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भारत-चीन संबंध बहुत जटिल और आर्थिक संबंध अनुचित रहे हैं: विदेश मंत्री जयशंकर - India China relations

India- China Relations, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध काफी जटिल रहे हैं. साथ ही कहा कि चीन के साथ आर्थिक संबंध अनुचित और असंतुलित रहे हैं. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

External Affairs Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 12, 2024, 10:27 PM IST

नई दिल्ली: भारत-चीन संबंध बहुत जटिल रहे हैं. साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार के मुद्दों पर लंबे समय से चल रहे संघर्ष को भी उजागर करते हुए कहा कि चीन के साथ आर्थिक संबंध अनुचित और असंतुलित रहे हैं. उक्त बातें विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर गुरुवार एक बातचीत में कहीं. बता दें कि विदेश मंत्री जिनेवा की यात्रा पर हैं. यह बयान चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में वांग डेमिंग द्वारा लिखे गए 'भारत की कूटनीति में 'एस. जयशंकर समस्या' हैं' शीर्षक वाले एक लेख को हटाने के बाद आया है. लेख में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर पर चीन के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के लिए हमला किया गया था.

लेख में दावा किया गया था कि भारत-चीन संबंधों में सुधार हो रहा है, लेकिन जयशंकर की भारत में चीन समस्या जैसी टिप्पणियां इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं. लेख में यह भी संकेत दिया गया कि जयशंकर की टिप्पणियां व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ के लिए हैं.

जिनेवा में एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा, 'यह (भारत-चीन) एक बहुत ही जटिल रिश्ता है...जब कोई देश आगे बढ़ता है तो उसका असर पड़ोस पर भी पड़ता है. हमारे बीच पहले भी अच्छे रिश्ते नहीं थे.हमारे बीच कई समझौते हुए थे जिससे सीमा पर स्थिरता आई. 2020 में जो हुआ, वह यह था कि कई समझौतों का उल्लंघन करते हुए चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया. जवाब में हमने भी अपने सैनिकों को तैनात किया.चीन के साथ सीमा वार्ता में कुछ प्रगति हुई है.

जयशंकर ने दावा किया कि 75 फीसदी विघटन समस्याओं का समाधान हो गया है. उन्होंने कहा, 'यदि विघटन का कोई समाधान है और शांति और स्थिरता की वापसी होती है, तो हम अन्य संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं.चीन के साथ आर्थिक संबंध बहुत अनुचित रहे हैं.' जयशंकर 12 से 13 सितंबर तक आधिकारिक यात्रा पर जिनेवा में हैं. उल्लेखनीय है कि जिनेवा बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र निकायों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों केंद्र है.

इस बीच, गुरुवार को नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान भारत-चीन संबंधों पर एक सवाल के जवाब में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत-चीन संबंधों पर, विदेश मंत्री ने हाल ही में बर्लिन और यहां सहित कई मौकों पर इस बारे में बात की है. हम आपको उस तंत्र में WMCC के साथ हमारी बातचीत में हुए घटनाक्रमों से भी अवगत कराते रहे हैं. 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से ही दोनों दक्षिण एशियाई दिग्गजों के बीच संबंध बेहद निचले स्तर पर हैं. दोनों देशों ने सैन्य गतिरोध, व्यापार मुद्दों और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण तनाव में वृद्धि का अनुभव किया है. इसके अतिरिक्त, पश्चिमी देशों के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल जैसे भू-राजनीतिक संरेखण ने उनके संबंधों को और जटिल बना दिया है. चल रहे सीमा विवाद और स्पष्ट समाधान की कमी उनके राजनयिक संबंधों को प्रभावित करती रहती है.

ये भी पढ़ें- भारत क्यों चाहता है कि जर्मनी अपने डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट कंट्रोल में ढील दे?

नई दिल्ली: भारत-चीन संबंध बहुत जटिल रहे हैं. साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार के मुद्दों पर लंबे समय से चल रहे संघर्ष को भी उजागर करते हुए कहा कि चीन के साथ आर्थिक संबंध अनुचित और असंतुलित रहे हैं. उक्त बातें विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर गुरुवार एक बातचीत में कहीं. बता दें कि विदेश मंत्री जिनेवा की यात्रा पर हैं. यह बयान चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में वांग डेमिंग द्वारा लिखे गए 'भारत की कूटनीति में 'एस. जयशंकर समस्या' हैं' शीर्षक वाले एक लेख को हटाने के बाद आया है. लेख में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर पर चीन के खिलाफ उनकी टिप्पणियों के लिए हमला किया गया था.

लेख में दावा किया गया था कि भारत-चीन संबंधों में सुधार हो रहा है, लेकिन जयशंकर की भारत में चीन समस्या जैसी टिप्पणियां इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं. लेख में यह भी संकेत दिया गया कि जयशंकर की टिप्पणियां व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ के लिए हैं.

जिनेवा में एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा, 'यह (भारत-चीन) एक बहुत ही जटिल रिश्ता है...जब कोई देश आगे बढ़ता है तो उसका असर पड़ोस पर भी पड़ता है. हमारे बीच पहले भी अच्छे रिश्ते नहीं थे.हमारे बीच कई समझौते हुए थे जिससे सीमा पर स्थिरता आई. 2020 में जो हुआ, वह यह था कि कई समझौतों का उल्लंघन करते हुए चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया. जवाब में हमने भी अपने सैनिकों को तैनात किया.चीन के साथ सीमा वार्ता में कुछ प्रगति हुई है.

जयशंकर ने दावा किया कि 75 फीसदी विघटन समस्याओं का समाधान हो गया है. उन्होंने कहा, 'यदि विघटन का कोई समाधान है और शांति और स्थिरता की वापसी होती है, तो हम अन्य संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं.चीन के साथ आर्थिक संबंध बहुत अनुचित रहे हैं.' जयशंकर 12 से 13 सितंबर तक आधिकारिक यात्रा पर जिनेवा में हैं. उल्लेखनीय है कि जिनेवा बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र निकायों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों केंद्र है.

इस बीच, गुरुवार को नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान भारत-चीन संबंधों पर एक सवाल के जवाब में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत-चीन संबंधों पर, विदेश मंत्री ने हाल ही में बर्लिन और यहां सहित कई मौकों पर इस बारे में बात की है. हम आपको उस तंत्र में WMCC के साथ हमारी बातचीत में हुए घटनाक्रमों से भी अवगत कराते रहे हैं. 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से ही दोनों दक्षिण एशियाई दिग्गजों के बीच संबंध बेहद निचले स्तर पर हैं. दोनों देशों ने सैन्य गतिरोध, व्यापार मुद्दों और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण तनाव में वृद्धि का अनुभव किया है. इसके अतिरिक्त, पश्चिमी देशों के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल जैसे भू-राजनीतिक संरेखण ने उनके संबंधों को और जटिल बना दिया है. चल रहे सीमा विवाद और स्पष्ट समाधान की कमी उनके राजनयिक संबंधों को प्रभावित करती रहती है.

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