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हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने वाली इस दवाई से हो सकता है टाइप-2 डायबिटीज, अध्ययन में दावा - STATIN SIDE EFFECTS

Statin side effects: नई स्टडी के अनुसार, स्टैटिन दवाई का उपयोग करने से व्यक्ति में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है, पढ़ें पूरी खबर...

Statin side effects
हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने वाली इस दवाई से हो सकता है टाइप-2 डायबिटीज, (CANVA)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Oct 8, 2024, 2:33 PM IST

Updated : Oct 8, 2024, 3:59 PM IST

बॉडी में कोलेस्ट्रोल का होना बहुत जरूरी है. कोलेस्ट्रोल शरीर में सेल्स के निर्माण सहित कई प्रोसेस में भाग लेता है. कोलेस्ट्रोल के चलते ही शरीर में हार्मोन का प्रोडक्शन होता है. लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा बॉडी के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है. कोलेस्ट्रोल का हाई लेवल हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है. दरअसल, कोलेस्ट्रोल चिपचिपा पदार्थ के रूप में खून की धमनियों में जमा होने लगता है जिससे दिल पर प्रेशर बढ़ता है और इसके चलते हार्ट से संबंधित कई बीमारियां हो जाती हैं.

क्यों बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल
हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण अपकी रक्त वाहिकाओं में फैट जमा होने लगती है, अंततः ये जमाव धीरे-धीरे कापी ज्यादा बढ़ते लगते हैं, जिससे आपकी धमनियों में पर्याप्त रक्त का प्रवाह मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी, ये जमाव अचानक टूट सकते हैं और एक थक्का बना सकते हैं जो दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बनता है. कोलेस्ट्रोल बढ़ने के लिए आमतौर पर खान-पान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को जिम्मेदार माना जाता है.

वहीं हाई कोलेस्ट्रॉल कभी-कभी जन्मजात भी हो सकते है. यदि माता-पिता में यह बीमारी होती है तो बच्चों में भी शुरुआत से ही कोलेस्ट्रोल बढ़ने लगता है. इस तरह की बीमारी को फेमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया कहते हैं. बता दें, जिस किसी इंसान में हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया होता है उसमें शुरुआत में ही हार्ट अटैक का जोखिम रहता है. एक हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और कभी-कभी दवा हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता कर सकती है.

हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले दवा से डायबिटीज का खतरा
वहीं, दूसरी ओर डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है. जिसमें व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध पैदा हो जाता है. इसके चलते ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है. दोनों ही बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं. Centers for Disease Control and Prevention (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए स्टैटिन्स (Statins) दवा का इस्तेमाल किया जाता है. इस दवा को खाने से लिवर में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल की मात्रा लो हो जाती है और खून की धमनियों में स्टोर कोलेस्ट्रॉल बाहर निकलने लगता है.

इसके अतिरिक्त, यह दवा बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायता करता है. इस दवा से कोलेस्ट्रॉल के पेशेंट में हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है और धमनियों में जमा प्लेक बाहर निकल आता है. इससे दिल और दिमाग तक ऑक्सीजनेटेड ब्लड की सप्लाई बेहतर तरीके से होती है. हालांकि, इस दवा डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए, क्योंकि हर कोलेस्ट्रॉल के मरीज के लिए यह दवा जरूरी नहीं होती है.

स्टडी में क्या हुआ खुलासा
वैसे तो स्टैटिन्स दवा को कोलेस्ट्रॉल कम करने और हार्ट डिजीज से बचाव करने में काफी असरदार माना जाता है, लेकिन इसके सेवन करने से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि स्टैटिन्स लेने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है, क्योंकि यह दवा इंसुलिन के काम को प्रभावित कर देती है.

किन्तु, हाल में एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कोलेस्ट्रॉल कम वाली दवाओं के उपयोग से मरीज टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हो सकता है. ये अध्ययन हजारों मरीजों के हेल्थ रिकॉर्ड को आधार बनाकर किया गया है. अध्ययन में पाया गया कि इन दवाओं के प्रयोग से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 2 गुना ज्यादा बढ़ गया. लैंसेट में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैटिन्स (Statins) हेटेरोजायगस फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया वाले रोगियों के लिए आधारशिला उपचार हैं, लेकिन शोध से पता चलता है कि यह सामान्य आबादी में टाइप 2 डायबिटीज के खतरा को बढ़ा सकता है.

