बीजिंग: स्थानीय लोगों एवं विदेशियों को म्यांमा के घोटाला केंद्रों में काम करने के लिए प्रलोभन देने में जुटे गिरोहों के खिलाफ चीन के कार्रवाई तेज करने के बीच वहां की एक अदालत ने सोमवार को सीमापार दूरसंचार धोखाधड़ी मामलों में शामिल चार 'बड़े लोगों' को उम्रकैद की सजा सुनायी.
सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट (एसपीसी) ने कहा कि चारों आरोपी दूरसंचार धोखाधड़ी संगठन बनाने के लिए चीन से चले गए थे, जिनमें से यू उपनाम वाले एक व्यक्ति ने कई लोगों को इस अपराध के वास्ते विदेश जाने के लिए एकजुट किया. एसपीसी ने हाल में चीनी अदालतों द्वारा निपटाए गए मामलों का विवरण जारी करते हुए कहा कि एक अन्य मामले में आरोपी यांग को उसी अपराध में दोबारा शामिल होने के लिए कड़ी सजा सुनायी गयी. उसे पहले भी दूरसंचार धोखाधड़ी में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया गया था.
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी कि एक अन्य मामले में पाया गया कि दो अभियुक्तों ने दूरसंचार घोटालों के वास्ते नाबालिगों की भर्ती की. एसपीसी ने कहा कि अपराध में सहयोगी होने तथा अपराध स्वीकार करने के बावजूद उन्हें कठोर सजा सुनायी गयी.
उसने कहा कि अभियुक्तों पर कठोर दंड लगाने के साथ-साथ अदालतों ने अपराधियों को धोखाधड़ी से प्राप्त धन वापस करने का आदेश दिया तथा पीड़ितों को आश्वासन दिया कि उन्हें जब्त धन वापस दिलाया जाएगा. इस महीने के प्रारंभ में भारत समेत 20 देशों के सैकड़ों लोगों को एक जातीय सशस्त्र समूह द्वारा रिहा कर दिया गया और थाईलैंड भेज दिया गया. इन लोगों से म्यांमा के करेन राज्य में दूरसंचार धोखाधड़ी केंद्रों में जबरन काम कराया गया था.
ये समूह विदेशी श्रमिकों को अच्छे वेतन का लालच देकर घोटाला केन्द्रों में काम करने के लिए प्रेरित करते थे या कुछ मामलों में उन्हें यह कहकर धोखा देते थे कि वे म्यांमा में नहीं, बल्कि थाईलैंड में अलग काम करेंगे. थाईलैंड से बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घोटालेबाजों ने साइबर धोखाधड़ी के लिए लक्षित लोगों की भाषाओं आमतौर पर अंग्रेजी और चीनी में कुशल श्रमिकों की भर्ती की.
ये घोटालेबाज खुद को अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत करते हैं और ये भारत एवं कई अन्य देशों में बैंकिंग धोखाधड़ी करते हैं. घोटालेबाज पीड़ितों को ऑनलाइन कॉल में पैसे देने की धमकी देते हैं. इन ऑनलाइन घोटालों में लोगों का पैसों का बड़ा नुकसान होता है. इन घोटालों की गूंज भारत, चीन एवं कई अन्य देशों में सुनाई दे रही है. बीबीसी ने पहले बताया था कि मुक्त किए गए विदेशी श्रमिकों को डेमोक्रेटिक करेन बेनेवोलेंट आर्मी (डीकेबीए) द्वारा थाई सेना को सौंप दिया गया था. डीकेबीए उन कई सशस्त्र गुटों में से एक है जिसका करेन राज्य के क्षेत्रों पर नियंत्रण है.
इन सशस्त्र समूहों पर अपने संरक्षण में कई घोटाला परिसर से संचालन करने की अनुमति देने का आरोप है. उनपर यह भी आरोप है कि वे इन परिसर में काम करने के लिए मजबूर किए गए और तस्करी के जरिए लाये गये लोगों के साथ व्यापक दुर्व्यवहार की छूट देते हैं.