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जरूरी है किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को संबोधित करना

Mental Health In Teenagers : किशोर पीढ़ी के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने तथा उन्हे मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े मुद्दों व उनके निदान की जरूरत को लेकर शिक्षित व जागरूक करने के उद्देश्य से वैश्विक स्तर पर हर साल 2 मार्च को विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

World Teen mental Wellness Day 2024
किशोरावस्था में मानसिक स्वास्थ्य
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 1, 2024, 1:31 PM IST

हैदराबाद : किशोरावस्था उम्र का वह दौर है जब बच्चे सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी बचपन से वयस्कता की बढ़ते हैं. यह वह समय है जब पढ़ाई के दबाव, अच्छी इमेज बनाने, दोस्तों में स्मार्ट दिखने या आकर्षक छवि की चाह, भविष्य को लेकर चिंताएं तथा सामाजिक व्यवस्थाओं से परिचय जैसे उनके लिए क्या गलत है और क्या सही, जैसी बातों को लेकर बच्चों में एंजायटी बढ़ने लगती है.

बचपन से युवावस्था की ओर बढ़ने के इस सफर में बहुत से किशोर सिर्फ तनाव, चिंता व अवसाद ही नहीं बल्कि कई अन्य तरह की मानसिक समस्याओं या विकारों का भी सामना करते हैं. लेकिन कभी जानकारी व जागरूकता के अभाव में, कभी किसी भ्रम के चलते तो कभी समाज में हास्य का पात्र बनने के डर के चलते बच्चों में इस समस्याओं को समय से संबोधित नहीं किया जाता है. जो कुछ मामलों में ना सिर्फ समस्याओं के ज्यादा गंभीर होने या बच्चों के मानसिक विकास में बाधा बनने का कारण बन सकता है.

किशोर बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर तथा उनमें मानसिक स्वास्थ्य कल्याण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 2 मार्च को विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस मनाया जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

वैश्विक स्तर पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों की बात करें तो दुनिया भर में अनुमानित 10 से 20 फीसदी किशोर बच्चे अलग-अलग प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का अनुभव करते हैं. वर्ष 2019 की यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार अनुमानतः हर सात में से एक किशोर मानसिक विकारों का अनुभव करता है . इनमें 10-19 आयु वर्ग के लगभग 40 फीसदी किशोर चिंता और अवसाद विकार, 20.1 फीसदी किशोर आचरण संबंधी विकार तथा 19.5 फीसदी किशोर ध्यान-अभाव अतिसक्रियता विकार का सामना करते हैं. वहीं वहीं मेंटल हेल्थ फाउंडेशन यूके के आंकड़ों के अनुसार किशोरों में लगभग 50 फीसदी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं 14 साल की उम्र में नजर आने लगती हैं. इनमें से 5 से 16 वर्ष के किशोरों में लगभग 10 फीसदी समस्याओं का पूरी तरह से निदान संभव होता है. लेकिन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करने वाले लगभग 70 फीसदी बच्चों और किशोरों को अलग अलग कारणों से कम उम्र में मदद नहीं नहीं मिल पाती है.

विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस
विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस के आयोजन का उद्देश्य सिर्फ किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करना व उन्हे लेकर जागरूकता फैलाना ही नहीं है, बल्कि लोगों में इस अवधारणा को दूर करना भी कि मानसिक समस्याओं का होना कोई कलंक नहीं है.

दरअसल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर कई तरह के भ्रम देखे जाते हैं. वहीं विशेषतौर बच्चों के मामले में बहुत से माता पिता इस तथ्य को मानने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं कि उनका बच्चा किसी तरह की समस्या का सामना कर रहा है और उसे मदद की जरूरत है. यह आयोजन ऐसे ही मुद्दों को संबोधित करने तथा किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े भ्रमों को दूर करने के लिए प्रयास करने का मौका देता है. इसके अलावा विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस लोगों को किशोरों में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी बातों व उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा के लिए एक मंच व मौका भी देता है. इस अवसर पर दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कार्य कर रही सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा रैली, गोष्ठी, शिविर, प्रतियोगिताओं व चर्चाओं का आयोजन किया जाता है.

