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डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में दिख सकते हैं ये गंभीर लक्षण, जानें फिजीशियन की राय - BLOOD SUGAR

महिलाओं में डायबिटीज के कई लक्षण पुरुषों के समान ही होते हैं. हालांकि, कुछ लक्षण और कॉम्प्लिकेशन केवल महिलाओं में ही पाई जाती हैं.

These serious symptoms can be seen in women suffering from diabetes
डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में दिख सकते हैं ये गंभीर लक्षण (FREEPIK)
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By ETV Bharat Health Team

Published : 2 hours ago

डायबिटीज एक पुरानी बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. यह एक नॉन कम्युनिकेबल डिजीज है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है. डायबिटीज किसी भी उम्र, जाति, जातीय समूह, लिंग के लोगों को प्रभावित कर सकता है. पुरुषों की तुलना में स्थिति का अक्सर महिलाओं पर अधिक गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. महिलाओं में डायबिटीज के लक्षण अलग होते हैं. डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के विशिष्ट लक्षणों और जोखिमों की पहचान और उपचार से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.

डायबिटीज में महिलाएं ऑर्गेनिक और हार्मोनल फैक्टर्स के कारण कुछ अलग चुनौतियों के लिए विशेष रूप से ज्यादा संवेदनशील होती हैं. महिलाओं में डायबिटीज के लक्षणों, कारणों और रोकथाम को समझना शुरुआती पहचान और प्रभावी प्रबंधन के लिए जरूरी है...

कंसल्टेंट फिजीशियन डॉ. आमिर हुसैन का कहना है कि अगर समय रहते इस रोग पता चल जाए, तो जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सकीय देखभाल से इसका इलाज किया जाए जा सकता है. डॉ. हुसैन कहते हैं कि महिलाओं के लिए, बीमारी से जुड़े जोखिम कारकों और लक्षणों को समझना महत्वपूर्ण है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के अधिकांश लक्षण पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान होते हैं, हालांकि, कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण केवल महिलाओं में ही विकसित होते हैं.

महिलाओं में मधुमेह के लक्षण
डॉ. हुसैन के मुताबिक महिलाओं में डायबिटीज के कुछ शुरुआती लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं...

बार-बार पेशाब आना: लगातार पेशाब करने की आवश्यकता, विशेष रूप से रात के समय.

अत्यधिक प्यास: पर्याप्त पानी पीने के बाद भी प्यास न बुझना.

अधिक वजन घटना: आहार या व्यायाम में बदलाव के बिना वजन कम होना.

थकान: लगातार थकान और ऊर्जा की कमी.

धुंधली दृष्टि: ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या धुंधला दृष्टि का अनुभव होना.

धीरे-धीरे ठीक होने वाले घाव: कट, खरोंच या घाव जो ठीक होने में अधिक समय लेते हैं।

आवर्ती संक्रमण: मूत्र पथ और यीस्ट संक्रमण सहित संक्रमणों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस): पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध के कारण टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है.

त्वचा पर काले धब्बे: अकन्थोसिस निग्रिकेंस, जो अक्सर गर्दन या बगल जैसी परतों में दिखाई देते हैं, इंसुलिन प्रतिरोध का संकेत हो सकते हैं.

महिलाओं में डायबिटीज के कारण
महिलाओं में डायबिटीज होने के पीछे कई कारक योगदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं...

जेनेटिक्स: डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास होने से संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

हार्मोनल बदलाव: गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति ब्लड शुगर के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकते हैं.

मोटापा: एक्स्ट्रा वजन, विशेषकर पेट के आसपास, एक महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर्स है.

अनियमित जीवनशैली: शारीरिक गतिविधि की कमी से इंसुलिन प्रतिरोध और वजन बढ़ सकता है.

गर्भावधि मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड शुगर के कारण बाद में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.

आहार संबंधी विकल्प: हाई कैलोरी, कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से वजन बढ़ता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है.

महिलाओं में डायबिटीज की रोकथाम
हालांकि, आनुवंशिकी जैसे कुछ रिस्क फैक्टर्स को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके डायबिटीज के विकास के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. डॉ. हुसैन द्वारा इसके रोकथाम से संबंधित कुछ टिप्स यहां दिए गए है...

