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पाकिस्तान में CPEC पर हमले शर्मनाक, क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ीं - Attacks On CPEC Are Embarrassment

Attacks On CPEC: सीपीईसी पर, हाल के हमलों में एक आत्मघाती बम हमला किया गया. इसमें पांच चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई. चीनियों पर लगातार बढ़ रहे हमलों ने दोनों देशों के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने कुछ हमलों की जिम्मेदारी ली है, जबकि किसी भी आतंकवादी समूह ने चीनियों पर हमले की जिम्मेदारी नहीं ली.

Attacks On CPEC
पाकिस्तान में CPEC पर हमले
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By Major General Harsha Kakar

Published : Apr 3, 2024, 12:05 PM IST

हैदराबाद: सीपीईसी (CPEC) पर हमले शर्मिंदगी की बात है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से जुड़े प्रतिष्ठानों और श्रमिकों पर हमलों में वृद्धि ने दोनों देशों के बीच तनाव और इसकी निरंतरता को भी बढ़ा दिया है.

इनमें ग्वादर (चीनी द्वारा बनाया जा रहा) पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), और तुर्बत में पाकिस्तान का नौसैनिक अड्डा के हमले शामिल हैं. साथ ही, देश के उत्तर पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के एक जिले शांगला में चीनी इंजीनियरों पर आत्मघाती हमला भी किया गया. इंजीनियर इस्लामाबाद से दासू में जल विद्युत परियोजना की ओर जा रहे थे. आत्मघाती हमले में 5 चीनी इंजीनियर और उनके स्थानीय ड्राइवर मारे गए. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ग्वादर और तुरबत पर हमलों की जिम्मेदारी ली है, लेकिन किसी भी आतंकवादी समूह ने चीनियों पर हमले की जिम्मेदारी नहीं ली.

Attacks On CPEC
पाकिस्तान में CPEC पर हमले

पाकिस्तान के लिए, सबसे गंभीर घटना वह थी जिसमें चीनी इंजीनियर शामिल थे. इस पर इस पर बीजिंग ने नाराजगी जताई थी. पाकिस्तान में चीनियों को नियमित रूप से निशाना बनाया जाता है. चीन ने हमले को लेकर जांच की मांग की. चीन ने कहा, 'पाकिस्तानी पक्ष हमले की गहन जांच करे और दोषियों को कड़ी सजा दे'. बीजिंग में चीनी प्रवक्ता ने कहा, 'सीपीईसी को नुकसान पहुंचाने की कोई भी कोशिश कभी सफल नहीं होगी'.

पाक पीएम और राष्ट्रपति ने इस्लामाबाद में चीनी दूतावास का दौरा किया. उन्होंने बीजिंग की बढ़ती परेशानी को कम करने की उम्मीद करते हुए संवेदना व्यक्त की. जैसा कि अपेक्षित था, पाकिस्तान ने 'चीन के साथ अपनी दोस्ती के दुश्मनों' को जिम्मेदार ठहराया. पाकिस्तान की सेना ने अपना बयान जारी किया. बयान में कहा गया, 'कुछ विदेशी तत्व अपने निहित स्वार्थों से प्रेरित होकर पाकिस्तान में आतंकवाद को सहायता और बढ़ावा देने में लगे हुए हैं'.

इसने अफगान तालिबान द्वारा समर्थित आतंकवादी समूह टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) पर आरोप लगाया, लेकिन टीटीपी ने किसी भी संलिप्तता से इनकार कर दिया. हाल ही में, पाकिस्तान ने कहा था कि टीटीपी को काबुल के माध्यम से भारत का समर्थन प्राप्त है. जो भारत की ओर इशारा करता है, यह जानते हुए कि चीन-भारत संबंध स्थिर हैं. हमले का असर पहले से ही महसूस किया जा रहा है.

