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ट्रंप की ओवल ऑफिस में वापसी: कैसे लिक्टमैन ने अपनी 'कीज' गलत ताले में लगाई?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की सही भविष्यवाणी करने वाले अमेरिकी इतिहासकार की भविष्यवाणी इस बार गलत साबित हुई है.

डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप (AP)
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By Aroonim Bhuyan

Published : Nov 8, 2024, 7:47 PM IST

Updated : Nov 8, 2024, 7:53 PM IST

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में दूसरे कार्यकाल में वापसी के साथ, इस बात को लेकर व्यापक अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की सही भविष्यवाणी करने के लिए एक प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार द्वारा इस्तेमाल किया गया महत्वपूर्ण मैथड इस बार सही साबित क्यों नहीं हुआ.

एलन जे लिक्टमैन, जो वाशिंगटन में अमेरिकी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने 1981 में व्हाइट हाउस मेथडोलॉजी की कुंजी बनाई थी. यह एक ऐसा सिस्टम है, जो यह अनुमान लगाने के लिए 13 ट्रू/फाल्स मानदंडों का उपयोग करता है कि मौजूदा पार्टी का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार अगला चुनाव जीतेगा या हारेगा.

लिक्टमैन को इस मैथड का उपयोग करके 1984 से 2020 तक के अधिकांश राष्ट्रपति चुनावों के परिणामों की सही भविष्यवाणी करने का क्रेडिट दिया जाता है. हालांकि उनका प्रीडक्शन सिस्टम 2000 में और अब 2024 में निर्वाचक मंडल के परिणाम की भविष्यवाणी करने में विफल रहा है.

क्या हैं 13 कुंजियां?

पार्टी का जनादेश: मध्यावधि चुनावों के बाद मौजूदा पार्टी के पास अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पिछले मध्यावधि चुनावों की तुलना में अधिक सीटें होती हैं.

कॉन्टेस्ट: निवर्तमान पार्टी के नामांकन के लिए कोई गंभीर कॉनेस्ट नहीं है.

सत्तासीनता: मौजूदा पार्टी का उम्मीदवार मौजूदा राष्ट्रपति है.

थर्ड पार्टी: कोई महत्वपूर्ण थर्ड-पार्टी या स्वतंत्र अभियान नहीं है.

अल्पकालिक अर्थव्यवस्था: चुनाव प्रचार के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी में नहीं होती है.

लॉन्ग टर्म इकोनॉमी: इस अवधि के दौरान वार्षिक प्रति व्यक्ति आर्थिक वृद्धि पिछले दो कार्यकाल के दौरान औसत वृद्धि के बराबर या उससे अधिक होती है.

पॉलिसी चेंज: मौजूदा प्रशासन राष्ट्रीय नीति में बड़े बदलाव लाता है.

सामाजिक अशांति: कार्यकाल के दौरान कोई निरंतर सामाजिक अशांति नहीं होती.

घोटाला: प्रशासन बड़े घोटालों से बेदाग होता है.

विदेशी/सैन्य विफलता: प्रशासन को विदेशी या सैन्य मामलों में कोई बड़ी विफलता नहीं होती है.

विदेशी/सैन्य सफलता: प्रशासन को विदेशी या सैन्य मामलों में बड़ी सफलता मिलती है.

मौजूदा करिश्मा: मौजूदा पार्टी का उम्मीदवार करिश्माई या राष्ट्रीय नायक होता है.

चुनौती देने वाले का करिश्मा: चुनौती देने वाला पार्टी उम्मीदवार करिश्माई या राष्ट्रीय नायक नहीं होता है.

लिक्टमैन की सिस्टम के अनुसार अगर इनमें से छह या उससे अधिक कुंजियां गलत हैं, तो मौजूदा पार्टी चुनाव हार जाएगी. अगर छह से कम कुंजियां गलत हैं, तो मौजूदा पार्टी जीत जाएगी.

मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन की जगह एक जोरदार अभियान के बीच डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था. इसका कारण यह बताया गया कि बाइडेन की वृद्धावस्था रिपब्लिकन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में काम नहीं करेगी. हालांकि, लिक्टमैन मैथड ने मतदान समाप्त होने और मतगणना शुरू होने के बाद भी हैरिस की जीत की भविष्यवाणी की थी.

इस बार जब शुरुआती रुझान आने शुरू हुए तो तभी लिक्टमैन को एहसास हो गया था कि उनका 13 कीज मॉडल काम नहीं कर रहा है. जब बुधवार की सुबह ट्रंप का दूसरा राष्ट्रपति बनना तय हो गया, तब लिक्टमैन ने यूएसए टुडे से कहा, "अभी मैं यह आकलन करने के लिए कुछ समय निकाल रहा हूं कि मैं गलत क्यों था और अमेरिका का भविष्य क्या है."

2000 में भी हुई थी गलत भविष्यवाणी
2024 के अलावा लिक्टमैन की एकमात्र गलत भविष्यवाणी 2000 में हुई थी जब रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने डेमोक्रेट अल गोर को हराया था. ऐसे में आखिर लिक्टमैन से ऐसी क्या गलती हो गई कि उनका अनुमान गलत हो गया.

इस संबंध में नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक इमेजइंडिया के अध्यक्ष और अमेरिकी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रोबिंदर सचदेव ने ईटीवी भारत से कहा, "यह लिक्टमैन द्वारा गलत कीज चलाने का सवाल नहीं है. उन्होंने गलत ताले पर कीज लगा दीं."

सचदेव ने कहा कि इस बार का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इतिहास में हुए किसी भी चुनाव से बेहद अलग है. उन्होंने बताया, "याद रखें हैरिस को प्राइमरी के जरिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के तौर पर नहीं चुना गया, जैसा कि आम तौर पर होता है."

वहीं, भारतीय मूल के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मयंक छाया का मानना है कि लिक्टमैन के मॉडल से परे लोग चुनाव के पीछे की भावनात्मक कंटेंट को समझने से चूक रहे हैं.

छाया ने गुरुवार शाम शिकागो से ईटीवी भारत को बताया, "अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर प्रोफेसर लिक्टमैन के अनुमान लगाना मेरे लिए मुश्किल है, क्योंकि वे खुद भी हैरान हैं. लिक्टमैन के मॉडल में शामिल फैक्टर्स से परे, जिसमें 13 स्पेसिफिक कीज शामिल हैं, मुझे लगता है कि कई भविष्य और सर्वे करने वाले अक्सर मतदाताओं की भावनात्मक कंटेंट को नजरअंदाज कर देते हैं."

उन्होंने बताया कि इस चुनाव में एक निर्णायक मुद्दा महंगाई था, जिसकी मार अमेरिकियों को हर दिन किराने की दुकानों और गैस स्टेशनों पर महसूस होती है.

छाया ने कहा, "अक्सर ऐसा होता है कि भारत सहित किसी भी लोकतंत्र में मतदाताओं को इस बात से प्रभावित किया जाता है कि वे किसी खास पल में क्या महसूस करते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी के लिए लोगों को घरेलू खर्च पर 30, 35 या 40 प्रतिशत अधिक भुगतान करने की तकलीफ होती है. जैसा कि भारत में कहा जाता है, 'आलू, प्याज के दाम' चुनाव तय कर सकते हैं."

छाया के अनुसार लिक्टमैन के मॉडल में शायद इस बात को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, "महंगाई एक बड़ी समस्या थी, जिसमें डेमोक्रेट बुरी तरह से फिसल गए." छाया ने यह भी बताया कि अमेरिका में लोकतंत्र के अस्तित्व का मुद्दा भी इस साल के अभियान के दौरान जोरदार तरीके से उठा.

