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क्या आप जानते हैं कि छींक को रोकना कितना खतरनाक है? - Risks Of Holding In A Sneeze

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 26, 2024, 11:07 AM IST

Updated : Jun 26, 2024, 1:15 PM IST

Risks Of Holding In A Sneeze: कुछ लोगों की आदत होती है कि छींक को रोक लेते हैं, लेकिन ऐसा करना सही नहीं है. आज इस खबर के माध्यम से जानेंगे कि छींक रोकने के क्या नुकसान हैं.

Risks Of Holding In A Sneeze
छींक रोकने के दुष्प्रभाव (Getty Image)

हैदराबाद: कोरोना के बाद से आमजन की जिंदगी बदल गई है. लोग पहले हेल्थ को लेकर ज्यादा संजीदा नहीं थे, लेकिन कोविड के बाद से लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी छींक को रोक भी लेते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है.

जो शख्स छींक को रोकता है वह सोचता है कि आसपास मौजूद लोग क्या सोचेंगे. लगातार छींकने से लोगों के मन में यह भी ख्याल आने लगा है कि कहीं इंफेक्टेड ना हो जाएं. वहीं, अगल-बगल मौजूद लोग उस शख्स को ऐसे घूरते हैं जैसे उसने बड़ा क्राइम कर दिया हो. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह से छींक को रोकना ठीक नहीं है.

  1. छींक बीमार होने से बचाती है
    छींक आना वास्तव में शरीर में प्रवेश कर चुके बैक्टीरिया, धूल, गंदगी, परागकण, धुआं, प्रदूषण आदि के कारण होने वाली प्रतिक्रिया है. इसकी वजह से आप अपनी नाक के पास थोड़ा सुन्न और असहज महसूस करते हैं. तभी छींक आती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्रिया आपको बीमार होने से बचाती है. ऐसा कहा जाता है कि छींक शरीर को रोगाणुओं और कोशिकाओं से क्षतिग्रस्त होने से बचाने में मदद करती है. शोध से पता चलता है कि छींक को रोकने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और कभी-कभी यह खतरनाक भी हो सकती है.
  2. करना पड़ेगा दिक्कतों का सामना
    विशेषज्ञों के मुताबिक, जब आप छींकते हैं तो आपकी नाक से 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से बलगम की बूंदें निकलती हैं. श्वसन तंत्र पर पड़ने वाले तनाव के कारण यह एक शक्तिशाली क्रिया बन जाती है. एक अध्ययन के अनुसार, जब एक महिला छींकती है, तो वह श्वसन पथ के प्रति वर्ग इंच में कम से कम एक पाउंड बल खर्च करती है. लेकिन इसे रोकने से श्वसन तंत्र में दबाव 5-24 गुना तक बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
  3. पसलियों में चोट
    वहीं, बहुत से लोग सोचते हैं कि जब वे बहुत ज्यादा छींकते हैं तो उनकी पसलियों में दर्द होने लगेगा. वैसे इस प्रकार की सोच विशेषकर बुजुर्गों में देखी जाती है. वास्तव में, ऐसा कुछ भी नहीं है. उच्च दबाव वाली हवा फेफड़ों में जाने से हड्डियों की समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है. डायाफ्राम के क्षतिग्रस्त होने का खतरा होता है क्योंकि छाती की मांसपेशियां छींक को रोक लेती हैं. जब इसे रोका जाता है, तो हवा छाती की मांसपेशियों में चली जाती है. परिणामस्वरूप डायाफ्राम क्षतिग्रस्त हो जाता है. इससे अत्यधिक दर्द होता है. कई बार ये जानलेवा भी हो जाता है.
  4. मस्तिष्क पर प्रभाव
    यदि आप छींक को रोकते हैं, तो आपका शरीर उस दबाव को बनाए रखने की कोशिश करता है. जिससे मस्तिष्क के फटने का डर रहता है. अगर ऐसा हुआ तो मस्तिष्क के आसपास के क्षेत्र में खून बहने लगता है.
  5. गले को नुकसान
    छींक को रोकने से गले के पिछले हिस्से पर दबाव पड़ता है. परिणामस्वरुप वह हिस्सा फट जाता है और दर्द व सूजन जैसी समस्या होने लगती है. इसलिए जितना हो सके अपनी छींक को रोकने की कोशिश न करें. छींक आने के कारण होने वाली एलर्जी की समस्या का उचित ध्यान रखें और उचित आहार लें.
  6. कान पर भी पड़ेगा असर
    छींक को रोकने से आपके ईयरड्रम फट सकते हैं. अगर आप छींक को रोकते समय नाक को दबाते हैं तो इससे चेहरे पर दबाव पड़ता है. यह दबाव यूस्टेशियन ट्यूब के रास्ते से आपके मध्य कान में जा सकता है. इससे ईयरड्रम फट सकता है.

