ETV Bharat / opinion

केट मिडलटन की बीमारी प्रकरण से सार्वजनिक हस्तियों के निजता के अधिकार पर उठ रहे सवाल - Princess Kate Middleton

वेल्स की राजकुमारी केट मिडलटन ने एक वीडियो संदेश जारी करके अपनी बीमारी का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि इनदिनों कैंसर से जूझ रही हैं. तमाम तरह की अटकलों के बीच उन्होंने ये बात सार्वजनिक की है. ऐसे में बड़ा सवाल सार्वजनिक हस्तियों की निजता के अधिकार को लेकर है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार तौफीक राशिद का विश्लेषण.

KATE MIDDLETON
वेल्स की राजकुमारी केट मिडलटन
author img

By Toufiq Rashid

Published : Mar 24, 2024, 9:00 AM IST

Updated : Mar 25, 2024, 9:52 PM IST

नई दिल्ली : कई दिनों तक ब्रिटिश प्रेस में ऐसे लेख छपते रहे जिनमें पूछा गया कि ब्रिटिश सिंहासन के उत्तराधिकारी प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी केट मिडलटन कहां हैं. क्या उनकी अपनी सास दिवंगत राजकुमारी डायना की तरह वर्तमान रानी के साथ अच्छी नहीं बन रही.

हालांकि शुक्रवार को उनके खुलासे के बाद वही प्रेस सहानुभूति दिखा रहा है. सुर्ख़ियों का रंग आक्रामक से सहानुभूतिपूर्ण हो गया है, कुछ तो बैनर के साथ भी जा रहे हैं कि वे युवा राजकुमारी के साथ 'खड़े' हैं. इस सबके बीच कई ये पूछ रहे हैं कि क्या सार्वजनिक हस्तियों को निजता का अधिकार है, कम से कम तब जब वे कैंसर जैसी अप्रत्याशित बीमारी से लड़ रहे हों?

वेल्स की राजकुमारी कैथरीन ने कहा कि उनका 'शुरुआती स्टेज का इलाज' चल रहा है. जो उनके अनुसार कीमोथेरेपी है. उन्होंने कहा कि उनकी बीमारी का पता इस साल जनवरी में 'पेट की बड़ी सर्जरी' के बाद चला. हालांकि ये पता नहीं है कि ये कैसा कैंसर है. अपने वीडियो में केट पूरी तरह से शिष्टता और गरिमा के साथ दिखीं, जो उनके स्टेटस के अनुरूप था. उन्होंने कहा कि घोषणा में देरी हुई क्योंकि उनकी प्राथमिकता उनके तीन बच्चे थे और उन्हें स्थिति के बारे में बताना था.

वहीं, इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद ये तो साफ है कि शाही जोड़े को जीवन में इतने बड़े बदलाव को निजी बनाए रखने का पूरा अधिकार है. यदि वे उसकी स्थिति का खुलासा नहीं करना चाहते थे तो किसी को भी उनसे नाराज नहीं होना चाहिए था.

केट न तो शासक हैं और ना ही राजा की पत्नी, इसलिए उनके स्वास्थ्य पर सार्वजनिक बहस होने की जरूरत नहीं है. हालांकि उन्होंने अपनी बीमारी की प्रकृति का खुलासा नहीं किया है और हमने अस्पताल की ओर से उल्लंघन के संबंध में संभावित कार्रवाई किए जाने की खबरें भी सुनी हैं. इस बीच ऑन्कोलॉजिस्ट इस बात पर विचार-विमर्श करने और अनुमान लगाने में व्यस्त हैं कि उन्होंने जो वीडियो संदेश के जरिए कहा है उसके आधार पर 'संभावित बीमारी' क्या हो सकती है. उन्होंने कहा कि शुरू में सोचा गया था कि कैंसर नहीं है, लेकिन बाद में जांच में पता चला कि कैंसर है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक वरिष्ठ डॉक्टर के हवाले से कहा कि राजकुमारी का इलाज संभवतः एंडोमेट्रियोसिस नामक बीमारी के लिए किया गया था, जिसमें गर्भाशय की परत के समान टिशू गर्भाशय के बाहर विकसित होते हैं. यह ज्यादातर मासिक धर्म के दौरान गंभीर दर्द पैदा कर सकता है और उसकी वजह से गर्भवती होने में कठिनाई आ सकती है. बायोप्सी में टिशू कैंसरयुक्त निकला होगा.

