Amalaki Ekadashi 2024। इस बार एकादशी 20 मार्च को है. ये बहुत ही विशेष एकादशी है, जिसे आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का बहुत महत्व भी माना गया है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि 'आमलकी एकादशी में आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. इसके पेड़ के पूजा करने के पीछे भी एक बड़ी कहानी है. इसका भी एक अलग महत्व है. इस एकादशी में अलग-अलग प्रकार के फल और अलग-अलग रंग के पुष्प चढ़ाने का भी विशेष महत्व है.
आमलकी एकादशी कब ?
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की फाल्गुन माह में जो एकादशी पड़ रही है, उसे आमलकी एकादशी कहते हैं. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ये आमलकी एकादशी 20 मार्च को है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी है. रंग भरी ग्यारस के नाम से भी इस दिन को जाना जाता है. आमलकी एकादशी का शास्त्रों में उल्लेख भी है. इसका बहुत ही महत्व बताया गया है. फाल्गुन माह की ये एकादशी आपकी किस्मत भी खोल सकती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि आमलकी एकादशी के लिए पूजा का जो शुभ मुहूर्त है. वह 20 मार्च शाम को इसका शुभ मुहूर्त है. शाम में 7:00 बजे से 9:00 बजे के बीच में जो भी लोग आमलकी एकादशी के दिन व्रत करते हैं, इस बीच में पूजा करें.
आंवले के पेड़ की पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं शास्त्रों में आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा माना जाता है आमलकी एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति आंवले के पेड़ की पूजा करता है. वो सीधे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, क्योंकि ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है. इस विशेष एकादशी के दिन जो भी जातक विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
पूजा में इस बात का रखें ख्याल
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि आमलकी एकादशी के दिन जो भी जातक उपवास रहते हैं. वह व्रत करें व्रत करने के बाद शाम को 7:00 बजे से 9:00 बजे के बीच में जब पूजा करेंगे तो आंवले के पेड़ की पूजा करें, क्योंकि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का वास होता है. जब पूजा करें तो लाल और पीले कलर के पुष्प जरुर चढ़ाएं, क्योंकि लाल फूल माता लक्ष्मी जी को बहुत पसंद है और पीला फूल भगवान विष्णु को बहुत पसंद है. ये दोनों ही फूल चढ़ाने का विशेष महत्व भी है. इसके अलावा जब भगवान को भोग लगाएं तो इस बात का जरूर ख्याल रखें की पांच प्रकार के फल जो भी फल हों. उन्हें भगवान को अर्पित करें, तो भगवान खुश होते हैं, प्रसन्न होते हैं और जातक को मालामाल कर देते हैं, उसकी हर मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.