पटनाः भूंजा भारतीय खान-पान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे विभिन्न प्रकार की सामग्री मिलाकर बनाया जाता है. चना, मूंगफली, मक्का, चावल के पफ और मसाले. यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है. आइए जानते हैं भूंजा खाने फायदे क्या क्या हैं?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ? पटना के गैस्ट्रो डॉक्टर मनोज कुमार का कहना है कि भूंजा खाने के कई फायदे हैं. यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत. चना और मूंगफली दोनों ही सामग्री प्रोटीन से भरपूर होती हैं जो शरीर के मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत में मदद करती हैं. प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है.
"मक्का और चावल के पफ में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. फाइबर की सही मात्रा कब्ज को रोकने में सहायक होती है और पाचन को सुगम बनाती है. जिसे कब्ज की शिकायत रहती है उसे भूंजा जरूर खाने चाहिए." -डॉक्टर मनोज कुमार, गैस्ट्रो, विशेषज्ञ
हृदय स्वास्थ्यः मूंगफली में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स हृदय को स्वस्थ रखते हैं. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और हृदय रोगों के जोखिम को कम करते हैं. एंटीऑक्सीडेंट्स का स्रोत चना और मूंगफली है. इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं. यह कैंसर और अन्य बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं.
वजन नियंत्रणः भूंजा में मौजूद फाइबर और प्रोटीन भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह पेट को लंबे समय तक भरा रखता है जिससे अनावश्यक खाने की आदत कम होती है. वजन नियंत्रण में रहता है. ऊर्जा का अच्छा स्रोत मक्का और मूंगफली है. यह कार्बोहाइड्रेट्स का अच्छा स्रोत होते हैं जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं. खासकर कामकाजी व्यक्तियों और बच्चों के लिए लाभकारी होता है.
सस्ता और सुलभः यह आसानी से बाजार में उपलब्ध होता है. अन्य स्नैक्स की तुलना में सस्ता भी होता है. इसे घर पर भी आसानी से तैयार किया जा सकता है. भूंजा न केवल स्वादिष्ट और क्रिस्पी होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है. प्रतिदिन इसे अपने आहार में शामिल करना कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है. ध्यान रखें कि इसे अधिक मात्रा में न खाएं क्योंकि यह कैलोरी में भी उच्च हो सकता है. संतुलित मात्रा में भूंजा का सेवन करें और इसके फायदों का आनंद लें.
गुरुवार को भूंजा नहीं खाएंः हिन्दू धर्म में भूंजा खाने को लेकर दिन भी मायने रखता है. कुछ लोग गुरुवार को भूंजा नहीं खाते हैं. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि इसको लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं. प्रमुख मान्यता यह है कि गुरुवार भगवान विष्णु और उनके अवतार भगवान वृहस्पति (बृहस्पति देव) का दिन है. गुरुवार को भगवान विष्णु और गुरु वृहस्पति की पूजा की जाती है.
उपवास में हल्का भोजन करेंः इस दिन भुने हुए अनाज या अन्य कठोर खाद्य पदार्थ खाने से पाचन में कठिनाई हो सकती है जिससे उपवास और पूजा के दिन का पवित्रता भंग हो सकती है. कुछ लोग गुरुवार को उपवास रखते हैं जिसमें हल्का और सात्विक भोजन करना शामिल है. भूंजा जैसे पदार्थ उपवास की नीतियों के विपरीत माने जाते हैं क्योंकि वे तले हुए होते हैं और इनमें मसाले हो सकते हैं.
शनिवार को भूंजा खाने क्यों नहीं खाएं? शनिवार को भूंजा खाने की मान्यता है. शनिवार को भूंजा खाने की मान्यता हिंदू धर्म में शनि देव की पूजा और उनके प्रभाव को शांत करने से जुड़ी हुई है. यह परंपरा ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है और उन्हें साढ़े साती या ढैया के समय विशेष रूप से पूजा जाता है. इस दिन भूंजा खाने के पीछे कुछ प्रमुख कारण और मान्यताएं हैं.
"शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है. भूंजा या भुना हुआ अनाज शनि देव को अर्पित किया जाता है, क्योंकि यह उन्हें प्रिय माना जाता है. इसे खाने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और उनके अशुभ प्रभाव से बचाव होता है." -आचार्य मनोज मिश्रा
शनि के प्रभाव का निवारणः शनि की महादशा या साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को कष्ट और बाधाओं का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में शनिवार को भूंजा खाने से शनि देव के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहती है. भूंजा एक हल्का और सात्विक भोजन है. शनि देव के अनुशासन और संयम के प्रतीक होने के कारण उन्हें सात्विक और सादा भोजन प्रिय है.
मन और शरीर में शांतिः शनिवार को भूंजा खाने से व्यक्ति के मन और शरीर में शांति बनी रहती है. उसे सात्विकता का अनुभव होता है. हिंदू धर्म में कई धार्मिक परंपराएं और रीति-रिवाज होते हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं. इनमें से एक परंपरा शनिवार को भूंजा खाने की भी है. यह मान्यता विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित है जिनमें शनि देव की पूजा के महत्व का वर्णन किया गया है.