वाशिंगटन: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत, अमेरिका और पश्चिम के अन्य देश बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहे हैं, जबकि चीन ऐसा नहीं कर रहा है क्योंकि वह वैश्विक उत्पादन पर हावी है. उन्होंने भारत में विनिर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया.
रविवार को डलास में टेक्सास विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान गांधी ने कहा कि भारत में कौशल की कोई कमी नहीं है और अगर देश उत्पादन के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दे तो वह चीन से प्रतिस्पर्धा कर सकता है. उन्होंने व्यावसायिक प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि व्यापार प्रणाली और शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटा जा सके और शिक्षा प्रणाली पर 'वैचारिक कब्जे' की ओर इशारा किया.
राहुल गांधी चार दिवसीय अनौपचारिक अमेरिकी यात्रा पर हैं. इस दौरान वे डलास, टेक्सास और वाशिंगटन डीसी में रुककर भारतीय प्रवासियों और युवाओं से बातचीत करेंगे. सोमवार से शुरू हो रही वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के दौरान वे सांसदों और अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिलने की योजना बना रहे हैं.
वे शनिवार रात डलास पहुंचे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और इंडियन नेशनल ओवरसीज कांग्रेस अमेरिका के अध्यक्ष मोहिंदर गिलजियान के नेतृत्व में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के दर्जनों सदस्यों ने उनका स्वागत किया. गांधी ने कहा, 'पश्चिम में रोजगार की समस्या है. भारत में रोजगार की समस्या है लेकिन दुनिया के कई देशों में रोजगार की समस्या नहीं है. चीन में निश्चित रूप से रोजगार की समस्या नहीं है. वियतनाम में रोजगार की समस्या नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'यदि आप 1940, 50 और 60 के दशक में अमेरिका को देखें तो वो वैश्विक उत्पादन का केंद्र था. जो कुछ भी बनाया जाता था, (चाहे वह कार हो, वाशिंग मशीन हो या टीवी हो), सब अमेरिका में बनाया जाता था. उत्पादन अमेरिका से स्थानांतरित हुआ. यह कोरिया गया और फिर जापान गया. अंततः यह चीन चला गया. यदि आप आज देखें तो चीन वैश्विक उत्पादन पर हावी है.'
पश्चिम, अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को त्याग दिया है और उन्होंने इसे चीन को सौंप दिया है. उत्पादन का कार्य रोजगार पैदा करता है. हम जो करते हैं, जो अमेरिकी करते हैं, जो पश्चिम करता है, वह यह है कि हम उपभोग को व्यवस्थित करते हैं. भारत को उत्पादन के कार्य और उत्पादन को व्यवस्थित करने के बारे में सोचना होगा.
गांधी ने कहा, 'यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत केवल यह कहे कि ठीक है, विनिर्माण, जिसे आप उत्पादन कहते हैं, वह चीनियों का अधिकार होगा. यह वियतनामियों का अधिकार होगा. यह बांग्लादेश का अधिकार होगा.' उन्होंने विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, 'जब तक हम ऐसा नहीं करते, हमें बेरोजगारी के उच्च स्तर का सामना करना पड़ेगा और स्पष्ट रूप से यह टिकाऊ नहीं है. इसलिए, आप देखेंगे कि अगर हम विनिर्माण को भूलने के इस रास्ते पर चलते रहेंगे, तो आप भारत, अमेरिका और यूरोप में भारी सामाजिक समस्याओं को देखेंगे. हमारी राजनीति का ध्रुवीकरण इसी वजह से है.'
विपक्ष के नेता के अनुसार, भारत में कौशल की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा, 'कई लोग कहते हैं कि भारत में कौशल की समस्या है. मुझे नहीं लगता कि भारत में कौशल की कोई समस्या है. मुझे लगता है भारत में कौशल रखने वाले लोगों के प्रति सम्मान नहीं है.' गांधी ने कहा कि व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को व्यवसाय प्रणाली से जोड़ने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, 'इस अंतर को पाटना या इन दो प्रणालियों, कौशल और शिक्षा को व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से जोड़ना मौलिक है. मुझे लगता है कि वर्तमान में शिक्षा प्रणाली के साथ सबसे बड़ी समस्या वैचारिक कब्जा है, जहां विचारधारा को इसके माध्यम से खिलाया जा रहा है.' उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि भारत चीन से मुकाबला कर सकता है, अगर वह उत्पादन के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दे और कौशल का सम्मान करना शुरू कर दे.
राहुल गांधी ने कहा, 'मैं इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हूं. तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही यह कर दिखाया है. ऐसा नहीं है कि भारतीय राज्यों ने ऐसा नहीं किया है. पुणे ने यह कर दिखाया है. महाराष्ट्र ने यह कर दिखाया है. इसलिए, यह किया जा रहा है, लेकिन यह उस पैमाने और समन्वय के साथ नहीं किया जा रहा है, जिसकी आवश्यकता है.'