उन्होंने कहा, "सर्वे से पता चलता है कि लगभग 30 प्रतिशत लोग इसे अर्थव्यवस्था के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक मानते हैं, क्योंकि यह मुद्रास्फीति में प्रकट होता है. मुझे नहीं लगता कि प्रोफेसर लिक्टमैन का मॉडल उन्हें किसी विशिष्ट तरीके से संबोधित करता है. यह विडंबना है कि लोकतंत्र पर हमला डेमोक्रेटिक अभियान का मुख्य चुनावी मुद्दा था, जिस पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बार-बार ध्यान केंद्रित किया, लेकिन ट्रंप समर्थकों ने इसका मतलब यह निकाला कि अगर वह जीत गईं, तो वह उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाएंगी. यह ट्रंप और उनके अभियान द्वारा लगाया गया एक विचार था."

छाया ने आगे कहा कि लिक्टमैन ने एक व्यापक गठबंधन की उम्मीद नहीं की थी जिसे ट्रंप बनाने में सक्षम रहे, विशेष रूप से हिस्पैनिक पुरुषों के साथ. उन्होंने कहा, "कई मायनों में यह चुनाव जेंडर की लड़ाई थी - पुरुष ट्रंप के लिए, महिलाएं हैरिस के लिए." हालांकि दिलचस्प बात यह है कि 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं, जो गर्भपात और अन्य प्रजनन अधिकारों पर बढ़ते गंभीर प्रतिबंधों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं, हैरिस के सबसे मुखर समर्थक होने के बावजूद पर्याप्त संख्या में बाहर नहीं आईं.

उन्होंने कहा कि अंत में, मेरा मानना है कि यहां जो काम चल रहा है, वह अमेरिका की राजनीति का जनजातीयकरण है. जब लोग जनजातीय आधार पर मतदान करते हैं, तो विशिष्ट ट्रिगर्स को खोजना मुश्किल होता है.

इस बीच, लिक्टमैन ने अपने एक्स हैंडल पर खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उनकी भविष्यवाणी गलत थी. उन्होंने कहा, "मैं इस गुरुवार को रात 9 बजे पूर्वी समय (शुक्रवार को सुबह 7:30 बजे IST) अपने लाइव शो में चुनाव और कीज का आकलन करूंगा.

यह भी पढ़ें- धुआंधार कमबैक! डोनाल्ड ट्रंप का MAGA फोकस जियोपॉलिटिक्स को हमेशा के लिए बदल देगा, जानें कैसे

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में दूसरे कार्यकाल में वापसी के साथ, इस बात को लेकर व्यापक अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की सही भविष्यवाणी करने के लिए एक प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार द्वारा इस्तेमाल किया गया महत्वपूर्ण मैथड इस बार सही साबित क्यों नहीं हुआ.

एलन जे लिक्टमैन, जो वाशिंगटन में अमेरिकी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. उन्होंने 1981 में व्हाइट हाउस मेथडोलॉजी की कुंजी बनाई थी. यह एक ऐसा सिस्टम है, जो यह अनुमान लगाने के लिए 13 ट्रू/फाल्स मानदंडों का उपयोग करता है कि मौजूदा पार्टी का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार अगला चुनाव जीतेगा या हारेगा.

लिक्टमैन को इस मैथड का उपयोग करके 1984 से 2020 तक के अधिकांश राष्ट्रपति चुनावों के परिणामों की सही भविष्यवाणी करने का क्रेडिट दिया जाता है. हालांकि उनका प्रीडक्शन सिस्टम 2000 में और अब 2024 में निर्वाचक मंडल के परिणाम की भविष्यवाणी करने में विफल रहा है.

क्या हैं 13 कुंजियां?

पार्टी का जनादेश: मध्यावधि चुनावों के बाद मौजूदा पार्टी के पास अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पिछले मध्यावधि चुनावों की तुलना में अधिक सीटें होती हैं.

कॉन्टेस्ट: निवर्तमान पार्टी के नामांकन के लिए कोई गंभीर कॉनेस्ट नहीं है.

सत्तासीनता: मौजूदा पार्टी का उम्मीदवार मौजूदा राष्ट्रपति है.

थर्ड पार्टी: कोई महत्वपूर्ण थर्ड-पार्टी या स्वतंत्र अभियान नहीं है.