स्वस्थ वजन बनाए रखें: नियमित व्यायाम और संतुलित पोषण के माध्यम से बीएमआई को अनुशंसित सीमा के भीतर रखने का लक्ष्य रखें.

संतुलित आहार अपनाएं: साबुत अनाज, कम वसा वाले प्रोटीन, स्वस्थ वसा और भरपूर मात्रा में फल और सब्जियों पर ध्यान दें. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और मीठे पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें.

नियमित व्यायाम करें: प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि या 75 मिनट तीव्र गतिविधि करें.

ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करें: नियमित जांच से प्रीडायबिटीज या डायबिटीज का शीघ्र पता लगाने में मदद मिल सकती है.

धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान से इंसुलिन प्रतिरोध और जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

तनाव को नियंत्रित करें: हाई स्ट्रेस लेवल ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है. इसके लिए माइंडफुलनेस, योग या अन्य तनाव-घटाने वाली तकनीकों का अभ्यास करें.

सूचित रहें: गर्भावधि डायबिटीज या पीसीओएस के इतिहास वाली महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए और उचित सलाह के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना चाहिए...

यदि डायबिटीज का उपचार न किया जाए तो इससे होने वाले खतरे
डायबिटीज के कारण शरीर के लिए इंसुलिन हार्मोन बनाना या उसका उपयोग करना मुश्किल हो जाता है. इंसुलिन, जो भोजन से मिलने वाली चीनी को ऊर्जा में परिवर्तित करके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह कई स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकता है.

डॉ. हुसैन ने बताया कि डायबिटीज के कारण महिलाओं को हृदय रोग, दृष्टि संबंधी समस्याएं, अंधापन, गुर्दे की बीमारी, अवसाद, दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है.

डॉ. हुसैन का कहना है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम पुरुषों की तुलना में अधिक होता है. डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में दिल के दौरे के बाद पुरुषों की तुलना में अधिक खराब परिणाम हो सकते हैं. वे आगे कहते हैं कि अगर महिलाओं को डायबिटीज का जल्दी पता चल जाए, तो इससे उन्हें जटिलताओं से बचने में मदद मिल सकती है.अगर आपको कोई असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से मिलें. जीवनशैली में बदलाव और दवाएं ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकती हैं.

(नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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डायबिटीज एक पुरानी बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. यह एक नॉन कम्युनिकेबल डिजीज है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है. डायबिटीज किसी भी उम्र, जाति, जातीय समूह, लिंग के लोगों को प्रभावित कर सकता है. पुरुषों की तुलना में स्थिति का अक्सर महिलाओं पर अधिक गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. महिलाओं में डायबिटीज के लक्षण अलग होते हैं. डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के विशिष्ट लक्षणों और जोखिमों की पहचान और उपचार से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.

डायबिटीज में महिलाएं ऑर्गेनिक और हार्मोनल फैक्टर्स के कारण कुछ अलग चुनौतियों के लिए विशेष रूप से ज्यादा संवेदनशील होती हैं. महिलाओं में डायबिटीज के लक्षणों, कारणों और रोकथाम को समझना शुरुआती पहचान और प्रभावी प्रबंधन के लिए जरूरी है...

कंसल्टेंट फिजीशियन डॉ. आमिर हुसैन का कहना है कि अगर समय रहते इस रोग पता चल जाए, तो जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सकीय देखभाल से इसका इलाज किया जाए जा सकता है. डॉ. हुसैन कहते हैं कि महिलाओं के लिए, बीमारी से जुड़े जोखिम कारकों और लक्षणों को समझना महत्वपूर्ण है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के अधिकांश लक्षण पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान होते हैं, हालांकि, कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण केवल महिलाओं में ही विकसित होते हैं.

महिलाओं में मधुमेह के लक्षण
डॉ. हुसैन के मुताबिक महिलाओं में डायबिटीज के कुछ शुरुआती लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं...

बार-बार पेशाब आना: लगातार पेशाब करने की आवश्यकता, विशेष रूप से रात के समय.

