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ठंड के मौसम में बिगड़ सकती है फेफड़ों की सेहत, सांस लेना हो सकता है मुश्किल, आज से ही शुरू कर दे माइंडफुल ब्रीदिंग

ठंड के मौसम में सांस से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में माइंडफुल ब्रीदिंग से रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत किया जा सकता...

If you want to avoid lung diseases in winter, then start mindful breathing from today itself
आज से ही शुरू कर दे माइंडफुल ब्रीदिंग (CANVA)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : 10 hours ago

माइंडफुल ब्रीदिंग एक आसान और प्रभावी ध्यान तकनीक है जो आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम और ओवरऑल हेल्थ के लिए वरदान साबित हो सकता है. बता दें, माइंडफुल ब्रीदिंग एक गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज है. गहरी सांस लेने में बड़ी सांसों का इस्तेमाल होता है और लंबाई को नियंत्रित करता है.

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी सांसों पर ध्यान देना भूल जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सांस लेने की सही प्रक्रिया ना केवल हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम बल्कि पूरे शरीर और दिमाग के लिए फायदेमंद हो सकती है? जानकार कहते हैं तथा कई शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है की माइंडफुल ब्रीदिंग के नियमित अभ्यास से तनाव में कमी आती है, मानसिक शांति मिलती है और शरीर में ऊर्जा बढ़ती है...

क्या है माइंडफुल ब्रीदिंग
योग गुरु मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि हमारी हर सांस हमारे स्वस्थ जीवन की कुंजी है. इसलिए बहुत जरूरी है की हम सही तरह से सांस लेने की अहमियत को समझें और माइंडफुल ब्रीदिंग को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें. वह बताती हैं कि माइंडफुल ब्रीदिंग एक प्रकार की ध्यान प्रक्रिया है जिसमें आप अपनी सांसों पर पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं. माइंडफुल ब्रीदिंग में सांसों की लय और उसकी गहराई पर ध्यान दिया जाता है. इस अभ्यास में धीरे-धीरे और गहराई से सांस ली जाती है जिससे शरीर व दिमाग शांत होते हैं.

वह बताती हैं कि माइंडफुल ब्रीदिंग शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित करती है, जिससे दिमाग और मांसपेशियों को ऊर्जा मिलती है. यह ना केवल श्वसन तंत्र के लिए फायदेमंद है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार करती है. तनावग्रस्त लोगों के लिए यह विशेष तौर पर एक प्रभावी उपाय है, क्योंकि यह शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को कम करती है.

माइंडफुल ब्रीदिंग के फायदे

मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि माइंडफुल ब्रीदिंग के नियमित अभ्यास के सेहत को कई तरह से लाभ मिल सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत बनाना: यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है.

स्ट्रेस को कम करना: माइंडफुल ब्रीदिंग मानसिक शांति प्रदान करती है और दिमाग को शांत करती है.

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करना: गहरी सांस लेने से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है.

नींद में सुधार: यह अनिद्रा से पीड़ित लोगों को राहत दिलाने में मददगार होती है.

ध्यान केंद्रित करना: माइंडफुल ब्रीदिंग से ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है.

इसे कैसे और कब करें?
इसके लिए सही समय और सही स्थान का चयन करना बेहद जरूरी है. इसके लिए शांत और साफ जगह चुनें जहां आप ध्यान केंद्रित कर सकें. सुबह या रात का समय सबसे उपयुक्त है.

इस अभ्यास के लिए हमेशा आरामदायक स्थिति में ही बैठे. अगर आप फर्श पर पालथी मारकर बैठ सकते हैं तो बेहतर है लेकिन जो लोग ऐसे नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर सीधे बैठकर भी इस अभ्यास को कर सकते हैं.

अभ्यास के दौरान नाक से गहरी श्वास लें और धीरे-धीरे मुंह से श्वास छोड़ें. अभ्यास के दौरान सांस लेने व छोड़ने की गति धीमी हो होनी चाहिए.

इस दौरान सांसों की लय और उसके प्रवाह पर ध्यान केंद्रित रखें.

गलतियां न करें
मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि इस अभ्यास के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जिससे इसके ज्यादा फायदे मिल सकें. साथ ही कुछ गलतियों से बचना भी बेहद जरूरी है जैसे अभ्यास के दौरान कभी भी जल्दबाजी में गहरी सांसें न लें. वहीं अभ्यास हमेशा शांत स्थान पर ही करें. किसी शोर-शराबे वाली जगह पर यह अभ्यास करने से बचें. इसके अलावा अभ्यास के दौरान ध्यान बंटाने वाले उपकरण जैसे मोबाइल आदि से दूर रहें.

