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वॉकी-टॉकी जिसने हिज्बुल्लाह लड़ाकों को डराया, लेबनान में 'कहर' मचा दिया, जानें डिवाइस कैसे करता है काम - Walkie Talkie Blasts in Lebanon

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 20 hours ago

How Walkie talkie Works: लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कई सारे वॉकी-टॉकी में हुए ब्लास्ट में कम से कम 9 लोग मारे गए और 300 घायल हो गए. वॉकी-टॉकी से नया विस्फोट ऐसे समय में हुए हैं जब लेबनान में मंगलवार को पेजर बम विस्फोटों से लोग उबर भी नहीं पाए थे. ऐसा कहा जा रहा है कि, हिजबुल्लाह सदस्यों को लक्षित करके इजराइल ने हमला किया.

AFP
लेबनान की तस्वीर और इनसेट में वॉकी टॉकी की प्रतीकात्मक तस्वीर (AFP)

बेरूत: पेजर में हुए धमाकों के बाद अब वॉकी-टॉकी में विस्फोट होने से पूरा लेबनान एक बार फिर से दहल उठा. इस हमले में अब तक 9 लोगों की मौत हुई है, वहीं 300 से ज्यादा घायल हुए हैं. राजधानी बेरूत के कई इलाकों में धमाकों की जानकारी सामने आई है. अब सवाल है कि, वॉकी-टॉकी में आखिर धमाका कैसे हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेजर की तरह ही वॉकी टॉकी का इस्तेमाल हिज्बुल्लाह के लड़ाके करते हैं.

पेजर्स के साथ ही खरीदे गए थे वॉकी-टॉकी?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आज लेबनान में जिन वॉकी-टॉकी में धमाका हुआ, उन्हें हिजबुल्लाह ने कुछ महीने पहले पेजर्स के साथ ही खरीदा था. वहीं खबर यह भी है कि, हिजबुल्लाह ने वॉकी-टॉकी में धमाकों के लिए भी इजराइल पर आरोप लगाए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच लेबनान में यह दूसरा बड़ा तकनीकी हमला है. सिलसिलेवार पेजर में विस्फोट के लिए हिज्बुल्लाह ने इजराइल को जिम्मेदार ठहराया था. वहीं आज फिर से एक नई विस्फोटों के बाद कई सवालों के बीच वॉकी-टॉकी पर बात करते हैं, जिससे हिज्जबुल्लाह लड़ाकों पर हमला किया गया.

वॉकी टॉकी कैसे काम करता है
वॉकी टॉकी एक बिना तार या इंटरनेट के काम करने वाला वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस है. इस उपकरण की मदद से दो या उससे ज्यादा यूजर्स के बीच संचार सुविधा का आदान-प्रदान होता है.इसका काम करने का मुख्य तंत्र बिना तार के रेडियो संचार है. वॉकी-टॉकी का उपयोग आमतौर पर बाहरी रोमांच, घटनाओं, निर्माण स्थलों, सुरक्षा टीमों और आपातकालीन स्थितियों सहित विभिन्न सेटिंग्स में किया जाता है. वॉकी-टॉकी संचार का एक विश्वसनीय और त्वरित साधन प्रदान करते हैं.

कैसे बनता है नेटवर्क?
इसका उपयोग करने वाले माइक्रोफोन में बोलते हैं, जो ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में कन्वर्ट कर देता है. वहीं, ट्रांसमीटर माइक्रोफोन से इलेक्ट्रीकल सिग्नल लेता है और उन्हें रेडियो तरंगों में कन्वर्ट कर देता है. वहीं, एंटीना संग्राहक रेडियो तरंगों को विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में आसपास के स्थान में संचारित करता है. दूसरी तरफ अन्य वॉकी-टॉकी इकाई का रिसीवर अपने एंटीना के माध्यम से प्रसारित रेडियो तरंगों को उठाता है रिसीवर प्राप्त रेडियो तरंगों को डिमोड्यूलेट करता है, वाहक तरंग से ध्वनि संकेत निकालता है.

साउंड सिग्नल को प्रवर्धित किया जाता है और स्पीकर द्वारा वापस ध्वनि तरंगों में परिवर्तित किया जाता है, जो इसका उपयोग करने वालों को प्रसारित ऑडियो सुनने की अनुमति देता है. वॉकी-टॉकी रिचार्जेबल या बदली जाने योग्य बैटरी से चलती है.

