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ट्रंप और हैरिस के बीच मुकाबला टाई हुआ, तो कौन बनेगा राष्ट्रपति? जानें नियम

अमेरिकी में 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट के लिए मतदान होता है. ऐसे में जीत के लिए 270 इलेक्टोरल के जरूरत पड़ती है.

कमला हैरिस या ट्रंप टाई होने पर कौन बनेगा राष्ट्रपति
कमला हैरिस या ट्रंप टाई होने पर कौन बनेगा राष्ट्रपति (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो चुकी है. डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच करीबी मुकाबला बताया जा रहा है. यह चुनाव व्हाइट हाउस के लिए सबसे करीबी मुकाबलों में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा. ऐसे में हो सकता है कि दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला टाई हो जाए और कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल न कर पाए.

बता दें कि अमेरिकी में 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट के लिए मतदान होता है. ऐसे में जीत के लिए 270 इलेक्टोरल के जरूरत पड़ती है. हालांकि, हैरिस और ट्ंरप के बीच जिस तरह का कड़ा मुकाबला चल रहा है उसमें एक संभावना यह भी है कि दोनों में से कोई भी बहुमता हासिल न कर पाए और मुकाबला टाई हो. यानी दोनों उम्मीदवार 269-269 सीट ही जीतने में सफल हो सकें. ऐसे में सवाल यह है कि अगर ऐसी स्थिति बनती है और इलेक्टोरल कॉलेज का गतिरोध सामने आता है तो चुनाव में जीत किसकी होगी.

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज को समझें
बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव का फैसला लोकप्रिय वोट से नहीं, बल्कि 538 सदस्यीय इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है. अमेरिका में लोग सीधे तौर पर राष्ट्रपति पद के लिए वोट नहीं करते हैं. वह सिर्फ 538 सदस्यों वाले इलेक्टोरल कॉलेज के लिए वोट देते हैं. इसमें हर राज्य को उसके कांग्रेस में प्रतिनिधि की संख्या के बराबर इलेक्टर मिलते हैं.ऐसे में मेने और नेब्रास्का को छोड़कर हर राज्य के इलेक्टोरल वोट उस उम्मीदवार खे खाते में चले जाते हैं, जो राज्य में आगे होता है. हर राज्य के पास इलेक्टोरल वोटों की एक अलग संख्या होती है.

उदाहरण के लिए चुनाव के दिन फ्लोरिडा के मतदाता राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करते हैं. मान लीजिए कि उम्मीदवार A (डोनाल्ड ट्रंप) को 5 मिलियन वोट मिलते हैं, और उम्मीदवार B (कमला हैरिस) को 4.8 मिलियन वोट मिलते हैं तो उम्मीदवार A को फ्लोरिडा के सभी लोकप्रिय वोट मिल जाएंगे.

प्रत्येक उम्मीदवार अलग-अलग राज्यों से इलेक्टोरल वोट इकट्ठा करता है, जो उम्मीदवार 270 इलेक्टोरल वोट तक पहुंचता है या उससे अधिक वोट प्राप्त करता है, वह लोकप्रिय वोट की परवाह किए बिना राष्ट्रपति पद जीत जाता है.

किसी को न मिले 270 इलेक्टोरल वोट तो क्या होगा?
अमेरिकी संविधान अगर दोनों उम्मीदवारों को 269 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, तो चुनाव का फैसला कांग्रेस के पास चला जाता है और राष्ट्रपति का चुनाव नवनिर्वाचित प्रतिनिधि सभा करेगी, जबकि सीनेट उपराष्ट्रपति का चयन करेगी.

269-269 इलेक्टोरल कॉलेज में बराबरी कैसे हो सकती है
इलेक्टोरल कॉलेज में 269-269 का बराबरी मुश्किल है, लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में ऐसा हो सकता है. उदाहरण के लिए अगर कमला हैरिस विस्कॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिल्वेनिया जैसे प्रमुख राज्यों में जीत हासिल करती हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप जॉर्जिया, एरिजोना, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और नेब्रास्का में एक कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट को सुरक्षित करते हैं, तो प्रत्येक उम्मीदवार के पास ठीक 269 इलेक्टोरल वोट होंगे. इस स्थिति में कोई भी उम्मीदवार 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों में से आवश्यक 270 तक नहीं पहुंच पाएगा.

