नई दिल्ली: इस साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग का दिन नजदीक आ रहा है, जिसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने हैं. ऐसे में इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत के लिए इसका क्या मतलब होगा.
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस की मां के भारतीय होने के कारण उनकी उम्मीदवारी ने भारत के भीतर काफी ध्यान आकर्षित किया है, जिससे चुनाव को देखने वाले कई भारतीयों के लिए व्यक्तिगत जुड़ाव की एक परत जुड़ गई है.
वहीं, रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना अच्छा दोस्त बता रहे हैं. उन्होंने भारत के साथ संबंधों को बढ़ावा देने की कसम खाई है और हिंदू अमेरिकियों के हितों की रक्षा करने का वादा किया है.
हालांकि, जहां ट्रंप का प्रशासन फिर से 'मेक अमेरिका ग्रेट अगैन' एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है, जिसमें पहले भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाना शामिल था. वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के तहत हैरिस का दृष्टिकोण बहुपक्षीय सहयोग और भारत सहित गठबंधनों को मजबूत करने की ओर झुका है. इसी के मद्देनजर भारतीय नीति निर्माता और कारोबारी नेता इन मुद्दों पर दोनों उम्मीदवारों के रुख पर बारीकी से नजर रख हुए हैं, ताकि द्विपक्षीय संबंधों की भविष्य की दिशा को समझा जा सके.
हैरिस की या ट्रंप किसकी जीत से भारत को लाभ होगा?
अमेरिकी राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले भारतीय मूल के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मयंक छाया ने शिकागो से ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने वाली चीज एक तरफ भू-रणनीतिक लाभ और जरूरतें हैं, तो दूसरी तरफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं.
छाया ने कहा, "पिछले लगभग चार दशकों में चीन के नाटकीय उदय से भू-रणनीतिक लाभ और अनिवार्यताएं एक ऐसे चरण में पहुंच गई हैं, जहां यह स्पष्ट रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एकमात्र वैश्विक शत्रु है. जब तक वाशिंगटन बीजिंग को अपना वैश्विक शत्रु मानता रहेगा कोई भी अमेरिकी प्रशासन निकट भविष्य में भारत के साथ अपने संबंधों को कमजोर करने का जोखिम नहीं उठाएगा."
उन्होंने बताया कि वाशिंगटन भारत को उसके सामान्य रूप से मजबूत लोकतंत्र, मजबूत अर्थव्यवस्था और विशाल जनसांख्यिकीय क्षमता के साथ इंडो-पैसिफिक और दुनिया भर में सबसे प्रभावी काउंटर बैलेंस के रूप में देखता है. साथ ही यह तथ्य कि दोनों राष्ट्र लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए एक अंतर्निहित सम्मान शेयर करते हैं. उन्होंने कहा, "इस पृष्ठभूमि के साथ मैं भारत-अमेरिका संबंधों में कोई महत्वपूर्ण दिशात्मक परिवर्तन नहीं देखता, चाहे उपराष्ट्रपति कमला हैरिस जीतें या पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.
छाया के अनुसार अगर हैरिस जीतती हैं, तो उनकी दिवंगत तमिल मां डॉ श्यामला गोपालन हैरिस की भारतीय जातीयता के कारण वह संबंधों में चमक लाएंगी. छाया ने कहा, "जहां तक ट्रंप की बात है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी अक्सर व्यक्त की जाने वाली व्यक्तिगत मित्रता से दोनों को 2020 में जहां से वे हारे थे, वहां से उनके आगे बढ़ने में मदद मिलने की उम्मीद है."
उन्होंने मार्च 2000 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा का भी उल्लेख किया, जो 1978 में जिमी कार्टर की यात्रा के बाद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली भारत यात्रा थी और बताया कि उनके (क्लिंटन के) उत्तराधिकारियों जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा, ट्रंप और बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका-भारत संबंध मजबूत हुए हैं.
इस बीच 60 मिलियन से अधिक अमेरिकियों ने चुनावी प्रक्रिया द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रारंभिक मतदान सुविधा में भाग लिया है. कई चुनाव-पूर्व भविष्यवाणियों के अनुसार हैरिस और ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर होने वाली है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं.
ऐसे ही एक उल्लेखनीय असहमति रखने वाले अमेरिकी इतिहासकार एलन लिक्टमैन हैं, जिन्होंने एक मॉडल विकसित किया है, जिसके आधार पर वह राष्ट्रपति चुनावों के परिणामों के बारे में अपनी भविष्यवाणियां करते हैं.
छाया ने कहा, "प्रोफेसर लिक्टमैन ने 1984 से अब तक 10 में से 9 राष्ट्रपति चुनावों के सही उत्तर दिए हैं, जिसमें 2016 का चुनाव भी शामिल है, जब ट्रंप अपनी बढ़ती समस्याओं के बावजूद जीते थे. उन्होंने 13 सही-गलत प्रश्नों का एक मॉडल विकसित किया है, जो उनके अनुसार व्हाइट हाउस की 'Keys' हैं."
व्हाइट हाउस की 'Keys'
पार्टी का जनादेश: मध्यावधि चुनावों के बाद मौजूदा पार्टी के पास अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पिछले मध्यावधि चुनावों की तुलना में अधिक सीटें होती हैं.
कॉन्टेस्ट: निवर्तमान पार्टी के नामांकन के लिए कोई गंभीर कॉनेस्ट नहीं है.
सत्तासीनता: मौजूदा पार्टी का उम्मीदवार मौजूदा राष्ट्रपति है.
