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एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है ? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रमा को अर्घ्य देने का सही समय - Ekdant Sankashti Chaturthi 2024

ज्येष्ठ मास शुरू हो चुका है. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहते है. इस दिन व्रत रखकर गणेश भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने की मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि एकदंत संकष्टी चुतुर्थी व्रत चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना पूरा नहीं होता है. आइए जानते हैं कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है ? पूजा का मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य का समय क्या है?

EKDANT SANKASHTI CHATURTHI 2024
कब है संकष्टी चतुर्थी का व्रत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 4:06 PM IST

Sankashti Chaturthi 2024: आप किसी ऐसे संकट से घिरे हैं, जिसका हल निकालने में आपको परेशानी महसूस हो रही है. अगर आप संतान प्राप्ति और विशेषकर पुत्र की प्राप्ति चाहते हैं. इसके साथ ही संतान की उन्नति और प्रगति के लिए चिंतित हैं तो अपनी हर तरह की मनोकामना पूर्ति और पुत्र प्राप्ति के साथ संतान की उन्नति प्रगति के लिए एकदंत संकष्टी चतुर्थी(Ekdant Sankashti Chaturthi 2024) का व्रत कर सकते हैं. प्रथम पूज्य भगवान गणेश इस विशेष व्रत से प्रसन्न होकर आपके तमाम कष्ट हर लेते हैं और आपकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं.

26 मई रविवार को होगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि "इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 मई रविवार की शाम को 5 बजकर 46 मिनिट पर हो जाएगा. चतुर्थी तिथि 27 मई शाम 4 बजकर 35 मिनिट पर समाप्त हो जाएगी. 26 मई को गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 55 मिनिट पर होगा. इसलिए चंद्रोदय व्यापनी चतुर्थी का व्रत 26 मई रविवार को ही रखा जाएगा. यह व्रत 26 मई को सूर्योदय से शुरू होकर 26 मई के चंद्रोदय रात 9 बजकर 55 मिनिट तक जारी रहेगा."

कैसे करें व्रत

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि "26 मई को सर्वप्रथम सुबह स्नादि करने के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत का संकल्प धारण करें. पूरे दिन व्रत रखें तथा शाम के समय पूजन करने के बाद चंद्रमा का उदय होने पर चंद्रमा को गाय के कच्चे दूध से अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें. चंद्रोदय व्यापनी चतुर्थी में व्रत रखकर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है."

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क्यों किया जाता है व्रत:

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि "सभी संकट और कष्टों का नाश करने, पुत्र प्राप्ति, संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति और प्रगति के साथ मनोकामना पूर्ति के लिए ये व्रत किया जाता है. प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता गणेश आपके व्रत से प्रसन्न होकर हर तरह के संकट हरने और खासकर पुत्र प्राप्ति के साथ संतान की उन्नति का आशीर्वाद देते हैं. ये व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में होता है."

Sankashti Chaturthi 2024: आप किसी ऐसे संकट से घिरे हैं, जिसका हल निकालने में आपको परेशानी महसूस हो रही है. अगर आप संतान प्राप्ति और विशेषकर पुत्र की प्राप्ति चाहते हैं. इसके साथ ही संतान की उन्नति और प्रगति के लिए चिंतित हैं तो अपनी हर तरह की मनोकामना पूर्ति और पुत्र प्राप्ति के साथ संतान की उन्नति प्रगति के लिए एकदंत संकष्टी चतुर्थी(Ekdant Sankashti Chaturthi 2024) का व्रत कर सकते हैं. प्रथम पूज्य भगवान गणेश इस विशेष व्रत से प्रसन्न होकर आपके तमाम कष्ट हर लेते हैं और आपकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं.

26 मई रविवार को होगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि "इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 मई रविवार की शाम को 5 बजकर 46 मिनिट पर हो जाएगा. चतुर्थी तिथि 27 मई शाम 4 बजकर 35 मिनिट पर समाप्त हो जाएगी. 26 मई को गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 55 मिनिट पर होगा. इसलिए चंद्रोदय व्यापनी चतुर्थी का व्रत 26 मई रविवार को ही रखा जाएगा. यह व्रत 26 मई को सूर्योदय से शुरू होकर 26 मई के चंद्रोदय रात 9 बजकर 55 मिनिट तक जारी रहेगा."

कैसे करें व्रत

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि "26 मई को सर्वप्रथम सुबह स्नादि करने के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत का संकल्प धारण करें. पूरे दिन व्रत रखें तथा शाम के समय पूजन करने के बाद चंद्रमा का उदय होने पर चंद्रमा को गाय के कच्चे दूध से अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें. चंद्रोदय व्यापनी चतुर्थी में व्रत रखकर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है."

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क्यों किया जाता है व्रत:

ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री बताते हैं कि "सभी संकट और कष्टों का नाश करने, पुत्र प्राप्ति, संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति और प्रगति के साथ मनोकामना पूर्ति के लिए ये व्रत किया जाता है. प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता गणेश आपके व्रत से प्रसन्न होकर हर तरह के संकट हरने और खासकर पुत्र प्राप्ति के साथ संतान की उन्नति का आशीर्वाद देते हैं. ये व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में होता है."

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