CAS के फैसले से विनेश फोगाट को मिली निराशा, उम्मीदों को लगा बड़ा झटका - Vinesh Phogat CAS Verdict - VINESH PHOGAT CAS VERDICT
Vinesh Phogat CAS Hearing Verdict : पेरिस ओलंपिक 2024 में अयोग्य घोषित किए विनेश फोगाट की मेडल की मांग के निर्णय पर सीएएस ने अपना फैसला टाल दिया है. सीएएस ने अब फैसले की सीमा को बढ़ा दिया है. आज विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल का फैसला नहीं हो पाया है. पढ़ें पूरी खबर...
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Published : Aug 13, 2024, 9:36 PM IST
|Updated : Aug 13, 2024, 9:58 PM IST
नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक 2024 के समाप्त होने के बाद भी अभी तक पूरे भारत को एक सिल्वर मेडल का इंतजार है. CAS ने विनेश फोगट की पेरिस ओलंपिक में अयोग्यता की याचिका पर निर्णय की घोषणा करने की समय सीमा 16 अगस्त तक टाल दी है. भारत आज 9:30 बजे CAS के सिल्वर पदक के फैसले का इंतजार कर रहा था, लेकिन सीएएस ने फैसले को टालते हुए पूरे भारत का इंतजार और बढ़ा दिया है.
CAS ने कहा, ओलंपिक खेलों के लिए CAS मध्यस्थता नियमों के अनुच्छेद 18 के अनुप्रयोग द्वारा, CAS तदर्थ प्रभाग के अध्यक्ष ने पैनल को निर्णय देने के लिए समय-सीमा 16 अगस्त 2024 को 18:00 बजे (पेरिस समय) तक बढ़ा दी है. इस फैसले के बाद विनेश फोगाट समेत तमाम भारतीयों को और इंतजार करना होगा.
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100 ग्राम ज्यादा निकला था वजन
बता दें, विनेश फोगाट को उनके फाइनल मुकाबले से पहले 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से डिस्क्वालीफाई कर दिया गया था. इस फैसले के खिलाफ आईओए ने सीएएस में संयुक्त सिल्वर पदक की मांग की थी. उसके बाद सीएएस ने विनेश की सुनवाई की अपील को स्वीकार कर लिया था. सुनवाई पूरी होने के बाद अब यह अंतिम फैसला आया है.
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विनेश से पहले बारबोसु को मिला था न्याय
पेरिस ओलंपिक में CAS से रोमानिया की एक जिम्नास्टिक को कुछ दिन पहले न्याय मिला था. सीएस के फैसले के बाद अमेरिका की जॉर्डन चिल्स से कांस्य पदक लेकर रोमानिया की एना बारबोसु को दिया गया था. क्योंकि सीएएस ने बारबेसु को अंको के वितरण में नाइंसाफी बताई थी. इस फैसले के बाद विनेश को लेकर उम्मीदें और बढ़ गई हैं
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सीएस के फैसले को नहीं मिल सकती चुनौती
बता दें जो भी खेल पंचाट का फैसला होगा वह हर हाल में मान्य होगा. खेल पंचाट न्यायालय (CAS) को अक्सर खेल जगत का "सर्वोच्च न्यायालय" कहा जाता है, आम तौर पर, कोई उच्च न्यायालय नहीं है जहाँ आप CAS के निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकें. CAS के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी माने जाते हैं, और उन्हें किसी अन्य न्यायालय में चुनौती देने के लिए कोई मानक कानूनी उपाय नहीं है. फिलहाल पूरे देश को एक बार फिर 16 अगस्त का इंतजार है.