हालांकि ये सिर्फ अटकलें हैं, सर्जरी की वजह कुछ और भी हो सकती है. शाही परिवार के लिए दुनिया का जुनून सदियों पुराना है. मशहूर हस्तियों और सार्वजनिक क्षेत्र के लोगों के जीवन के बारे में अटकलें दुनिया भर में लगती रहती हैं, जो कि जांच का विषय है.

भारत में पिछले महीने ही एक उद्योगपति जोड़े के प्री वेडिंग सेलिब्रेशन में मीडिया दूल्हे के वजन के बारे में चिंतित थी कि क्या वजन कुछ किलो कम हो गया है या बढ़ गया है. यदि कम हुआ है तो कैसे, और यदि बढ़ा है तो क्यों?

सीनियर न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. शिखा शर्मा ने कहा, 'किसी के स्वास्थ्य के बारे में 'अटकलें और कहानियां' मीडिया के लिए मसाला है. मैं समझ सकती हूं अगर हम प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जैसे किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में बात कर रहे हैं, क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है. हमें यह महसूस करना होगा कि हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है. हमें व्यक्ति को कुछ अलग जगह देनी होगी. उसकी बदनामी बंद करनी होगी.'

एक हेल्थ रिपोर्टर के रूप में मुझे तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की एक बड़ी हेल्थ इमरजेंसी को कवर करने की घटना याद है. डॉ. सिंह जनवरी 2009 में पद पर थे जब उन्हें बाईपास सर्जरी से गुजरना पड़ा. यह एक जटिल सर्जरी होती है जिसे बीटिंग हार्ट सर्जरी कहा जाता है.

कुछ ऐसा जिसके बारे में दुनिया को बताने का श्रेय मैं ले सकती हूं. एक रिपोर्टर के रूप में अटकलों के लिए कोई जगह नहीं थी. मैं लगातार पीएम के प्रभारी डॉक्टर के संपर्क में थी और केवल वही लिखती थी जिसकी 100 प्रतिशत पुष्टि होती थी.

हालांकि, मैं किसी भी जुनूनी रिपोर्टर को भी पसंद करती हूं, जिसे ब्रेकिंग न्यूज़ स्टोरीज़ से प्रेरणा मिली हो. ऐसा हुआ भी एक बार जब मैं किसी के निजी जीवन के बारे में जानकारी प्रकाशित करना चाहती थी, जिसे पब्लिक जानने की हकदार नहीं थी.

2011 में एक युवा क्रिकेटर को दुर्लभ प्रकार के फेफड़ों के कैंसर का पता चला था. जब दुनिया मैदान पर उनकी अनुपस्थिति के बारे में अटकलें लगा रही थी, तब मुझे उनकी डायग्नोस्टिक रिपोर्ट देखने का मौका मिला.

यह किसी की व्यक्तिगत रिपोर्ट में सेंध लगाने जैसा था. उसकी जो हेल्थ कंडीशन फाइल में बताई गई थी, मेरे पास उसकी कॉपी थीं. मैंने सोचा कि दुनिया को यह बताना मेरा काम है कि उसके जीवन में क्या चल रहा है. बहुत विचार-विमर्श के बाद, जब परिवार ने गोपनीयता बनाए रखने का अनुरोध किया तो मैं जिस अखबार के लिए काम कर रही थी, उसने यह खबर हटा दी.

कई दिनों तक मैं निराशा को बर्दाश्त नहीं कर सकी, लेकिन वर्षों बाद मुझे लगता है कि अखबार ने बहुत सचेत निर्णय लिया था. अगर स्टोरी छप गई होती तो मैं खुद को माफ नहीं कर पाती.

एक दशक से भी अधिक समय के बाद और जब मेरे कुछ बाल सफेद हो चुके हैं मुझे एहसास हुआ कि यह बताने के लिए मेरी स्टोरी नहीं थी. क्रिकेटर ने महीनों या शायद उससे भी बाद में अपनी कहानी बताई. आज उनके संघर्ष और जीवित रहने की कहानी हजारों लोगों के लिए प्रेरणा है और उन्हें इस पर गर्व है.

मुझे लगता है कि केट को भी अपनी स्थिति सार्वजनिक करने से पहले बीमारी से उबरने का मौका दिया जाना चाहिए था. अपने पति की तथाकथित 'बेवफाई' के बारे में अफवाहों और बदनाम कहानियों ने उन्हें बाहर आने के लिए मजबूर किया होगा.