थर्ड पार्टी: कोई महत्वपूर्ण थर्ड-पार्टी या स्वतंत्र अभियान नहीं है.
अल्पकालिक अर्थव्यवस्था: चुनाव प्रचार के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी में नहीं होती है.
लॉन्ग टर्म इकोनॉमी: इस अवधि के दौरान वार्षिक प्रति व्यक्ति आर्थिक वृद्धि पिछले दो कार्यकाल के दौरान औसत वृद्धि के बराबर या उससे अधिक होती है.
पॉलिसी चेंज: मौजूदा प्रशासन राष्ट्रीय नीति में बड़े बदलाव लाता है.
सामाजिक अशांति: कार्यकाल के दौरान कोई निरंतर सामाजिक अशांति नहीं होती.
घोटाला: प्रशासन बड़े घोटालों से बेदाग होता है.
विदेशी/सैन्य विफलता: प्रशासन को विदेशी या सैन्य मामलों में कोई बड़ी विफलता नहीं होती है.
विदेशी/सैन्य सफलता: प्रशासन को विदेशी या सैन्य मामलों में बड़ी सफलता मिलती है.
मौजूदा करिश्मा: मौजूदा पार्टी का उम्मीदवार करिश्माई या राष्ट्रीय नायक होता है.
चुनौती देने वाले का करिश्मा: चुनौती देने वाला पार्टी उम्मीदवार करिश्माई या राष्ट्रीय नायक नहीं होता है.
लिक्टमैन सिस्टम के अनुसार अगर इनमें से छह या अधिक कुंजियां झूठी हैं, तो मौजूदा पार्टी चुनाव हार जाएगी. अगर छह से कम चाबियां झूठी हैं, तो मौजूदा पार्टी जीत जाएगी.
लिक्टमैन ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "लंबे समय तक ट्रंप की जीत की भविष्यवाणी करने के बाद अन्य मॉडल अब व्हाइट हाउस की कुंजी के साथ तालमेल बिठाने लगे हैं. प्रेडिक्टिट और 538 में अब बराबरी है और इकोनॉमिस्ट ने हैरिस को 52 फीसदी से आगे बताया है."
छाया ने देश के चुनावी मूड को समझने में दशकों के अनुभव वाले व्यापक रूप से सम्मानित डेमोक्रेटिक पार्टी के रणनीतिकार जेम्स कारविल का भी उल्लेख किया. छाया ने कहा, "उन्होंने लगभग स्पष्ट विश्वास के साथ कहा है कि हैरिस जीतेगी.
शुक्रवार को MSNBC पर मॉर्निंग कार्यक्रम के दौरान कार्विल ने कहा कि हैरिस जीतेगी क्योंकि उसके पास ज़्यादा पैसा है, ज्यादा ऊर्जा है, उनकी पार्टी अधिक एकजुट है, उनके पास बेहतर प्रतिनिधि हैं कार्विल ने लॉस एंजिल्स टाइम्स और द वाशिंगटन पोस्ट जैसे समाचार संगठनों को हैरिस का समर्थन न करने के उनके फैसलों के लिए भी आड़े हाथों लिया.
उन्होंने कहा, “मेरा मतलब है, जब आप एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को नौ लोगों के साथ फायरिंग स्क्वॉड में डालने की बात करते हैं और फिर वाशिंगटन पोस्ट और लॉस एंजिल्स टाइम्स कहते हैं, ‘ओह, मैं इसमें शामिल नहीं होना चाहता, तो यह गंदी राजनीति है यह अविश्वसनीय है”.
हालांकि, अब चिंता का विषय यह है कि ट्रंप कैंप प्रमुख स्विंग राज्यों में चुनावी बोर्डों पर कब्जा कर रहा है. छाया ने बताया, "इसका मुख्य कारण यह है कि इन बोर्डों के पास स्थानीय चुनावों को प्रमाणित करने का अधिकार है." द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच के अनुसार, रिपब्लिकन ने चुनाव बोर्डों पर नियंत्रण इस उद्देश्य से किया है कि वे उन परिणामों को चुनौती दें और पलट दें जो उनके पक्ष में नहीं हैं. ऐसा एरिजोना, जॉर्जिया, नेवादा और पेंसिल्वेनिया के चार युद्धक्षेत्र राज्यों में हुआ है जो एक करीबी मुकाबले में परिणाम के लिए महत्वपूर्ण हैं.
दक्षिण अफ़्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिक मस्क ट्रंप का समर्थन करने के लिए क्यों आगे आ रहे हैं?
छाया ने कहा, "रिपब्लिकन पार्टी के चरमपंथी धड़े के प्रति उनकी वैचारिक आत्मीयता और ट्रंप के प्रति उनके लगभग प्रशंसक दृष्टिकोण के अलावा, मस्क अमेरिका के विनियामक प्रतिष्ठान के साथ अपनी समस्याओं से भी प्रेरित हैं." उनकी विभिन्न कंपनियों में वर्तमान में लगभग 18 जांच और निरीक्षण चल रहे हैं. यह उनके लिए बहुत चिंता का विषय है. अगर ट्रंप जीतते हैं और मस्क किसी तरह से उन विनियमों के प्रभारी बन जाते हैं, तो उनकी समस्याएं खत्म हो सकती हैं.
छाया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मस्क की कंपनियों के पास 15.4 बिलियन डॉलर के सरकारी अनुबंध हैं. उन्होंने कहा, "ट्रंप की जीत पर उनके लिए बहुत कुछ निर्भर है. साथ ही, मुझे लगता है कि मस्क के लिए और भी अधिक शक्तिशाली बनने का लालच रोक नहीं जा सकता है."