पाकिस्तान की जांच पर चीन को नहीं भरोसा
चीनी जांचकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं. इसका सीधे तौर पर मतलब है कि उन्हें पाकिस्तान की जांच पर पूरी तरह से भरोसा नहीं है. चीनी कंपनियों ने दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला 5वें एक्सटेंशन पर परिचालन निलंबित कर दिया है. हजारों स्थानीय श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया गया है. वर्तमान में सीपीईसी परियोजनाओं में कार्यरत चीनी नागरिक सदमे में हैं. कई लोग वापस लौटने पर विचार कर रहे हैं.

जुलाई 2021 में, दासू परियोजना में कार्यरत 9 इंजीनियर मारे गए थे. हमले के बाद चीनी श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया. चीनियों को वापस लौटने, और काम फिर से शुरू करने के लिए आश्वस्त होने में समय लग गया. चीन ने पाकिस्तान में काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा के पहलू को बार-बार उठाया है. 2021 में, चीन ने अपने 9 मारे गए इंजीनियरों के लिए मुआवजे के रूप में 38 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की थी. ये भुगतान इस्लामाबाद की क्षमता से परे था.

पाकिस्तान ने समीक्षा की मांग की, अंतिम भुगतान के आंकड़े अज्ञात हैं. अप्रैल 2023 में एक चीनी इंजीनियर पर ईशनिंदा का आरोप लगा था. पुलिस ने उसे बचा लिया, फिर बाद में वापस भेज दिया. पिछले साल अगस्त में, 23 चीनी इंजीनियरों को ले जा रही बस पर हमला हुआ था. पाक सेना ने हमलावरों को मार गिराया. इसमें चीनियों की जान का कोई नुकसान नहीं हुआ.

इससे पहले 2021 में क्वेटा के एक होटल को निशाना बनाया गया था, जहां चीनी राजदूत की मेजबानी की उम्मीद थी. हालांकि, वह मौजूद नहीं थे. एक महीने बाद एक आत्मघाती हमलावर ने एक बस को निशाना बनाकर कराची विश्वविद्यालय में चीन निर्मित कन्फ्यूशियस संस्थान के तीन चीनी कर्मचारियों की हत्या कर दी. हर बार चीन ने गहन जांच की मांग की. पाक सेना ने बेतरतीब ढंग से स्थानीय लोगों को उठाया. उनसे जबरन कबूलनामा कराया और उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया.

पाकिस्तान हमेशा चीनियों पर हमलों के पीछे विदेशी हाथ होने का संकेत देता रहा है. जब भी उसके नागरिकों की हत्या होती है तो बीजिंग मुश्किल में फंस जाता है. वह सीपीईसी को नहीं छोड़ सकता. उसने एक ऐसी परियोजना में भारी निवेश किया है, जो उसके बीआरआई (बेल्ट रोड इनिशिएटिव) का प्रदर्शन है. इसलिए, सभी नुकसानों और घटनाओं के बावजूद, वे संबंधों में निकटता बनाए रखते हैं.

यह देखते हुए कि पाकिस्तान के पास चुकाने की क्षमता नहीं है, चीनी परियोजनाएं कछुए की गति से आगे बढ़ रही हैं. पाकिस्तान को अमेरिका सहित मित्र देशों से कुछ सहानुभूति हासिल हुई. इस हमले के परिणामस्वरूप, चीन फिर से सीपीईसी परियोजनाओं पर काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने सैनिकों को तैनात करेगा.

इस तरह के फैसले को स्वीकार करने से पाकिस्तान के लिए लागत बढ़ जाएगी, इससे उन्हें सुरक्षा भूमिका में तैनात चीनी सुरक्षा बलों के लिए भुगतान करना होगा. इससे यह भी साबित होगा कि पाक सेना अपने ही देश में सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ है. चीनी सैनिकों की तैनाती पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन होगी. इसका मतलब पीएलए को अड्डों का प्रावधान करना होगा.

इस्लामाबाद पर अपने नियमों और शर्तों को पूरा करने का दबाव बढ़ाने के लिए बीजिंग मुआवजे के रूप में एक बड़ी वित्तीय मांग पेश करेगा. ये एक बार फिर से पाकिस्तान की क्षमता से परे है. शहबाज शरीफ शीघ्र ही अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर बीजिंग में होंगे. तारीखों की घोषणा अभी बाकी है.