या शायद उन्होंने उस चीज़ का सामना करने की ताकत जुटा ली थी जिसे वह 'बहुत बड़ा सदमा' कहती थीं और उस सकारात्मकता और आशीर्वाद की तलाश कर रही थीं जो अब दुनिया उन्हें दे रही है. हालांकि मैं वर्तमान राजशाही की प्रशंसक नहीं हूं और मेरा जुनून राजकुमारी डायना पर ही रुकता है, फिर भी मैं केट के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं.

ये भी पढ़ें

कैंसर से जूझ रही प्रिंसेज ऑफ वेल्स केट मिडलटन, ले रहीं कीमोथेरेपी

नई दिल्ली : कई दिनों तक ब्रिटिश प्रेस में ऐसे लेख छपते रहे जिनमें पूछा गया कि ब्रिटिश सिंहासन के उत्तराधिकारी प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी केट मिडलटन कहां हैं. क्या उनकी अपनी सास दिवंगत राजकुमारी डायना की तरह वर्तमान रानी के साथ अच्छी नहीं बन रही.

हालांकि शुक्रवार को उनके खुलासे के बाद वही प्रेस सहानुभूति दिखा रहा है. सुर्ख़ियों का रंग आक्रामक से सहानुभूतिपूर्ण हो गया है, कुछ तो बैनर के साथ भी जा रहे हैं कि वे युवा राजकुमारी के साथ 'खड़े' हैं. इस सबके बीच कई ये पूछ रहे हैं कि क्या सार्वजनिक हस्तियों को निजता का अधिकार है, कम से कम तब जब वे कैंसर जैसी अप्रत्याशित बीमारी से लड़ रहे हों?

वेल्स की राजकुमारी कैथरीन ने कहा कि उनका 'शुरुआती स्टेज का इलाज' चल रहा है. जो उनके अनुसार कीमोथेरेपी है. उन्होंने कहा कि उनकी बीमारी का पता इस साल जनवरी में 'पेट की बड़ी सर्जरी' के बाद चला. हालांकि ये पता नहीं है कि ये कैसा कैंसर है. अपने वीडियो में केट पूरी तरह से शिष्टता और गरिमा के साथ दिखीं, जो उनके स्टेटस के अनुरूप था. उन्होंने कहा कि घोषणा में देरी हुई क्योंकि उनकी प्राथमिकता उनके तीन बच्चे थे और उन्हें स्थिति के बारे में बताना था.

वहीं, इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद ये तो साफ है कि शाही जोड़े को जीवन में इतने बड़े बदलाव को निजी बनाए रखने का पूरा अधिकार है. यदि वे उसकी स्थिति का खुलासा नहीं करना चाहते थे तो किसी को भी उनसे नाराज नहीं होना चाहिए था.

केट न तो शासक हैं और ना ही राजा की पत्नी, इसलिए उनके स्वास्थ्य पर सार्वजनिक बहस होने की जरूरत नहीं है. हालांकि उन्होंने अपनी बीमारी की प्रकृति का खुलासा नहीं किया है और हमने अस्पताल की ओर से उल्लंघन के संबंध में संभावित कार्रवाई किए जाने की खबरें भी सुनी हैं. इस बीच ऑन्कोलॉजिस्ट इस बात पर विचार-विमर्श करने और अनुमान लगाने में व्यस्त हैं कि उन्होंने जो वीडियो संदेश के जरिए कहा है उसके आधार पर 'संभावित बीमारी' क्या हो सकती है. उन्होंने कहा कि शुरू में सोचा गया था कि कैंसर नहीं है, लेकिन बाद में जांच में पता चला कि कैंसर है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक वरिष्ठ डॉक्टर के हवाले से कहा कि राजकुमारी का इलाज संभवतः एंडोमेट्रियोसिस नामक बीमारी के लिए किया गया था, जिसमें गर्भाशय की परत के समान टिशू गर्भाशय के बाहर विकसित होते हैं. यह ज्यादातर मासिक धर्म के दौरान गंभीर दर्द पैदा कर सकता है और उसकी वजह से गर्भवती होने में कठिनाई आ सकती है. बायोप्सी में टिशू कैंसरयुक्त निकला होगा.

हालांकि ये सिर्फ अटकलें हैं, सर्जरी की वजह कुछ और भी हो सकती है. शाही परिवार के लिए दुनिया का जुनून सदियों पुराना है. मशहूर हस्तियों और सार्वजनिक क्षेत्र के लोगों के जीवन के बारे में अटकलें दुनिया भर में लगती रहती हैं, जो कि जांच का विषय है.

भारत में पिछले महीने ही एक उद्योगपति जोड़े के प्री वेडिंग सेलिब्रेशन में मीडिया दूल्हे के वजन के बारे में चिंतित थी कि क्या वजन कुछ किलो कम हो गया है या बढ़ गया है. यदि कम हुआ है तो कैसे, और यदि बढ़ा है तो क्यों?

