हाल के वर्षों में, गुर्दे की पथरी ( Kidney Stones) एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बनती जा रही है. जिससे कई लोगों को असुविधा और परेशानी हो रही है. अगर मामला अधिक नाजुक नहीं है तो यह बड़ी परेशानी का सबब नहीं बन सकते हैं. हालांकि इंसानों में गंभीर किडनी स्टोन की समस्या हो गई तो वह आगे चलकर मरीज को ज्यादा परेशानी में डाल सकती है.
ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए डॉ. तनवरी इकबाल ने बताया कि, किडनी स्टोन जिसे रीनल कैलकुली (Renal Calculi) भी कहते हैं, एक क्रिस्टलीय खनीज जमाव है. यह मूत्र नली के अंदर बनता है. इसके भीतर बनने वाले पत्थर अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिनमें कैल्शियम ऑक्सालेट, कैल्शियम फॉस्फेट, यूरिक एसिड और सिस्टीन पत्थर शामिल होते हैं.
बदलती जीवनशैली के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. किडनी में पथरी एक ऐसी समस्या है जिससे कई लोग परेशान रहते हैं. यह समस्या अक्सर लापरवाह खान-पान और खराब जीवनशैली के कारण होती है. किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिनका काम खून साफ करना और पेशाब बनाना है. किडनी सभी खाद्य और पेय पदार्थों से विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालती है.
हालांकि, जब ये विषाक्त पदार्थ किडनी से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाते हैं, तो वे धीरे-धीरे जमा हो जाते हैं और पथरी का रूप ले लेते हैं. यदि उपचार न किया जाए, तो सामान्य पथरी गुर्दे की क्षति और गुर्दे की विफलता का कारण बन सकती है. इस खबर में हम किडनी स्टोन को बिना ऑपरेशन किए आयुर्वेदिक उपचार से कैसे गलाया जा सकता है इसके बारे में जानेंगे...
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन और आयुर्वेद के मुताबिक त्रिफला चूर्ण सेहत के लिए बहुत फायदेमंद जड़ी-बूटी है. त्रिफला चूर्ण गुर्दे की पथरी को गलाने में अद्भुत काम करता है. आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को बहुत महत्व दिया गया है. यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है. इसका मतलब है कि शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर भेज दिया जाता है. यह किडनी के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है. यह तो सभी जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण तीन फलों का मिश्रण है. आंवला, हरीतीका और बिभीतकी को धूप में सुखाया जाता है और तीनों का चूर्ण बनाकर बराबर मात्रा में मिलाकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है.
इसलिए रोजाना त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से किडनी की पथरी घुल जाती है. इस चूर्ण को रात के समय एक चम्मच की मात्रा में एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर लेना चाहिए. इससे किडनी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और पथरी घुल जाती है. यह एक प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार है जो पथरी को घुलनशील बनाने और पेशाब में उसका निकलना सुखद बनाने में मदद कर सकता है. एक शोध में पता चला कि त्रिफला चूर्ण के उपचार से गुर्दे में ऑक्सीडेटिव तनाव कम हुआ. हिस्टोपैथोलॉजिकल अध्ययनों से पता चला है कि त्रिफला चूर्ण से गुर्दे की क्षति कम हुई है.
इसे पानी में मिलाकर पी लें
आयुर्वेद के मुताबिक, कुछ लोगों को त्रिफला चूर्ण पसंद नहीं आता है और कुछ लोगों को इसके सेवन से दस्त का अनुभव हो सकता है. तो ऐसे लोगों को इस चूर्ण का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए. त्रिफला चूर्ण किडनी की पथरी को गलाने में भी अद्भुत काम करती है. यह प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है. इससे किडनी में पथरी के साथ-साथ कूड़ा-कचरा भी बाहर निकल जाता है. त्रिफला चूर्ण बाजार में उपलब्ध है. इसे पानी में मिलाकर पीना चाहिए. अगर इस चूर्ण का सेवन किया जाए तो क्रिएटिनिन का स्तर भी नियंत्रित रहेगा.
सोर्स-
https://www.sciencedirect.com/topics/pharmacology-toxicology-and-pharmaceutical-science/triphala
(डिस्क्लेमर: वेबसाइट पर दी गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा युक्तियां और सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)