महत्वपूर्ण नोट: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान की गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा युक्तियाँ और सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं.हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.

हैदराबाद: कोरोना के बाद से आमजन की जिंदगी बदल गई है. लोग पहले हेल्थ को लेकर ज्यादा संजीदा नहीं थे, लेकिन कोविड के बाद से लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी छींक को रोक भी लेते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है.

जो शख्स छींक को रोकता है वह सोचता है कि आसपास मौजूद लोग क्या सोचेंगे. लगातार छींकने से लोगों के मन में यह भी ख्याल आने लगा है कि कहीं इंफेक्टेड ना हो जाएं. वहीं, अगल-बगल मौजूद लोग उस शख्स को ऐसे घूरते हैं जैसे उसने बड़ा क्राइम कर दिया हो. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह से छींक को रोकना ठीक नहीं है.

  1. छींक बीमार होने से बचाती है
    छींक आना वास्तव में शरीर में प्रवेश कर चुके बैक्टीरिया, धूल, गंदगी, परागकण, धुआं, प्रदूषण आदि के कारण होने वाली प्रतिक्रिया है. इसकी वजह से आप अपनी नाक के पास थोड़ा सुन्न और असहज महसूस करते हैं. तभी छींक आती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्रिया आपको बीमार होने से बचाती है. ऐसा कहा जाता है कि छींक शरीर को रोगाणुओं और कोशिकाओं से क्षतिग्रस्त होने से बचाने में मदद करती है. शोध से पता चलता है कि छींक को रोकने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और कभी-कभी यह खतरनाक भी हो सकती है.
  2. करना पड़ेगा दिक्कतों का सामना
    विशेषज्ञों के मुताबिक, जब आप छींकते हैं तो आपकी नाक से 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से बलगम की बूंदें निकलती हैं. श्वसन तंत्र पर पड़ने वाले तनाव के कारण यह एक शक्तिशाली क्रिया बन जाती है. एक अध्ययन के अनुसार, जब एक महिला छींकती है, तो वह श्वसन पथ के प्रति वर्ग इंच में कम से कम एक पाउंड बल खर्च करती है. लेकिन इसे रोकने से श्वसन तंत्र में दबाव 5-24 गुना तक बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
  3. पसलियों में चोट
    वहीं, बहुत से लोग सोचते हैं कि जब वे बहुत ज्यादा छींकते हैं तो उनकी पसलियों में दर्द होने लगेगा. वैसे इस प्रकार की सोच विशेषकर बुजुर्गों में देखी जाती है. वास्तव में, ऐसा कुछ भी नहीं है. उच्च दबाव वाली हवा फेफड़ों में जाने से हड्डियों की समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है. डायाफ्राम के क्षतिग्रस्त होने का खतरा होता है क्योंकि छाती की मांसपेशियां छींक को रोक लेती हैं. जब इसे रोका जाता है, तो हवा छाती की मांसपेशियों में चली जाती है. परिणामस्वरूप डायाफ्राम क्षतिग्रस्त हो जाता है. इससे अत्यधिक दर्द होता है. कई बार ये जानलेवा भी हो जाता है.
  4. मस्तिष्क पर प्रभाव
    यदि आप छींक को रोकते हैं, तो आपका शरीर उस दबाव को बनाए रखने की कोशिश करता है. जिससे मस्तिष्क के फटने का डर रहता है. अगर ऐसा हुआ तो मस्तिष्क के आसपास के क्षेत्र में खून बहने लगता है.
  5. गले को नुकसान
    छींक को रोकने से गले के पिछले हिस्से पर दबाव पड़ता है. परिणामस्वरुप वह हिस्सा फट जाता है और दर्द व सूजन जैसी समस्या होने लगती है. इसलिए जितना हो सके अपनी छींक को रोकने की कोशिश न करें. छींक आने के कारण होने वाली एलर्जी की समस्या का उचित ध्यान रखें और उचित आहार लें.
  6. कान पर भी पड़ेगा असर
    छींक को रोकने से आपके ईयरड्रम फट सकते हैं. अगर आप छींक को रोकते समय नाक को दबाते हैं तो इससे चेहरे पर दबाव पड़ता है. यह दबाव यूस्टेशियन ट्यूब के रास्ते से आपके मध्य कान में जा सकता है. इससे ईयरड्रम फट सकता है.

महत्वपूर्ण नोट: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान की गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा युक्तियाँ और सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं.हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.

Last Updated : Jun 26, 2024, 1:15 PM IST
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