यह भी पढ़ें- आयोवा के ताजा सर्वे में कमता हैरिस ने ट्रंप को पछाड़ा, सर्वे में चौंकाने वाले संकेत

वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो चुकी है. डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच करीबी मुकाबला बताया जा रहा है. यह चुनाव व्हाइट हाउस के लिए सबसे करीबी मुकाबलों में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा. ऐसे में हो सकता है कि दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला टाई हो जाए और कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल न कर पाए.

बता दें कि अमेरिकी में 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट के लिए मतदान होता है. ऐसे में जीत के लिए 270 इलेक्टोरल के जरूरत पड़ती है. हालांकि, हैरिस और ट्ंरप के बीच जिस तरह का कड़ा मुकाबला चल रहा है उसमें एक संभावना यह भी है कि दोनों में से कोई भी बहुमता हासिल न कर पाए और मुकाबला टाई हो. यानी दोनों उम्मीदवार 269-269 सीट ही जीतने में सफल हो सकें. ऐसे में सवाल यह है कि अगर ऐसी स्थिति बनती है और इलेक्टोरल कॉलेज का गतिरोध सामने आता है तो चुनाव में जीत किसकी होगी.

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज को समझें
बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव का फैसला लोकप्रिय वोट से नहीं, बल्कि 538 सदस्यीय इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है. अमेरिका में लोग सीधे तौर पर राष्ट्रपति पद के लिए वोट नहीं करते हैं. वह सिर्फ 538 सदस्यों वाले इलेक्टोरल कॉलेज के लिए वोट देते हैं. इसमें हर राज्य को उसके कांग्रेस में प्रतिनिधि की संख्या के बराबर इलेक्टर मिलते हैं.ऐसे में मेने और नेब्रास्का को छोड़कर हर राज्य के इलेक्टोरल वोट उस उम्मीदवार खे खाते में चले जाते हैं, जो राज्य में आगे होता है. हर राज्य के पास इलेक्टोरल वोटों की एक अलग संख्या होती है.

उदाहरण के लिए चुनाव के दिन फ्लोरिडा के मतदाता राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करते हैं. मान लीजिए कि उम्मीदवार A (डोनाल्ड ट्रंप) को 5 मिलियन वोट मिलते हैं, और उम्मीदवार B (कमला हैरिस) को 4.8 मिलियन वोट मिलते हैं तो उम्मीदवार A को फ्लोरिडा के सभी लोकप्रिय वोट मिल जाएंगे.

प्रत्येक उम्मीदवार अलग-अलग राज्यों से इलेक्टोरल वोट इकट्ठा करता है, जो उम्मीदवार 270 इलेक्टोरल वोट तक पहुंचता है या उससे अधिक वोट प्राप्त करता है, वह लोकप्रिय वोट की परवाह किए बिना राष्ट्रपति पद जीत जाता है.

किसी को न मिले 270 इलेक्टोरल वोट तो क्या होगा?
अमेरिकी संविधान अगर दोनों उम्मीदवारों को 269 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, तो चुनाव का फैसला कांग्रेस के पास चला जाता है और राष्ट्रपति का चुनाव नवनिर्वाचित प्रतिनिधि सभा करेगी, जबकि सीनेट उपराष्ट्रपति का चयन करेगी.

269-269 इलेक्टोरल कॉलेज में बराबरी कैसे हो सकती है
इलेक्टोरल कॉलेज में 269-269 का बराबरी मुश्किल है, लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में ऐसा हो सकता है. उदाहरण के लिए अगर कमला हैरिस विस्कॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिल्वेनिया जैसे प्रमुख राज्यों में जीत हासिल करती हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप जॉर्जिया, एरिजोना, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और नेब्रास्का में एक कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट को सुरक्षित करते हैं, तो प्रत्येक उम्मीदवार के पास ठीक 269 इलेक्टोरल वोट होंगे. इस स्थिति में कोई भी उम्मीदवार 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों में से आवश्यक 270 तक नहीं पहुंच पाएगा.

यह भी पढ़ें- आयोवा के ताजा सर्वे में कमता हैरिस ने ट्रंप को पछाड़ा, सर्वे में चौंकाने वाले संकेत

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