नई दिल्ली : इस हफ्ते की शुरुआत में गुवाहाटी में 2026 फीफा विश्व कप क्वालीफायर में अफगानिस्तान के खिलाफ ब्लू टाइगर्स की चौंकाने वाली हार के बाद भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के कोच इगोर स्टिमैक को हटाने की मांग बढ़ रही है, एक पूर्व शीर्ष कोच ने क्रोएशियाई विश्व कप खिलाड़ी को बर्खास्त करने की आवाज उठाई है.
एशियाई खेलों और एएफसी एशिया कप में लगातार खराब प्रदर्शन के बाद स्टिमैक की आलोचना हो रही है, इसके बाद आभा, सऊदी अरब में 158वीं रैंकिंग वाले अफगानिस्तान के खिलाफ गोल रहित ड्रा और 26 मार्च को रिटर्न लेग में गुवाहाटी में 1-2 से हार मिली. 2018-19 में आईएसएल क्लब एटीके के पूर्व तकनीकी निदेशक संजय सेन (63), जो बाद में टीम के सहायक कोच बने, ने स्टिमैक के खिलाफ पूरी तरह से हमला बोलते हुए कहा, 'भारतीय फुटबॉल उनकी मदद से एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाया है.
आईएएनएस के साथ विशेष रूप से बात करते हुए, मोहन बागान को 13 साल बाद 2014-15 आई-लीग खिताब दिलाने वाले सेन ने हाल के मैचों में राष्ट्रीय टीम की हार के लिए क्रोएशियाई कोच को जिम्मेदार ठहराया. सेन ने कहा, 'अगर स्टिमैक की जगह कोई भारतीय कोच होता, तो वह बहुत पहले ही अपनी नौकरी खो देता. यह सब हमारे द्वारा विदेशी कोचों को खुश करने के कारण है.
यह सोचकर कि भारत को एक विदेशी कोच से क्या हासिल हुआ, सेन ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि हमें मिला या नहीं. क्या फुटबॉल का स्तर सुधर गया है? मुझे नहीं पता. मेरी मामूली समझ में, मुझे लगता है कि भारतीय फुटबॉल इन तथाकथित विदेशी कोचों की मदद से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी है, चाहे वह स्टीफन कॉन्सटेंटाइन हों, या इगोर स्टिमैक.
'मुझे यह भी लगता है कि बॉब हॉटन के बाद कोई भी सक्षम विदेशी कोच भारत नहीं आया है. यदि हम अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल को देखें, तो अधिकांश टीमों के पास अपना राष्ट्रीय कोच होता है. जर्मन दिग्गज जुर्गन क्लिंसमैन जैसे कद के कोच के साथ एशिया कप के सेमीफाइनल में दक्षिण कोरिया जॉर्डन से हार गया. जो लोग हमारे फ़ुटबॉल का संचालन कर रहे हैं और दुनिया भर में यात्रा कर रहे हैं, वे भी इसे देख रहे हैं. हालांकि सेन को यकीन नहीं है कि भारतीय कोच के तहत टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया होता, लेकिन उन्हें यकीन है कि उनका प्रदर्शन खराब नहीं होगा.
सेन ने कहा, 'मैं इतना कह सकता हूं कि हम विदेशी कोचों पर अब जितना खर्च कर रहे हैं, उससे कम खर्च करके हमने इससे बुरा प्रदर्शन नहीं किया होता. उन्होंने इस गड़बड़ी के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को भी जिम्मेदार ठहराया क्योंकि वही विदेशी कोचों की भर्ती कर रहे हैं.