उस समय) में पढ़ाई के दौरान उन्होंने गौहाटी विश्वविद्यालय की फुटबॉल टीम के कप्तान का पद भी संभाला.
लोकप्रिय फुटबॉल क्लब महाराणा क्लब के लिए खेलने वाले तोसेन बोरा ने पहले प्री-ओलंपिक खेलों में भारत के लिए खेला. उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करके अपना नाम बनाया. तोसेन बोरा ने असम फुटबॉल टीम की कप्तानी की. बोरा ने संतोष ट्रॉफी में 7 बार हिस्सा लेते हुए तीन बार असम की कप्तानी की.
फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में देश और राज्य का नाम रोशन करने वाले तोसेन बोरा ने असम पुलिस, ऑयल, नामरूप फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन फुटबॉल टीम, इलेवन स्टार फुटबॉल टीम जैसी टीमों के कोच के रूप में भी काम किया.
उनके कोचिंग कार्यकाल के दौरान ही असम पुलिस की फुटबॉल टीम राष्ट्रीय स्तर पर चैंपियन बनने में सफल रही थी. तोसेन बोराह ने असम की संतोष ट्रॉफी टीम के चयनकर्ता और कोच के रूप में भी काम किया था.
खिलाड़ी का ऑफ फील्ड करियर
तोसेन बोराह ने एक प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में अपनी सफलता के बाद ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अपना करियर शुरू किया. बाद में 2005 में, बोराह नामरूप स्थित उर्वरक संयंत्र के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए. बोराह सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद भी नहरकटिया के साथ-साथ जिले के विभिन्न हिस्सों में खेल आयोजक के रूप में काम करते रहे.
इस राष्ट्रीय फुटबॉलर का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनकी मृत्यु के समय उनके परिवार में एक बेटी और एक बेटा है. दिग्गज फुटबॉलर को डिब्रूगढ़ के विभिन्न समूहों और खेल आयोजकों ने अंतिम श्रद्धांजलि दी.