इस यात्रा के परिणामस्वरूप उसकी नाराजगी बढ़ेगी. साथ ही, बीजिंग की शर्तों पर भी जोर दिया जाएगा जिसे स्वीकार करना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकता है. अतिरिक्त निवेश और ऋणों के पुनर्गठन के लिए शहबाज के अनुरोध में सुरक्षा उपायों को लागू करने सहित शर्तें शामिल हो सकती हैं. ये रावलपिंडी के लिए शर्मनाक हो सकती हैं.

पाकिस्तान अभी भी खुद को आतंक के खिलाफ अग्रणी राज्य मानता है. जैसा कि उसकी सेना ने कहा है, 'शायद वह एकमात्र राष्ट्र है जो पूरी दृढ़ता और राज्य के पूर्ण संकल्प के साथ अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी उद्यम का सीधे तौर पर मुकाबला कर रहा है'.

हालांकि, यह कई आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह बना हुआ है, जिन्हें वे 'अच्छे आतंकवादी' कहते हैं. यह आतंकवादी समूहों का समर्थन कर रहा है जिसने अपने सभी प्रमुख पड़ोसियों, ईरान, अफगानिस्तान और भारत के साथ इसके संबंधों को खराब कर दिया है. इसके कारण ईरान और अफगानिस्तान ने अपनी धरती पर पाक विरोधी समूहों के ठिकानों पर आंखें मूंद ली हैं.

चीन और सीपीईसी पर पाकिस्तान की अत्यधिक निर्भरता ने उसकी कमजोरियां बढ़ा दी हैं. बलूचिस्तान, सीपीईसी का प्रमुख केंद्र है, इसका इस्लामाबाद द्वारा शोषण किया जाता है. यहां एक असंतुष्ट आबादी है, जो बलूच स्वतंत्रता समूहों के संयोजन, बीआरएएस (बलूच राजी अजोई संगर) की पनाह में है. टीटीपी केपी के बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है. आए दिन अलग-अलग आतंकी समूहों द्वारा पाक ठिकानों पर किए जा रहे हमले चिंता का विषय है. सीपीईसी एक प्रमुख लक्ष्य बना हुआ है क्योंकि इसमें चीनी शामिल हैं. इससे पाक सेना को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. यह चीन से अतिरिक्त दबाव भी लाता है.

इसके अलावा, स्थानीय लोगों का मानना है कि परियोजनाओं का उद्देश्य पंजाब और सिंध में जीवन की गुणवत्ता को लाभ पहुंचाना है, न कि उनके क्षेत्र को. जैसा कि मुहम्मद अमीर राणा द डॉन में लिखते हैं, 'कई लोग मानते हैं कि बांध और चौड़ी सड़कें शहरीकरण, महिलाओं की मुक्ति और आधुनिकीकरण को गति देंगी, जिसे वे अपने धर्म और संस्कृति के लिए खतरा मानते हैं'.

पाक को सीपीईसी के निर्माण के अपने इरादों के बारे में अपनी जनता के बीच विश्वास पैदा करना होगा. अपनी अच्छी और बुरी आतंकवादी नीतियों को बदलना होगा और अपनी जनता के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक भय को दूर करना होगा. जब तक वह ऐसा नहीं करता, उसके अपने सशस्त्र बल और सीपीईसी में शामिल चीनी पाकिस्तान की शर्मिंदगी को बढ़ाते रहेंगे.

चीनी नागरिकों की ग्वादर मे हत्या
ग्वादर में एक और हमले में दो और लोगों की जान चली गई. इसके साथ ही, पाक सेना ने घोषणा की कि उसने शांगला में चीनी इंजीनियरों पर हमले के 10 आतंकवादियों और सूत्रधारों को गिरफ्तार किया है. इसमें मुख्य कमांडर भी शामिल है जो टीटीपी से है. उन्होंने बताया कि आत्मघाती हमलावर अफगानी था. सबसे अधिक संभावना है, निर्दोषों को उठाया गया है. उन्हें कबूल करने के लिए मजबूर किया गया है.