सीनियर न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. शिखा शर्मा ने कहा, 'किसी के स्वास्थ्य के बारे में 'अटकलें और कहानियां' मीडिया के लिए मसाला है. मैं समझ सकती हूं अगर हम प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जैसे किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में बात कर रहे हैं, क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है. हमें यह महसूस करना होगा कि हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है. हमें व्यक्ति को कुछ अलग जगह देनी होगी. उसकी बदनामी बंद करनी होगी.'

एक हेल्थ रिपोर्टर के रूप में मुझे तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की एक बड़ी हेल्थ इमरजेंसी को कवर करने की घटना याद है. डॉ. सिंह जनवरी 2009 में पद पर थे जब उन्हें बाईपास सर्जरी से गुजरना पड़ा. यह एक जटिल सर्जरी होती है जिसे बीटिंग हार्ट सर्जरी कहा जाता है.

कुछ ऐसा जिसके बारे में दुनिया को बताने का श्रेय मैं ले सकती हूं. एक रिपोर्टर के रूप में अटकलों के लिए कोई जगह नहीं थी. मैं लगातार पीएम के प्रभारी डॉक्टर के संपर्क में थी और केवल वही लिखती थी जिसकी 100 प्रतिशत पुष्टि होती थी.

हालांकि, मैं किसी भी जुनूनी रिपोर्टर को भी पसंद करती हूं, जिसे ब्रेकिंग न्यूज़ स्टोरीज़ से प्रेरणा मिली हो. ऐसा हुआ भी एक बार जब मैं किसी के निजी जीवन के बारे में जानकारी प्रकाशित करना चाहती थी, जिसे पब्लिक जानने की हकदार नहीं थी.

2011 में एक युवा क्रिकेटर को दुर्लभ प्रकार के फेफड़ों के कैंसर का पता चला था. जब दुनिया मैदान पर उनकी अनुपस्थिति के बारे में अटकलें लगा रही थी, तब मुझे उनकी डायग्नोस्टिक रिपोर्ट देखने का मौका मिला.

यह किसी की व्यक्तिगत रिपोर्ट में सेंध लगाने जैसा था. उसकी जो हेल्थ कंडीशन फाइल में बताई गई थी, मेरे पास उसकी कॉपी थीं. मैंने सोचा कि दुनिया को यह बताना मेरा काम है कि उसके जीवन में क्या चल रहा है. बहुत विचार-विमर्श के बाद, जब परिवार ने गोपनीयता बनाए रखने का अनुरोध किया तो मैं जिस अखबार के लिए काम कर रही थी, उसने यह खबर हटा दी.

कई दिनों तक मैं निराशा को बर्दाश्त नहीं कर सकी, लेकिन वर्षों बाद मुझे लगता है कि अखबार ने बहुत सचेत निर्णय लिया था. अगर स्टोरी छप गई होती तो मैं खुद को माफ नहीं कर पाती.

एक दशक से भी अधिक समय के बाद और जब मेरे कुछ बाल सफेद हो चुके हैं मुझे एहसास हुआ कि यह बताने के लिए मेरी स्टोरी नहीं थी. क्रिकेटर ने महीनों या शायद उससे भी बाद में अपनी कहानी बताई. आज उनके संघर्ष और जीवित रहने की कहानी हजारों लोगों के लिए प्रेरणा है और उन्हें इस पर गर्व है.

मुझे लगता है कि केट को भी अपनी स्थिति सार्वजनिक करने से पहले बीमारी से उबरने का मौका दिया जाना चाहिए था. अपने पति की तथाकथित 'बेवफाई' के बारे में अफवाहों और बदनाम कहानियों ने उन्हें बाहर आने के लिए मजबूर किया होगा.

या शायद उन्होंने उस चीज़ का सामना करने की ताकत जुटा ली थी जिसे वह 'बहुत बड़ा सदमा' कहती थीं और उस सकारात्मकता और आशीर्वाद की तलाश कर रही थीं जो अब दुनिया उन्हें दे रही है. हालांकि मैं वर्तमान राजशाही की प्रशंसक नहीं हूं और मेरा जुनून राजकुमारी डायना पर ही रुकता है, फिर भी मैं केट के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं.

ये भी पढ़ें

कैंसर से जूझ रही प्रिंसेज ऑफ वेल्स केट मिडलटन, ले रहीं कीमोथेरेपी

Last Updated : Mar 25, 2024, 9:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.