कोलंबो: मार्क्सवादी सांसद अनुरा कुमार दिसानायके ने सोमवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है. इससे एक दिन पहले देश के चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की घोषणा की थी. 56 वर्षीय दिसानायके को राष्ट्रपति सचिवालय में मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने शपथ दिलाई.
मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के व्यापक मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के नेता दिसानायके ने शनिवार के चुनाव में समागी जन बालवेगया (SJB) के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी साजिथ प्रेमदासा को हराया था.
दिसानायके के शपथ लेने से कुछ समय पहले श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने राष्ट्रपति चुनाव के बाद देश में सत्ता परिवर्तन के तहत अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 75 वर्षीय गुणवर्धने जुलाई 2022 से प्रधानमंत्री थे.
This morning (23rd), I took oath as the 9th Executive President of the Democratic Socialist Republic of Sri Lanka in the presence of Chief Justice Jayantha Jayasuriya at the Presidential Secretariat.
— Anura Kumara Dissanayake (@anuradisanayake) September 23, 2024
I promise to fulfill your responsibility to usher in a new era of Renaissance… pic.twitter.com/TFJuyh9SbC
सजित प्रेमदासा और रानिल विक्रमसिंघे की हार
दिसानायके, जिनके मजदूर वर्ग के पक्षधर और राजनीतिक अभिजात वर्ग के विरोधी अभियान ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया. उन्होंने विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा और मौजूदा उदारवादी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर जीत हासिल की, जिन्होंने दो साल पहले देश की अर्थव्यवस्था के खराब होने के बाद सत्ता संभाली थी. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, दिसानायके को 5,740,179 वोट मिले, जबकि प्रेमदासा को 4,530,902 वोट मिले थे.
दिसानायके का बयान
दिसानायके ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि शनिवार को हुए चुनाव महत्वपूर्ण थे क्योंकि देश अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट और उसके परिणामस्वरूप राजनीतिक उथल-पुथल से उबरने की कोशिश कर रहा है. यह उपलब्धि किसी एक व्यक्ति के काम का नतीजा नहीं है, बल्कि आप जैसे लाखों लोगों के सामूहिक प्रयास का नतीजा है. आपकी प्रतिबद्धता ने हमें यहां तक पहुंचाया है और इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं. यह जीत हम सभी की है.
विक्रमसिंघे ने दी बधाई
वहीं, निवर्तमान राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने एक वीडियो बयान में दिसानायके को बधाई दी और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे आर्थिक सुधार के प्रयासों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाएंगे. चुनाव विक्रमसिंघे के नेतृत्व पर एक आभासी जनमत संग्रह था, जिसमें 2022 में चूक के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट के तहत श्रीलंका के ऋण का पुनर्गठन शामिल था.
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