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि,वॉकी-टॉकी रेडियो संचार के लिए स्पेसिफाइड स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी बैंड के अंदर काम करते हैं. संचार की सीमा बिजली उत्पादन, एंटीना डिजाइन, रुकावटों और पर्यावरणीय स्थितियों जैसे कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं.

ये भी पढ़ें: पेजर विस्फोट के बाद वॉकी-टॉकी में धमाकों से दहल गया लेबनान, 9 लोगों की मौत, करीब 300 घायल

बेरूत: पेजर में हुए धमाकों के बाद अब वॉकी-टॉकी में विस्फोट होने से पूरा लेबनान एक बार फिर से दहल उठा. इस हमले में अब तक 9 लोगों की मौत हुई है, वहीं 300 से ज्यादा घायल हुए हैं. राजधानी बेरूत के कई इलाकों में धमाकों की जानकारी सामने आई है. अब सवाल है कि, वॉकी-टॉकी में आखिर धमाका कैसे हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेजर की तरह ही वॉकी टॉकी का इस्तेमाल हिज्बुल्लाह के लड़ाके करते हैं.

पेजर्स के साथ ही खरीदे गए थे वॉकी-टॉकी?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आज लेबनान में जिन वॉकी-टॉकी में धमाका हुआ, उन्हें हिजबुल्लाह ने कुछ महीने पहले पेजर्स के साथ ही खरीदा था. वहीं खबर यह भी है कि, हिजबुल्लाह ने वॉकी-टॉकी में धमाकों के लिए भी इजराइल पर आरोप लगाए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच लेबनान में यह दूसरा बड़ा तकनीकी हमला है. सिलसिलेवार पेजर में विस्फोट के लिए हिज्बुल्लाह ने इजराइल को जिम्मेदार ठहराया था. वहीं आज फिर से एक नई विस्फोटों के बाद कई सवालों के बीच वॉकी-टॉकी पर बात करते हैं, जिससे हिज्जबुल्लाह लड़ाकों पर हमला किया गया.

वॉकी टॉकी कैसे काम करता है
वॉकी टॉकी एक बिना तार या इंटरनेट के काम करने वाला वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस है. इस उपकरण की मदद से दो या उससे ज्यादा यूजर्स के बीच संचार सुविधा का आदान-प्रदान होता है.इसका काम करने का मुख्य तंत्र बिना तार के रेडियो संचार है. वॉकी-टॉकी का उपयोग आमतौर पर बाहरी रोमांच, घटनाओं, निर्माण स्थलों, सुरक्षा टीमों और आपातकालीन स्थितियों सहित विभिन्न सेटिंग्स में किया जाता है. वॉकी-टॉकी संचार का एक विश्वसनीय और त्वरित साधन प्रदान करते हैं.

कैसे बनता है नेटवर्क?
इसका उपयोग करने वाले माइक्रोफोन में बोलते हैं, जो ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में कन्वर्ट कर देता है. वहीं, ट्रांसमीटर माइक्रोफोन से इलेक्ट्रीकल सिग्नल लेता है और उन्हें रेडियो तरंगों में कन्वर्ट कर देता है. वहीं, एंटीना संग्राहक रेडियो तरंगों को विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में आसपास के स्थान में संचारित करता है. दूसरी तरफ अन्य वॉकी-टॉकी इकाई का रिसीवर अपने एंटीना के माध्यम से प्रसारित रेडियो तरंगों को उठाता है रिसीवर प्राप्त रेडियो तरंगों को डिमोड्यूलेट करता है, वाहक तरंग से ध्वनि संकेत निकालता है.

साउंड सिग्नल को प्रवर्धित किया जाता है और स्पीकर द्वारा वापस ध्वनि तरंगों में परिवर्तित किया जाता है, जो इसका उपयोग करने वालों को प्रसारित ऑडियो सुनने की अनुमति देता है. वॉकी-टॉकी रिचार्जेबल या बदली जाने योग्य बैटरी से चलती है.

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि,वॉकी-टॉकी रेडियो संचार के लिए स्पेसिफाइड स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी बैंड के अंदर काम करते हैं. संचार की सीमा बिजली उत्पादन, एंटीना डिजाइन, रुकावटों और पर्यावरणीय स्थितियों जैसे कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं.

ये भी पढ़ें: पेजर विस्फोट के बाद वॉकी-टॉकी में धमाकों से दहल गया लेबनान, 9 लोगों की मौत, करीब 300 घायल

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