अत्यधिक प्यास: पर्याप्त पानी पीने के बाद भी प्यास न बुझना.

अधिक वजन घटना: आहार या व्यायाम में बदलाव के बिना वजन कम होना.

थकान: लगातार थकान और ऊर्जा की कमी.

धुंधली दृष्टि: ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या धुंधला दृष्टि का अनुभव होना.

धीरे-धीरे ठीक होने वाले घाव: कट, खरोंच या घाव जो ठीक होने में अधिक समय लेते हैं।

आवर्ती संक्रमण: मूत्र पथ और यीस्ट संक्रमण सहित संक्रमणों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस): पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध के कारण टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है.

त्वचा पर काले धब्बे: अकन्थोसिस निग्रिकेंस, जो अक्सर गर्दन या बगल जैसी परतों में दिखाई देते हैं, इंसुलिन प्रतिरोध का संकेत हो सकते हैं.

महिलाओं में डायबिटीज के कारण
महिलाओं में डायबिटीज होने के पीछे कई कारक योगदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं...

जेनेटिक्स: डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास होने से संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

हार्मोनल बदलाव: गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति ब्लड शुगर के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकते हैं.

मोटापा: एक्स्ट्रा वजन, विशेषकर पेट के आसपास, एक महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर्स है.

अनियमित जीवनशैली: शारीरिक गतिविधि की कमी से इंसुलिन प्रतिरोध और वजन बढ़ सकता है.

गर्भावधि मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड शुगर के कारण बाद में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.

आहार संबंधी विकल्प: हाई कैलोरी, कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से वजन बढ़ता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है.

महिलाओं में डायबिटीज की रोकथाम
हालांकि, आनुवंशिकी जैसे कुछ रिस्क फैक्टर्स को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके डायबिटीज के विकास के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. डॉ. हुसैन द्वारा इसके रोकथाम से संबंधित कुछ टिप्स यहां दिए गए है...

स्वस्थ वजन बनाए रखें: नियमित व्यायाम और संतुलित पोषण के माध्यम से बीएमआई को अनुशंसित सीमा के भीतर रखने का लक्ष्य रखें.

संतुलित आहार अपनाएं: साबुत अनाज, कम वसा वाले प्रोटीन, स्वस्थ वसा और भरपूर मात्रा में फल और सब्जियों पर ध्यान दें. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और मीठे पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें.

नियमित व्यायाम करें: प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि या 75 मिनट तीव्र गतिविधि करें.

ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करें: नियमित जांच से प्रीडायबिटीज या डायबिटीज का शीघ्र पता लगाने में मदद मिल सकती है.

धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान से इंसुलिन प्रतिरोध और जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

तनाव को नियंत्रित करें: हाई स्ट्रेस लेवल ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है. इसके लिए माइंडफुलनेस, योग या अन्य तनाव-घटाने वाली तकनीकों का अभ्यास करें.

सूचित रहें: गर्भावधि डायबिटीज या पीसीओएस के इतिहास वाली महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए और उचित सलाह के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना चाहिए...

यदि डायबिटीज का उपचार न किया जाए तो इससे होने वाले खतरे
डायबिटीज के कारण शरीर के लिए इंसुलिन हार्मोन बनाना या उसका उपयोग करना मुश्किल हो जाता है. इंसुलिन, जो भोजन से मिलने वाली चीनी को ऊर्जा में परिवर्तित करके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह कई स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकता है.

डॉ. हुसैन ने बताया कि डायबिटीज के कारण महिलाओं को हृदय रोग, दृष्टि संबंधी समस्याएं, अंधापन, गुर्दे की बीमारी, अवसाद, दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है.

डॉ. हुसैन का कहना है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम पुरुषों की तुलना में अधिक होता है. डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में दिल के दौरे के बाद पुरुषों की तुलना में अधिक खराब परिणाम हो सकते हैं. वे आगे कहते हैं कि अगर महिलाओं को डायबिटीज का जल्दी पता चल जाए, तो इससे उन्हें जटिलताओं से बचने में मदद मिल सकती है.अगर आपको कोई असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से मिलें. जीवनशैली में बदलाव और दवाएं ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकती हैं.

(नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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