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माइंडफुल ब्रीदिंग एक आसान और प्रभावी ध्यान तकनीक है जो आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम और ओवरऑल हेल्थ के लिए वरदान साबित हो सकता है. बता दें, माइंडफुल ब्रीदिंग एक गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज है. गहरी सांस लेने में बड़ी सांसों का इस्तेमाल होता है और लंबाई को नियंत्रित करता है.

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी सांसों पर ध्यान देना भूल जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सांस लेने की सही प्रक्रिया ना केवल हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम बल्कि पूरे शरीर और दिमाग के लिए फायदेमंद हो सकती है? जानकार कहते हैं तथा कई शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है की माइंडफुल ब्रीदिंग के नियमित अभ्यास से तनाव में कमी आती है, मानसिक शांति मिलती है और शरीर में ऊर्जा बढ़ती है...

क्या है माइंडफुल ब्रीदिंग
योग गुरु मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि हमारी हर सांस हमारे स्वस्थ जीवन की कुंजी है. इसलिए बहुत जरूरी है की हम सही तरह से सांस लेने की अहमियत को समझें और माइंडफुल ब्रीदिंग को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें. वह बताती हैं कि माइंडफुल ब्रीदिंग एक प्रकार की ध्यान प्रक्रिया है जिसमें आप अपनी सांसों पर पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं. माइंडफुल ब्रीदिंग में सांसों की लय और उसकी गहराई पर ध्यान दिया जाता है. इस अभ्यास में धीरे-धीरे और गहराई से सांस ली जाती है जिससे शरीर व दिमाग शांत होते हैं.

वह बताती हैं कि माइंडफुल ब्रीदिंग शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित करती है, जिससे दिमाग और मांसपेशियों को ऊर्जा मिलती है. यह ना केवल श्वसन तंत्र के लिए फायदेमंद है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार करती है. तनावग्रस्त लोगों के लिए यह विशेष तौर पर एक प्रभावी उपाय है, क्योंकि यह शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को कम करती है.

माइंडफुल ब्रीदिंग के फायदे

मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि माइंडफुल ब्रीदिंग के नियमित अभ्यास के सेहत को कई तरह से लाभ मिल सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत बनाना: यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है.

स्ट्रेस को कम करना: माइंडफुल ब्रीदिंग मानसिक शांति प्रदान करती है और दिमाग को शांत करती है.

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करना: गहरी सांस लेने से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है.

नींद में सुधार: यह अनिद्रा से पीड़ित लोगों को राहत दिलाने में मददगार होती है.

ध्यान केंद्रित करना: माइंडफुल ब्रीदिंग से ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है.

इसे कैसे और कब करें?
इसके लिए सही समय और सही स्थान का चयन करना बेहद जरूरी है. इसके लिए शांत और साफ जगह चुनें जहां आप ध्यान केंद्रित कर सकें. सुबह या रात का समय सबसे उपयुक्त है.

इस अभ्यास के लिए हमेशा आरामदायक स्थिति में ही बैठे. अगर आप फर्श पर पालथी मारकर बैठ सकते हैं तो बेहतर है लेकिन जो लोग ऐसे नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर सीधे बैठकर भी इस अभ्यास को कर सकते हैं.

अभ्यास के दौरान नाक से गहरी श्वास लें और धीरे-धीरे मुंह से श्वास छोड़ें. अभ्यास के दौरान सांस लेने व छोड़ने की गति धीमी हो होनी चाहिए.

इस दौरान सांसों की लय और उसके प्रवाह पर ध्यान केंद्रित रखें.

गलतियां न करें
मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि इस अभ्यास के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जिससे इसके ज्यादा फायदे मिल सकें. साथ ही कुछ गलतियों से बचना भी बेहद जरूरी है जैसे अभ्यास के दौरान कभी भी जल्दबाजी में गहरी सांसें न लें. वहीं अभ्यास हमेशा शांत स्थान पर ही करें. किसी शोर-शराबे वाली जगह पर यह अभ्यास करने से बचें. इसके अलावा अभ्यास के दौरान ध्यान बंटाने वाले उपकरण जैसे मोबाइल आदि से दूर रहें.

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