इरादा स्पष्ट है, पहले भी यही आदर्श रहा है. चीनियों को संतुष्ट और भारत की ओर इशारा करते हुए काबुल पर दबाव बढ़ाना. इसका अफगान नेतृत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन क्या यह चीनियों को संतुष्ट करेगा, यह देखना होगा.

पढ़ें: AI से इन सेक्टरों की जॉब पर लटकेगी तलवार!- रिपोर्ट - Jobs Affected By AI

हैदराबाद: सीपीईसी (CPEC) पर हमले शर्मिंदगी की बात है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से जुड़े प्रतिष्ठानों और श्रमिकों पर हमलों में वृद्धि ने दोनों देशों के बीच तनाव और इसकी निरंतरता को भी बढ़ा दिया है.

इनमें ग्वादर (चीनी द्वारा बनाया जा रहा) पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), और तुर्बत में पाकिस्तान का नौसैनिक अड्डा के हमले शामिल हैं. साथ ही, देश के उत्तर पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के एक जिले शांगला में चीनी इंजीनियरों पर आत्मघाती हमला भी किया गया. इंजीनियर इस्लामाबाद से दासू में जल विद्युत परियोजना की ओर जा रहे थे. आत्मघाती हमले में 5 चीनी इंजीनियर और उनके स्थानीय ड्राइवर मारे गए. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ग्वादर और तुरबत पर हमलों की जिम्मेदारी ली है, लेकिन किसी भी आतंकवादी समूह ने चीनियों पर हमले की जिम्मेदारी नहीं ली.

Attacks On CPEC
पाकिस्तान में CPEC पर हमले

पाकिस्तान के लिए, सबसे गंभीर घटना वह थी जिसमें चीनी इंजीनियर शामिल थे. इस पर इस पर बीजिंग ने नाराजगी जताई थी. पाकिस्तान में चीनियों को नियमित रूप से निशाना बनाया जाता है. चीन ने हमले को लेकर जांच की मांग की. चीन ने कहा, 'पाकिस्तानी पक्ष हमले की गहन जांच करे और दोषियों को कड़ी सजा दे'. बीजिंग में चीनी प्रवक्ता ने कहा, 'सीपीईसी को नुकसान पहुंचाने की कोई भी कोशिश कभी सफल नहीं होगी'.

पाक पीएम और राष्ट्रपति ने इस्लामाबाद में चीनी दूतावास का दौरा किया. उन्होंने बीजिंग की बढ़ती परेशानी को कम करने की उम्मीद करते हुए संवेदना व्यक्त की. जैसा कि अपेक्षित था, पाकिस्तान ने 'चीन के साथ अपनी दोस्ती के दुश्मनों' को जिम्मेदार ठहराया. पाकिस्तान की सेना ने अपना बयान जारी किया. बयान में कहा गया, 'कुछ विदेशी तत्व अपने निहित स्वार्थों से प्रेरित होकर पाकिस्तान में आतंकवाद को सहायता और बढ़ावा देने में लगे हुए हैं'.

इसने अफगान तालिबान द्वारा समर्थित आतंकवादी समूह टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) पर आरोप लगाया, लेकिन टीटीपी ने किसी भी संलिप्तता से इनकार कर दिया. हाल ही में, पाकिस्तान ने कहा था कि टीटीपी को काबुल के माध्यम से भारत का समर्थन प्राप्त है. जो भारत की ओर इशारा करता है, यह जानते हुए कि चीन-भारत संबंध स्थिर हैं. हमले का असर पहले से ही महसूस किया जा रहा है.

पाकिस्तान की जांच पर चीन को नहीं भरोसा
चीनी जांचकर्ता जांच में शामिल हो गए हैं. इसका सीधे तौर पर मतलब है कि उन्हें पाकिस्तान की जांच पर पूरी तरह से भरोसा नहीं है. चीनी कंपनियों ने दासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तारबेला 5वें एक्सटेंशन पर परिचालन निलंबित कर दिया है. हजारों स्थानीय श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया गया है. वर्तमान में सीपीईसी परियोजनाओं में कार्यरत चीनी नागरिक सदमे में हैं. कई लोग वापस लौटने पर विचार कर रहे हैं.

