इस्लामाबाद/लाहौर : जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी की विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उनके समर्थकों की रैलियों को रोकने के लिए शनिवार को इस्लामाबाद और लाहौर में सेना को तैनात कर दिया गया. विरोध का आह्वान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के संस्थापक ने किया था, जो एक साल से अधिक समय से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं.
पीटीआई खान की रिहाई, न्यायपालिका के साथ एकजुटता व्यक्त करने और मुद्रास्फीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है. पीटीआई समर्थकों के विरोध प्रदर्शन की योजना के साथ आगे बढ़ने के कारण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना के जवानों को तैनात किया गया था. यह तैनाती तब की गई जब खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर के नेतृत्व में पीटीआई समर्थक विरोध प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में डी-चौक की ओर बढ़ रहे थे.
صورتحال، آپ ہمارے بھائی ہیں ہم پرامن لوگ ہیں، پی ٹی آئی کارکن۔۔۔!!! pic.twitter.com/SDucLlnxBD
— Mughees Ali (@mugheesali81) October 5, 2024
हालांकि, गंदापुर के नेतृत्व वाले काफिले को रावलपिंडी के पास पहुंचते ही पुलिस की कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ा. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए भारी आंसू गैस के गोले दागे. 72 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर से राजनेता बने खान ने सरकार के आह्वान के बावजूद विरोध प्रदर्शन स्थगित करने से इनकार कर दिया था. डॉन अखबार के मुताबिक गंदापुर शनिवार दोपहर इस्लामाबाद पहुंचे और केपी हाउस में ठहरे। इसमें कहा गया है कि गंदापुर को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस और रेंजर्स की भारी टुकड़ी केपी हाउस में घुस गई है.
عوام کا بڑا قافلہ ڈی چوک کی طرف بڑھتے ہوئے! جوش اور جذبہ عروج پر۔#چلو_چلو_ڈی_چوک_چلو pic.twitter.com/dxsXfnE9fh
— PTI (@PTIofficial) October 5, 2024
पीटीआई समर्थकों को इस्लामाबाद में प्रवेश करने या डी-चौक तक पहुंचने से रोकने के लिए अधिकारी सख्त कदम उठा रहे हैं. अधिकारियों ने धारा 144 भी लागू कर दी है, जिसके तहत रावलपिंडी और इस्लामाबाद के जुड़े शहरों में सार्वजनिक सभाओं, राजनीतिक सभाओं और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, ताकि किसी भी राजनीतिक सभा या विरोध प्रदर्शन को गैरकानूनी घोषित किया जा सके. साथ ही इन शहरों को जोड़ने वाली मेट्रो बस सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया. वहीं प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक रेंजर्स को भी तैनात किया गया था.
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