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अमेरिका: वर्जीनिया में सैकड़ों प्रवासी भारतीयों ने 'संध्या अर्घ्य' के साथ मनाया छठ

Chhath puja 2024: पोटोमैक नदी के तट पर सैकड़ों भारतीयों ने सूर्य को अर्घ्य दिया.

CHHATH PUJA 2024
वर्जीनिया में छठ पूजा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

वर्जीनिया: छठ पूजा 2024 की धूम पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. भारत में तो इसकी विशेष महत्ता तो है ही, लेकिन विदेशों में अब जोर-शोर से यह मनाया जाने लगा है. अमेरिका के भी अलग-अलग प्रांतों में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. वर्जीनिया में गुरुवार को दिनभर छठ के गीत गूंजते रहे. सैकड़ों प्रवासी भारतीय पोटोमैक नदी के किनारे छठ मनाने के लिए जमा हुए. पूरे दिन पूजा की तैयारियां करने के बाद श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया.

यहां एक प्रवासी भारतीय कृपा शंकर सिंह ने बताया कि हम लोगों के लिए अब अपनी मातृभूमि को, अपने कल्चर को याद रखना, इससे बड़ी सौभाग्य की बात तो कुछ हो ही नहीं सकती. मां को याद करते हैं, मां जो करती थी आज भी हम उसको मेंटेन कर रहे हैं. इससे बड़ी सौभाग्य की बात हमारे लिए कुछ हो नहीं सकती हैं.

वहीं, दूसरे प्रवासी भारतीय ने कहा कि अमेरिका में तो बहुत ताज्जुब की बात है, पर यहां पर भी होने लगा है. अच्छा लगता है. पहले हम सोचते थे यहां नहीं होता होगा, लेकिन अब हम देखते हैं ये तो बहुत अच्छा होने लगा.

बता दें, छठ का पर्व सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित है. नदी के किनारे श्रद्धालु पारंपरिक भारतीय वेशभूषा में थे. अलग-अलग बैकग्राउंड का होने के बावजूद हर कोई छठी मईया की आराधना में डूबा था. प्रवासी भारतीय ने आगे कहा कि कभी हम लोग नहीं सोचे थे कि इतना बड़ा ग्रुप हो जाएगा और सब लोग बहुत अच्छे से पार्टिसिपेट करते हैं. बहुत अच्छे से करते हैं और बहुत श्रद्धा के साथ करते हैं. कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें देखकर कुछ गैर-भारतीय मूल के लोगों ने भी छठ मनाना शुरू कर दिया है.

पूजा करते हुए प्रवासी भारतीय ने कहा कि विदेशी लोग भी बहुत इंटरेस्ट लेते हैं. सुबह में वो लोग स्पेशली प्रसाद खाने आते हैं. ठेकुआ, जो कि यहां के लिए ओह आई लव दिस 'कुकीज' सो हम लोग खुशी से उनको प्रोवाइड करते हैं, जलेबी देते हैं समोसा देते हैं, सुबह में सब कुछ हम लोग करते हैं.

प्रवासी भारतीय ने आगे कहा कि अमेरिका के हर जगह से लोग आते हैं. हमारे घर में हर साल लोग आते हैं. न्यूयॉर्क से, न्यू जर्सी से, कनक्टीकट से, शिकागो से, चार्लेट से, टेक्सास से. और हर साल मेरे यहां सात-आठ फैमिली तो होती ही है, जो इतनी दूर से लोग आते हैं और छठ करने में हमारा हेल्प करते हैं. चार दिन चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई. दूसरे दिन खरना मनाया गया. व्रतियों ने गुड़ में बना चावल का खीर खाया. इसके साथ ही उनका 36 घंटे लंबा उपवास शुरू हुआ. उपवास के दौरान व्रती पानी भी नहीं पीते.

तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया गया. इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए और आतिशबाजियां छोड़ी गईं. यहां वर्जीनिया में भी बहुत धूमधाम से छठ की छटा बिखरी हुई है और हम यहां बड़े उत्साह से इस पूजा का आनंद उठा रहे हैं. यहां भी हम लोगों की तरह एकदम सेम टू सेम हो रहा है. देख के बहुत अच्छा लग रहा है. बार-बार इमोशनल हो जा रहा है इंसान कि अरे कुछ डिफरेंस नहीं है. पानी में जाना है और सबको जल देना है सूर्य भगवान को. व्रत रख रहे हैं वो लोग. सब लोग अच्छे से, मतलब जैसा होता है हमारी तरफ वैसा ही बिल्कुल कर रहे हैं. चौथे और आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा खत्म होगी. व्रती महिलाएं पारण करके 36 घंटे का उपवास खत्म करेंगी. आखिरी दिन दिए गए अर्घ्य को उषा अर्घ्य कहा जाता है.