जुलाई 2021 में, दासू परियोजना में कार्यरत 9 इंजीनियर मारे गए थे. हमले के बाद चीनी श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया. चीनियों को वापस लौटने, और काम फिर से शुरू करने के लिए आश्वस्त होने में समय लग गया. चीन ने पाकिस्तान में काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा के पहलू को बार-बार उठाया है. 2021 में, चीन ने अपने 9 मारे गए इंजीनियरों के लिए मुआवजे के रूप में 38 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की थी. ये भुगतान इस्लामाबाद की क्षमता से परे था.

पाकिस्तान ने समीक्षा की मांग की, अंतिम भुगतान के आंकड़े अज्ञात हैं. अप्रैल 2023 में एक चीनी इंजीनियर पर ईशनिंदा का आरोप लगा था. पुलिस ने उसे बचा लिया, फिर बाद में वापस भेज दिया. पिछले साल अगस्त में, 23 चीनी इंजीनियरों को ले जा रही बस पर हमला हुआ था. पाक सेना ने हमलावरों को मार गिराया. इसमें चीनियों की जान का कोई नुकसान नहीं हुआ.

इससे पहले 2021 में क्वेटा के एक होटल को निशाना बनाया गया था, जहां चीनी राजदूत की मेजबानी की उम्मीद थी. हालांकि, वह मौजूद नहीं थे. एक महीने बाद एक आत्मघाती हमलावर ने एक बस को निशाना बनाकर कराची विश्वविद्यालय में चीन निर्मित कन्फ्यूशियस संस्थान के तीन चीनी कर्मचारियों की हत्या कर दी. हर बार चीन ने गहन जांच की मांग की. पाक सेना ने बेतरतीब ढंग से स्थानीय लोगों को उठाया. उनसे जबरन कबूलनामा कराया और उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया.

पाकिस्तान हमेशा चीनियों पर हमलों के पीछे विदेशी हाथ होने का संकेत देता रहा है. जब भी उसके नागरिकों की हत्या होती है तो बीजिंग मुश्किल में फंस जाता है. वह सीपीईसी को नहीं छोड़ सकता. उसने एक ऐसी परियोजना में भारी निवेश किया है, जो उसके बीआरआई (बेल्ट रोड इनिशिएटिव) का प्रदर्शन है. इसलिए, सभी नुकसानों और घटनाओं के बावजूद, वे संबंधों में निकटता बनाए रखते हैं.

यह देखते हुए कि पाकिस्तान के पास चुकाने की क्षमता नहीं है, चीनी परियोजनाएं कछुए की गति से आगे बढ़ रही हैं. पाकिस्तान को अमेरिका सहित मित्र देशों से कुछ सहानुभूति हासिल हुई. इस हमले के परिणामस्वरूप, चीन फिर से सीपीईसी परियोजनाओं पर काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने सैनिकों को तैनात करेगा.

इस तरह के फैसले को स्वीकार करने से पाकिस्तान के लिए लागत बढ़ जाएगी, इससे उन्हें सुरक्षा भूमिका में तैनात चीनी सुरक्षा बलों के लिए भुगतान करना होगा. इससे यह भी साबित होगा कि पाक सेना अपने ही देश में सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ है. चीनी सैनिकों की तैनाती पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन होगी. इसका मतलब पीएलए को अड्डों का प्रावधान करना होगा.

इस्लामाबाद पर अपने नियमों और शर्तों को पूरा करने का दबाव बढ़ाने के लिए बीजिंग मुआवजे के रूप में एक बड़ी वित्तीय मांग पेश करेगा. ये एक बार फिर से पाकिस्तान की क्षमता से परे है. शहबाज शरीफ शीघ्र ही अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर बीजिंग में होंगे. तारीखों की घोषणा अभी बाकी है.

इस यात्रा के परिणामस्वरूप उसकी नाराजगी बढ़ेगी. साथ ही, बीजिंग की शर्तों पर भी जोर दिया जाएगा जिसे स्वीकार करना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो सकता है. अतिरिक्त निवेश और ऋणों के पुनर्गठन के लिए शहबाज के अनुरोध में सुरक्षा उपायों को लागू करने सहित शर्तें शामिल हो सकती हैं. ये रावलपिंडी के लिए शर्मनाक हो सकती हैं.