अल्पकालिक अर्थव्यवस्था: चुनाव प्रचार के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी में नहीं होती है.

लॉन्ग टर्म इकोनॉमी: इस अवधि के दौरान वार्षिक प्रति व्यक्ति आर्थिक वृद्धि पिछले दो कार्यकाल के दौरान औसत वृद्धि के बराबर या उससे अधिक होती है.

पॉलिसी चेंज: मौजूदा प्रशासन राष्ट्रीय नीति में बड़े बदलाव लाता है.

सामाजिक अशांति: कार्यकाल के दौरान कोई निरंतर सामाजिक अशांति नहीं होती.

घोटाला: प्रशासन बड़े घोटालों से बेदाग होता है.

विदेशी/सैन्य विफलता: प्रशासन को विदेशी या सैन्य मामलों में कोई बड़ी विफलता नहीं होती है.

विदेशी/सैन्य सफलता: प्रशासन को विदेशी या सैन्य मामलों में बड़ी सफलता मिलती है.

मौजूदा करिश्मा: मौजूदा पार्टी का उम्मीदवार करिश्माई या राष्ट्रीय नायक होता है.

चुनौती देने वाले का करिश्मा: चुनौती देने वाला पार्टी उम्मीदवार करिश्माई या राष्ट्रीय नायक नहीं होता है.

लिक्टमैन की सिस्टम के अनुसार अगर इनमें से छह या उससे अधिक कुंजियां गलत हैं, तो मौजूदा पार्टी चुनाव हार जाएगी. अगर छह से कम कुंजियां गलत हैं, तो मौजूदा पार्टी जीत जाएगी.

मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन की जगह एक जोरदार अभियान के बीच डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था. इसका कारण यह बताया गया कि बाइडेन की वृद्धावस्था रिपब्लिकन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में काम नहीं करेगी. हालांकि, लिक्टमैन मैथड ने मतदान समाप्त होने और मतगणना शुरू होने के बाद भी हैरिस की जीत की भविष्यवाणी की थी.

इस बार जब शुरुआती रुझान आने शुरू हुए तो तभी लिक्टमैन को एहसास हो गया था कि उनका 13 कीज मॉडल काम नहीं कर रहा है. जब बुधवार की सुबह ट्रंप का दूसरा राष्ट्रपति बनना तय हो गया, तब लिक्टमैन ने यूएसए टुडे से कहा, "अभी मैं यह आकलन करने के लिए कुछ समय निकाल रहा हूं कि मैं गलत क्यों था और अमेरिका का भविष्य क्या है."

2000 में भी हुई थी गलत भविष्यवाणी
2024 के अलावा लिक्टमैन की एकमात्र गलत भविष्यवाणी 2000 में हुई थी जब रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने डेमोक्रेट अल गोर को हराया था. ऐसे में आखिर लिक्टमैन से ऐसी क्या गलती हो गई कि उनका अनुमान गलत हो गया.

इस संबंध में नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक इमेजइंडिया के अध्यक्ष और अमेरिकी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रोबिंदर सचदेव ने ईटीवी भारत से कहा, "यह लिक्टमैन द्वारा गलत कीज चलाने का सवाल नहीं है. उन्होंने गलत ताले पर कीज लगा दीं."

सचदेव ने कहा कि इस बार का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इतिहास में हुए किसी भी चुनाव से बेहद अलग है. उन्होंने बताया, "याद रखें हैरिस को प्राइमरी के जरिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के तौर पर नहीं चुना गया, जैसा कि आम तौर पर होता है."

वहीं, भारतीय मूल के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मयंक छाया का मानना है कि लिक्टमैन के मॉडल से परे लोग चुनाव के पीछे की भावनात्मक कंटेंट को समझने से चूक रहे हैं.