Source: https://www.thelancet.com/journals/landia/article/PIIS2213-8587(24)00221-3/fulltext

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बॉडी में कोलेस्ट्रोल का होना बहुत जरूरी है. कोलेस्ट्रोल शरीर में सेल्स के निर्माण सहित कई प्रोसेस में भाग लेता है. कोलेस्ट्रोल के चलते ही शरीर में हार्मोन का प्रोडक्शन होता है. लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा बॉडी के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है. कोलेस्ट्रोल का हाई लेवल हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है. दरअसल, कोलेस्ट्रोल चिपचिपा पदार्थ के रूप में खून की धमनियों में जमा होने लगता है जिससे दिल पर प्रेशर बढ़ता है और इसके चलते हार्ट से संबंधित कई बीमारियां हो जाती हैं.

क्यों बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल
हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण अपकी रक्त वाहिकाओं में फैट जमा होने लगती है, अंततः ये जमाव धीरे-धीरे कापी ज्यादा बढ़ते लगते हैं, जिससे आपकी धमनियों में पर्याप्त रक्त का प्रवाह मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी, ये जमाव अचानक टूट सकते हैं और एक थक्का बना सकते हैं जो दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बनता है. कोलेस्ट्रोल बढ़ने के लिए आमतौर पर खान-पान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को जिम्मेदार माना जाता है.

वहीं हाई कोलेस्ट्रॉल कभी-कभी जन्मजात भी हो सकते है. यदि माता-पिता में यह बीमारी होती है तो बच्चों में भी शुरुआत से ही कोलेस्ट्रोल बढ़ने लगता है. इस तरह की बीमारी को फेमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया कहते हैं. बता दें, जिस किसी इंसान में हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया होता है उसमें शुरुआत में ही हार्ट अटैक का जोखिम रहता है. एक हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और कभी-कभी दवा हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता कर सकती है.

हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाले दवा से डायबिटीज का खतरा
वहीं, दूसरी ओर डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है. जिसमें व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध पैदा हो जाता है. इसके चलते ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है. दोनों ही बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं. Centers for Disease Control and Prevention (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए स्टैटिन्स (Statins) दवा का इस्तेमाल किया जाता है. इस दवा को खाने से लिवर में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल की मात्रा लो हो जाती है और खून की धमनियों में स्टोर कोलेस्ट्रॉल बाहर निकलने लगता है.

इसके अतिरिक्त, यह दवा बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायता करता है. इस दवा से कोलेस्ट्रॉल के पेशेंट में हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है और धमनियों में जमा प्लेक बाहर निकल आता है. इससे दिल और दिमाग तक ऑक्सीजनेटेड ब्लड की सप्लाई बेहतर तरीके से होती है. हालांकि, इस दवा डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए, क्योंकि हर कोलेस्ट्रॉल के मरीज के लिए यह दवा जरूरी नहीं होती है.

स्टडी में क्या हुआ खुलासा
वैसे तो स्टैटिन्स दवा को कोलेस्ट्रॉल कम करने और हार्ट डिजीज से बचाव करने में काफी असरदार माना जाता है, लेकिन इसके सेवन करने से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि स्टैटिन्स लेने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है, क्योंकि यह दवा इंसुलिन के काम को प्रभावित कर देती है.

किन्तु, हाल में एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कोलेस्ट्रॉल कम वाली दवाओं के उपयोग से मरीज टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हो सकता है. ये अध्ययन हजारों मरीजों के हेल्थ रिकॉर्ड को आधार बनाकर किया गया है. अध्ययन में पाया गया कि इन दवाओं के प्रयोग से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 2 गुना ज्यादा बढ़ गया. लैंसेट में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैटिन्स (Statins) हेटेरोजायगस फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया वाले रोगियों के लिए आधारशिला उपचार हैं, लेकिन शोध से पता चलता है कि यह सामान्य आबादी में टाइप 2 डायबिटीज के खतरा को बढ़ा सकता है.

Source: https://www.thelancet.com/journals/landia/article/PIIS2213-8587(24)00221-3/fulltext

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Last Updated : Oct 8, 2024, 3:59 PM IST
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