पाकिस्तान अभी भी खुद को आतंक के खिलाफ अग्रणी राज्य मानता है. जैसा कि उसकी सेना ने कहा है, 'शायद वह एकमात्र राष्ट्र है जो पूरी दृढ़ता और राज्य के पूर्ण संकल्प के साथ अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी उद्यम का सीधे तौर पर मुकाबला कर रहा है'.

हालांकि, यह कई आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह बना हुआ है, जिन्हें वे 'अच्छे आतंकवादी' कहते हैं. यह आतंकवादी समूहों का समर्थन कर रहा है जिसने अपने सभी प्रमुख पड़ोसियों, ईरान, अफगानिस्तान और भारत के साथ इसके संबंधों को खराब कर दिया है. इसके कारण ईरान और अफगानिस्तान ने अपनी धरती पर पाक विरोधी समूहों के ठिकानों पर आंखें मूंद ली हैं.

चीन और सीपीईसी पर पाकिस्तान की अत्यधिक निर्भरता ने उसकी कमजोरियां बढ़ा दी हैं. बलूचिस्तान, सीपीईसी का प्रमुख केंद्र है, इसका इस्लामाबाद द्वारा शोषण किया जाता है. यहां एक असंतुष्ट आबादी है, जो बलूच स्वतंत्रता समूहों के संयोजन, बीआरएएस (बलूच राजी अजोई संगर) की पनाह में है. टीटीपी केपी के बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है. आए दिन अलग-अलग आतंकी समूहों द्वारा पाक ठिकानों पर किए जा रहे हमले चिंता का विषय है. सीपीईसी एक प्रमुख लक्ष्य बना हुआ है क्योंकि इसमें चीनी शामिल हैं. इससे पाक सेना को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. यह चीन से अतिरिक्त दबाव भी लाता है.

इसके अलावा, स्थानीय लोगों का मानना है कि परियोजनाओं का उद्देश्य पंजाब और सिंध में जीवन की गुणवत्ता को लाभ पहुंचाना है, न कि उनके क्षेत्र को. जैसा कि मुहम्मद अमीर राणा द डॉन में लिखते हैं, 'कई लोग मानते हैं कि बांध और चौड़ी सड़कें शहरीकरण, महिलाओं की मुक्ति और आधुनिकीकरण को गति देंगी, जिसे वे अपने धर्म और संस्कृति के लिए खतरा मानते हैं'.

पाक को सीपीईसी के निर्माण के अपने इरादों के बारे में अपनी जनता के बीच विश्वास पैदा करना होगा. अपनी अच्छी और बुरी आतंकवादी नीतियों को बदलना होगा और अपनी जनता के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक भय को दूर करना होगा. जब तक वह ऐसा नहीं करता, उसके अपने सशस्त्र बल और सीपीईसी में शामिल चीनी पाकिस्तान की शर्मिंदगी को बढ़ाते रहेंगे.

चीनी नागरिकों की ग्वादर मे हत्या
ग्वादर में एक और हमले में दो और लोगों की जान चली गई. इसके साथ ही, पाक सेना ने घोषणा की कि उसने शांगला में चीनी इंजीनियरों पर हमले के 10 आतंकवादियों और सूत्रधारों को गिरफ्तार किया है. इसमें मुख्य कमांडर भी शामिल है जो टीटीपी से है. उन्होंने बताया कि आत्मघाती हमलावर अफगानी था. सबसे अधिक संभावना है, निर्दोषों को उठाया गया है. उन्हें कबूल करने के लिए मजबूर किया गया है.

इरादा स्पष्ट है, पहले भी यही आदर्श रहा है. चीनियों को संतुष्ट और भारत की ओर इशारा करते हुए काबुल पर दबाव बढ़ाना. इसका अफगान नेतृत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन क्या यह चीनियों को संतुष्ट करेगा, यह देखना होगा.

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