छाया ने गुरुवार शाम शिकागो से ईटीवी भारत को बताया, "अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर प्रोफेसर लिक्टमैन के अनुमान लगाना मेरे लिए मुश्किल है, क्योंकि वे खुद भी हैरान हैं. लिक्टमैन के मॉडल में शामिल फैक्टर्स से परे, जिसमें 13 स्पेसिफिक कीज शामिल हैं, मुझे लगता है कि कई भविष्य और सर्वे करने वाले अक्सर मतदाताओं की भावनात्मक कंटेंट को नजरअंदाज कर देते हैं."

उन्होंने बताया कि इस चुनाव में एक निर्णायक मुद्दा महंगाई था, जिसकी मार अमेरिकियों को हर दिन किराने की दुकानों और गैस स्टेशनों पर महसूस होती है.

छाया ने कहा, "अक्सर ऐसा होता है कि भारत सहित किसी भी लोकतंत्र में मतदाताओं को इस बात से प्रभावित किया जाता है कि वे किसी खास पल में क्या महसूस करते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी के लिए लोगों को घरेलू खर्च पर 30, 35 या 40 प्रतिशत अधिक भुगतान करने की तकलीफ होती है. जैसा कि भारत में कहा जाता है, 'आलू, प्याज के दाम' चुनाव तय कर सकते हैं."

छाया के अनुसार लिक्टमैन के मॉडल में शायद इस बात को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, "महंगाई एक बड़ी समस्या थी, जिसमें डेमोक्रेट बुरी तरह से फिसल गए." छाया ने यह भी बताया कि अमेरिका में लोकतंत्र के अस्तित्व का मुद्दा भी इस साल के अभियान के दौरान जोरदार तरीके से उठा.

उन्होंने कहा, "सर्वे से पता चलता है कि लगभग 30 प्रतिशत लोग इसे अर्थव्यवस्था के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक मानते हैं, क्योंकि यह मुद्रास्फीति में प्रकट होता है. मुझे नहीं लगता कि प्रोफेसर लिक्टमैन का मॉडल उन्हें किसी विशिष्ट तरीके से संबोधित करता है. यह विडंबना है कि लोकतंत्र पर हमला डेमोक्रेटिक अभियान का मुख्य चुनावी मुद्दा था, जिस पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बार-बार ध्यान केंद्रित किया, लेकिन ट्रंप समर्थकों ने इसका मतलब यह निकाला कि अगर वह जीत गईं, तो वह उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाएंगी. यह ट्रंप और उनके अभियान द्वारा लगाया गया एक विचार था."

छाया ने आगे कहा कि लिक्टमैन ने एक व्यापक गठबंधन की उम्मीद नहीं की थी जिसे ट्रंप बनाने में सक्षम रहे, विशेष रूप से हिस्पैनिक पुरुषों के साथ. उन्होंने कहा, "कई मायनों में यह चुनाव जेंडर की लड़ाई थी - पुरुष ट्रंप के लिए, महिलाएं हैरिस के लिए." हालांकि दिलचस्प बात यह है कि 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं, जो गर्भपात और अन्य प्रजनन अधिकारों पर बढ़ते गंभीर प्रतिबंधों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं, हैरिस के सबसे मुखर समर्थक होने के बावजूद पर्याप्त संख्या में बाहर नहीं आईं.

उन्होंने कहा कि अंत में, मेरा मानना है कि यहां जो काम चल रहा है, वह अमेरिका की राजनीति का जनजातीयकरण है. जब लोग जनजातीय आधार पर मतदान करते हैं, तो विशिष्ट ट्रिगर्स को खोजना मुश्किल होता है.

इस बीच, लिक्टमैन ने अपने एक्स हैंडल पर खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उनकी भविष्यवाणी गलत थी. उन्होंने कहा, "मैं इस गुरुवार को रात 9 बजे पूर्वी समय (शुक्रवार को सुबह 7:30 बजे IST) अपने लाइव शो में चुनाव और कीज का आकलन करूंगा.

यह भी पढ़ें- धुआंधार कमबैक! डोनाल्ड ट्रंप का MAGA फोकस जियोपॉलिटिक्स को हमेशा के लिए बदल देगा, जानें कैसे

Last Updated : Nov 8, 2024, 7:53 PM IST
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