हैदराबाद: हिंदू शास्त्र के पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह में राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. बता दें, उत्तर प्रदेश के बरसाने में राधा रानी का जन्म हुआ था. इस वजह से यहां राधा अष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार राधा अष्टमी 11 सितंबर यानी आज बुधवार को मनाई जा रही है.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा अष्टमी आती है. यानी कि भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है जो आज है. आज के दिन को बृजवासी राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. राधाष्टमी का पौराणिक महत्व बहुत खास माना गया है. कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होती हैं और आपका घर धन संपदा से भर देती हैं.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कुछ स्थानों पर राधाष्टमी के दिन राधाजी के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. माना जाता है कि राधाष्टमी से लेकर अगले 16 दिन तक कुछ विशेष कार्यों को करने और जप-तप करने से घर में खुशहाली आती है और मां लक्ष्मी का वास होता है. आइए आपको बताते हैं कौन से हैं ये काम, जो करने चाहिए.
अगले 16 दिनों तक करें राधा स्तोत्र का पाठ
उन्होंने बताया कि देवी राधा के स्तोत्र का राधाष्टमी से अगले 16 दिनों तक नियमित पाठ करें. उन्होंने कहा कि अगर राधा स्तोत्र का पाठ न कर पाएं तो राधा सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. डॉ. उमाशंकर मिश्र ने कहा कि माना जाता है कि इस पाठ को करने से आपके ऊपर कान्हाजी के साथ ही लक्ष्मी स्वरूप मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि राधाष्टमी से सुरैया पर्व का आरंभ होता है, जो 16 दिनों तक चलता है. यह पर्व जीवन को सुर में लाने का पर्व है. इसमें 16 दिनों तक देवी लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे धन वैभव की प्राप्ति होती है. इसके साथ इन 16 दिनों के बीच में पड़ने वाले शुक्रवार को मां लक्ष्मी को केसर की खीर का भोग लगाना चाहिए. इससे आपके घर में आनंद की प्राप्ति होती है और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं.
ज्योतिषाचार्य ने जानकारी दी कि राधाष्टमी से अगले 16 दिन तक देवी राधा और भगवान श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति की पूजा करें. देवी राधा को सुहाग सामग्री भेंट करें और राधा कृष्ण नाम का यथसंभव जप करें. हो सके तो इन 16 दिनों में गाय को रोजाना हरा चारा जरूर खिलाएं. इन काम को करने से आपके घर में बरकत आती है और धन की कमी कभी नहीं होती है.
उन्होंने बताया कि सुरैया पर्व को यक्ष और यक्षिणी साधना का भी समय कहा जाता है. भगवान कुबेर को यक्षराज कहा जाता है. यह धन के स्वामी हैं. सुरैया पर्व के दौरान यक्ष राज कुबेर की नियमित पूजा करें. राधाष्टमी के दिन कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र की स्थापना करके नियमित इनकी पूजा करें.
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये॥
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
इस मंत्र का जप करते हुए कुबेर महाराज की पूजा करें.