Mahashivratri 2024। महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस बार भी महाशिवरात्रि की तैयारी शिव भक्तों ने करनी शुरू कर दी है. शिवालयों की साफ सफाई शुरू हो चुकी है. शिवालयों को सजाया जा रहा है. महाशिवरात्रि को भव्य बनाने के लिए तरह-तरह की प्लानिंग शिव भक्त भी कर रहे हैं. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा का विधान है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं, कि महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है और इसका अलग-अलग विधान भी है.
महाशिवरात्रि में करें चार प्रहर की पूजा
वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन व्रत करने भगवान भोलेनाथ का विधि विधान से पूजा पाठ करने दर्शन करने का विधान है, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि जो भी जातक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहता है. उसे चार प्रहर की पूजा जरूर करनी चाहिए. यह चार प्रहर की पूजा रात भर होती है और चार प्रहर में होती है. ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि चार प्रहर की पूजा संध्या कालीन यानी प्रदोष काल से शुरू होकर ब्रह्म मुहूर्त तक की जाती है.
- प्रथम प्रहर की पूजा सायं कालीन 6:00 से लेकर के 9:00 तक होती है. यह प्रथम प्रहर की पूजा कहलाती है.
- दूसरे प्रहर की पूजा रात्रि में 9:00 बजे से 12:00 बजे देर रात तक होती है. यह दूसरे प्रहर की पूजा होती है.
- तीसरे प्रहर की पूजा रात में 12:00 बजे से सुबह तड़के 3:00 तक होती है. यह तीसरे प्रहर की पूजा कहलाती है.
- चौथे प्रहर की पूजा सुबह 3:00 बजे से 6:00 बजे तक होती है. यह चौथे प्रहर की पूजा कहलाती है.
इस तरह से जो भी शिव वक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहता है. महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में चार प्रहर की पूजा अलग-अलग तरीके से करें तो इसका विशेष महत्व है. भगवान की कृपा उस जातक पर बरसती है.
प्रथम प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि के दिन जो चार प्रहर की पूजा की जाती है, वो बहुत विशेष होती है. अलग-अलग प्रहर में अलग-अलग तरीके से पूजा का विधान भी है. जैसे प्रथम प्रहर की पूजा जो सायं कालीन 6:00 बजे से 9:00 बजे के बीच होती है. उसमें शिवजी को स्नान कराएं. दूध से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें, चंदन लगाएं, बेलपत्र चढ़ाएं, फल फूल का भोग लगाएं और फिर भगवान भोलेनाथ की आरती करें तो प्रथम प्रहर की पूजा पूरी होती है.
द्वितीय प्रहर की पूजा
द्वितीय प्रहर की पूजा रात्रि में 9:00 से 12:00 बजे के बीच में होती है. उसमें भगवान भोलेनाथ को स्नान कराएं. दही से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें. द्वितीय प्रहर की पूजा में बंदनवार लगाएं. छोटा सा मंडप भी बनाएं, शिव पार्वती जी का विवाह रचाएं और बढ़िया पकवान बनाएं. जिसका शिव पार्वती जी को भोग लगाएं. तो इसका भी बहुत विशेष महत्व है और इस तरह से द्वितीय प्रहर की पूजा खत्म होती है.
तृतीय प्रहर की पूजा
तृतीय प्रहर की जो पूजा होती है. ये भी बहुत विशेष मानी गई है. मध्य रात्रि 12:00 बजे से शुरू होती है, जो सुबह तड़के 3:00 बजे तक चलती है. तीसरे प्रहर की पूजा में शिव जी को स्नान कराएं, घी से उनका अभिषेक करें, भांग से उन्हें स्नान कराएं, विधिवत विधि विधान से उनका पूजा पाठ करें, बंदनवार के पास बैठें, भगवान भोलेनाथ का भजन कीर्तन करें, ओम नमः शिवाय का जाप करें. इसका भी बहुत पुण्य लाभ मिलता है. इस तरह से तीसरे प्रहर की पूजा खत्म होती है.
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चौथे प्रहर की पूजा
चौथ प्रहर की पूजा की बात करें, तो चौथे प्रहर की पूजा में भगवान भोलेनाथ की पूजा सुबह तड़के 3:00 बजे से ब्रह्म मुहूर्त सुबह 6:00 तक होती है. चतुर्थ प्रहर की पूजा बहुत अहम मानी जाती है. इसमें दूध, दही, गंगाजल, शक्कर से भगवान को स्नान कराएं, शहद से अभिषेक करें, सफेद वस्त्र पहनाएं, फूल, माला, बेलपत्र चढ़ाएं, विधि विधान से पूजन करें, भोग लगाएं, हवन करें, आरती करें इस तरह से चार प्रहर की पूजा संपन्न होती है.