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हैदराबाद : किशोरावस्था उम्र का वह दौर है जब बच्चे सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी बचपन से वयस्कता की बढ़ते हैं. यह वह समय है जब पढ़ाई के दबाव, अच्छी इमेज बनाने, दोस्तों में स्मार्ट दिखने या आकर्षक छवि की चाह, भविष्य को लेकर चिंताएं तथा सामाजिक व्यवस्थाओं से परिचय जैसे उनके लिए क्या गलत है और क्या सही, जैसी बातों को लेकर बच्चों में एंजायटी बढ़ने लगती है.

बचपन से युवावस्था की ओर बढ़ने के इस सफर में बहुत से किशोर सिर्फ तनाव, चिंता व अवसाद ही नहीं बल्कि कई अन्य तरह की मानसिक समस्याओं या विकारों का भी सामना करते हैं. लेकिन कभी जानकारी व जागरूकता के अभाव में, कभी किसी भ्रम के चलते तो कभी समाज में हास्य का पात्र बनने के डर के चलते बच्चों में इस समस्याओं को समय से संबोधित नहीं किया जाता है. जो कुछ मामलों में ना सिर्फ समस्याओं के ज्यादा गंभीर होने या बच्चों के मानसिक विकास में बाधा बनने का कारण बन सकता है.

किशोर बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर तथा उनमें मानसिक स्वास्थ्य कल्याण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 2 मार्च को विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस मनाया जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

वैश्विक स्तर पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों की बात करें तो दुनिया भर में अनुमानित 10 से 20 फीसदी किशोर बच्चे अलग-अलग प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का अनुभव करते हैं. वर्ष 2019 की यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार अनुमानतः हर सात में से एक किशोर मानसिक विकारों का अनुभव करता है . इनमें 10-19 आयु वर्ग के लगभग 40 फीसदी किशोर चिंता और अवसाद विकार, 20.1 फीसदी किशोर आचरण संबंधी विकार तथा 19.5 फीसदी किशोर ध्यान-अभाव अतिसक्रियता विकार का सामना करते हैं. वहीं वहीं मेंटल हेल्थ फाउंडेशन यूके के आंकड़ों के अनुसार किशोरों में लगभग 50 फीसदी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं 14 साल की उम्र में नजर आने लगती हैं. इनमें से 5 से 16 वर्ष के किशोरों में लगभग 10 फीसदी समस्याओं का पूरी तरह से निदान संभव होता है. लेकिन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करने वाले लगभग 70 फीसदी बच्चों और किशोरों को अलग अलग कारणों से कम उम्र में मदद नहीं नहीं मिल पाती है.

विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस
विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस के आयोजन का उद्देश्य सिर्फ किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करना व उन्हे लेकर जागरूकता फैलाना ही नहीं है, बल्कि लोगों में इस अवधारणा को दूर करना भी कि मानसिक समस्याओं का होना कोई कलंक नहीं है.

दरअसल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर कई तरह के भ्रम देखे जाते हैं. वहीं विशेषतौर बच्चों के मामले में बहुत से माता पिता इस तथ्य को मानने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं कि उनका बच्चा किसी तरह की समस्या का सामना कर रहा है और उसे मदद की जरूरत है. यह आयोजन ऐसे ही मुद्दों को संबोधित करने तथा किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े भ्रमों को दूर करने के लिए प्रयास करने का मौका देता है. इसके अलावा विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस लोगों को किशोरों में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी बातों व उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा के लिए एक मंच व मौका भी देता है. इस अवसर पर दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कार्य कर रही सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा रैली, गोष्ठी, शिविर, प्रतियोगिताओं व चर्चाओं का आयोजन किया जाता है.

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