पढ़ें: छठ महापर्व संपन्न, उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य, छठी मईया को लगा ठेकुआ का भोग

वर्जीनिया: छठ पूजा 2024 की धूम पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. भारत में तो इसकी विशेष महत्ता तो है ही, लेकिन विदेशों में अब जोर-शोर से यह मनाया जाने लगा है. अमेरिका के भी अलग-अलग प्रांतों में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. वर्जीनिया में गुरुवार को दिनभर छठ के गीत गूंजते रहे. सैकड़ों प्रवासी भारतीय पोटोमैक नदी के किनारे छठ मनाने के लिए जमा हुए. पूरे दिन पूजा की तैयारियां करने के बाद श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया.

यहां एक प्रवासी भारतीय कृपा शंकर सिंह ने बताया कि हम लोगों के लिए अब अपनी मातृभूमि को, अपने कल्चर को याद रखना, इससे बड़ी सौभाग्य की बात तो कुछ हो ही नहीं सकती. मां को याद करते हैं, मां जो करती थी आज भी हम उसको मेंटेन कर रहे हैं. इससे बड़ी सौभाग्य की बात हमारे लिए कुछ हो नहीं सकती हैं.

वहीं, दूसरे प्रवासी भारतीय ने कहा कि अमेरिका में तो बहुत ताज्जुब की बात है, पर यहां पर भी होने लगा है. अच्छा लगता है. पहले हम सोचते थे यहां नहीं होता होगा, लेकिन अब हम देखते हैं ये तो बहुत अच्छा होने लगा.

बता दें, छठ का पर्व सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित है. नदी के किनारे श्रद्धालु पारंपरिक भारतीय वेशभूषा में थे. अलग-अलग बैकग्राउंड का होने के बावजूद हर कोई छठी मईया की आराधना में डूबा था. प्रवासी भारतीय ने आगे कहा कि कभी हम लोग नहीं सोचे थे कि इतना बड़ा ग्रुप हो जाएगा और सब लोग बहुत अच्छे से पार्टिसिपेट करते हैं. बहुत अच्छे से करते हैं और बहुत श्रद्धा के साथ करते हैं. कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें देखकर कुछ गैर-भारतीय मूल के लोगों ने भी छठ मनाना शुरू कर दिया है.

पूजा करते हुए प्रवासी भारतीय ने कहा कि विदेशी लोग भी बहुत इंटरेस्ट लेते हैं. सुबह में वो लोग स्पेशली प्रसाद खाने आते हैं. ठेकुआ, जो कि यहां के लिए ओह आई लव दिस 'कुकीज' सो हम लोग खुशी से उनको प्रोवाइड करते हैं, जलेबी देते हैं समोसा देते हैं, सुबह में सब कुछ हम लोग करते हैं.

प्रवासी भारतीय ने आगे कहा कि अमेरिका के हर जगह से लोग आते हैं. हमारे घर में हर साल लोग आते हैं. न्यूयॉर्क से, न्यू जर्सी से, कनक्टीकट से, शिकागो से, चार्लेट से, टेक्सास से. और हर साल मेरे यहां सात-आठ फैमिली तो होती ही है, जो इतनी दूर से लोग आते हैं और छठ करने में हमारा हेल्प करते हैं. चार दिन चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई. दूसरे दिन खरना मनाया गया. व्रतियों ने गुड़ में बना चावल का खीर खाया. इसके साथ ही उनका 36 घंटे लंबा उपवास शुरू हुआ. उपवास के दौरान व्रती पानी भी नहीं पीते.

तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया गया. इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए और आतिशबाजियां छोड़ी गईं. यहां वर्जीनिया में भी बहुत धूमधाम से छठ की छटा बिखरी हुई है और हम यहां बड़े उत्साह से इस पूजा का आनंद उठा रहे हैं. यहां भी हम लोगों की तरह एकदम सेम टू सेम हो रहा है. देख के बहुत अच्छा लग रहा है. बार-बार इमोशनल हो जा रहा है इंसान कि अरे कुछ डिफरेंस नहीं है. पानी में जाना है और सबको जल देना है सूर्य भगवान को. व्रत रख रहे हैं वो लोग. सब लोग अच्छे से, मतलब जैसा होता है हमारी तरफ वैसा ही बिल्कुल कर रहे हैं. चौथे और आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा खत्म होगी. व्रती महिलाएं पारण करके 36 घंटे का उपवास खत्म करेंगी. आखिरी दिन दिए गए अर्घ्य को उषा अर्घ्य कहा जाता है.

पढ़ें: छठ महापर्व संपन्न, उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य, छठी मईया को लगा ठेकुआ का भोग

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