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भारत ने मालदीव से सारे सैनिक वापस बुलाए, 10 मई तक की थी डेडलाइन - MALDIVES INDIA MILITARY

India withdraws all military personnel : भारत ने मालदीव से अपने सारे सैनिक वापस बुला लिए हैं. 10 मई की डेडलाइन निर्धारित थी, जिसके पहले सैनिकों की वतन वापसी हो गई है.

Mohamed Muizzu
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (ANI FILE PHOTO)
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By PTI

Published : May 10, 2024, 8:51 PM IST

माले : राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने कहा है कि मालदीव में तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों के आखिरी जत्थे को स्वदेश वापस भेज दिया गया है. यह द्वीपसमूह देश से उनकी पूर्ण वापसी के लिए उनके द्वारा निर्धारित 10 मई की समय सीमा से एक दिन पहले है. मालदीव में तैनात लगभग 90 भारतीय सैन्य कर्मियों की स्वदेश वापसी पिछले साल अपने राष्ट्रपति अभियान के दौरान मुइज्जू की एक प्रमुख प्रतिज्ञा थी.

भारतीय सैन्य कर्मियों का पहला जत्था मार्च की शुरुआत में मालदीव से वापस ले लिया गया था, इसके बाद अप्रैल में दूसरा जत्था रवाना हुआ, जिसमें कुल 51 सैनिक थे. यहां मीडिया ने बताया, हालांकि सभी भारतीय सैन्यकर्मी देश से वापस चले गए हैं, माले ने अंतिम गिनती नहीं दी है.

राष्ट्रपति कार्यालय की मुख्य प्रवक्ता हीना वलीद ने गुरुवार को Sun.mv समाचार पोर्टल को बताया कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों के आखिरी बैच को वापस भेज दिया गया है.

भारतीय सैन्यकर्मी भारत द्वारा पहले उपहार में दिए गए दो हेलीकॉप्टरों और डोर्नियर विमानों के संचालन और रखरखाव के लिए मालदीव में तैनात थे. सरकारी पीएसएम न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, यहां अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बुनियादी ढांचे के रखरखाव, भारतीय प्रशासन द्वारा मालदीव को उदारतापूर्वक उपलब्ध कराए गए हेलीकॉप्टरों और अन्य संसाधनों का लाभ उठाने में योगदान दिया.

सोमवार को मालदीव सरकार ने घोषणा की कि इनमें से 51 सैनिकों को दो बैचों में भारत वापस भेज दिया गया है. सरकार ने पहले आधिकारिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए मालदीव में 89 भारतीय सैनिकों की मौजूदगी की घोषणा की थी. भारत-मालदीव उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की चार दौर की बैठकों के बाद भारत और मालदीव 10 मई से पहले शेष भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हुए थे. आखिरी बैठक 3 मई को नई दिल्ली में हुई थी.

गुरुवार को नई दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारतीय कर्मियों का पहला और दूसरा बैच भारत लौट आया और तीन भारतीय विमानन प्लेटफार्मों को संचालित करने के लिए 'अब सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों की प्रतिनियुक्ति हुई है.'

भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी ऐसे समय हुई जब मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत दौरे पर हैं. उन्होंने गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. जयशंकर ने जमीर को बताया कि भारत-मालदीव संबंधों का विकास 'पारस्परिक हितों' और 'पारस्परिक संवेदनशीलता' पर आधारित है. भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा से पहले जमीर ने मालदीव सरकार के अनुरोध के बाद देश से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने में पूर्ण समर्थन के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया.

मंत्री जमीर ने मिहारू न्यूज़ को बताया, 'यह पहल दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को साबित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि दोनों देशों के सामने आने वाले ऐसे किसी भी मुद्दे को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जा सकता है.'

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और इसकी SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और मोदी सरकार की पड़ोसी प्रथम नीति जैसी पहलों में एक विशेष स्थान रखता है.

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'भारत ने मालदीव के लोगों को पहुंचाया लाभ', द्वीप राष्ट्र के विदेश मंत्री से बोले एस जयशंकर

माले : राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने कहा है कि मालदीव में तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों के आखिरी जत्थे को स्वदेश वापस भेज दिया गया है. यह द्वीपसमूह देश से उनकी पूर्ण वापसी के लिए उनके द्वारा निर्धारित 10 मई की समय सीमा से एक दिन पहले है. मालदीव में तैनात लगभग 90 भारतीय सैन्य कर्मियों की स्वदेश वापसी पिछले साल अपने राष्ट्रपति अभियान के दौरान मुइज्जू की एक प्रमुख प्रतिज्ञा थी.

भारतीय सैन्य कर्मियों का पहला जत्था मार्च की शुरुआत में मालदीव से वापस ले लिया गया था, इसके बाद अप्रैल में दूसरा जत्था रवाना हुआ, जिसमें कुल 51 सैनिक थे. यहां मीडिया ने बताया, हालांकि सभी भारतीय सैन्यकर्मी देश से वापस चले गए हैं, माले ने अंतिम गिनती नहीं दी है.

राष्ट्रपति कार्यालय की मुख्य प्रवक्ता हीना वलीद ने गुरुवार को Sun.mv समाचार पोर्टल को बताया कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों के आखिरी बैच को वापस भेज दिया गया है.

भारतीय सैन्यकर्मी भारत द्वारा पहले उपहार में दिए गए दो हेलीकॉप्टरों और डोर्नियर विमानों के संचालन और रखरखाव के लिए मालदीव में तैनात थे. सरकारी पीएसएम न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, यहां अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बुनियादी ढांचे के रखरखाव, भारतीय प्रशासन द्वारा मालदीव को उदारतापूर्वक उपलब्ध कराए गए हेलीकॉप्टरों और अन्य संसाधनों का लाभ उठाने में योगदान दिया.

सोमवार को मालदीव सरकार ने घोषणा की कि इनमें से 51 सैनिकों को दो बैचों में भारत वापस भेज दिया गया है. सरकार ने पहले आधिकारिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए मालदीव में 89 भारतीय सैनिकों की मौजूदगी की घोषणा की थी. भारत-मालदीव उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की चार दौर की बैठकों के बाद भारत और मालदीव 10 मई से पहले शेष भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हुए थे. आखिरी बैठक 3 मई को नई दिल्ली में हुई थी.

गुरुवार को नई दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारतीय कर्मियों का पहला और दूसरा बैच भारत लौट आया और तीन भारतीय विमानन प्लेटफार्मों को संचालित करने के लिए 'अब सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों की प्रतिनियुक्ति हुई है.'

भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी ऐसे समय हुई जब मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत दौरे पर हैं. उन्होंने गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. जयशंकर ने जमीर को बताया कि भारत-मालदीव संबंधों का विकास 'पारस्परिक हितों' और 'पारस्परिक संवेदनशीलता' पर आधारित है. भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा से पहले जमीर ने मालदीव सरकार के अनुरोध के बाद देश से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने में पूर्ण समर्थन के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया.

मंत्री जमीर ने मिहारू न्यूज़ को बताया, 'यह पहल दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को साबित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि दोनों देशों के सामने आने वाले ऐसे किसी भी मुद्दे को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जा सकता है.'

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और इसकी SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और मोदी सरकार की पड़ोसी प्रथम नीति जैसी पहलों में एक विशेष स्थान रखता है.

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