नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में भीषण गर्मी पड़ने लगी है. इसके साथ ही गर्मी के कारण पैदा होने वाली बीमारियां भी लोगों को परेशान करने लगी है. कॉमन कोल्ड और वायरस के अलावा स्किन से संबंधित बीमारियां भी लोगों को कष्ट पहुंचाना शुरू कर दिया है. पसीने की बदबू और इसे निकालने वाले अपशिष्ट हानिकारक रसायनों के कारण त्वचा में दर्दयुक्त लाल फोड़े निकल आते हैं. इस मौसम में फॉलिकुलाइटिस एक आम त्वचा संबंधी बीमारी है, जिससे अधिकतर लोग जूझते हैं.
आरएमएल हॉस्पिटल की स्किन केयर विभाग की एसआर डॉ. ऐश्वर्या बताती हैं कि गर्मी के सीजन में आमतौर पर लोग फॉलिकुलाइटिस बीमारी से परेशान होते हैं. इसमें बालों की जड़ों के पास छोटी-छोटी लाल फुंसियां निकल आती हैं. यहां पस वाले दाने बन जाते हैं. संक्रमित हिस्से में लालिमा आ जाती है और उसके पकने के बाद उसमें बहुत तेज दर्द होता है. आखिर गर्मी के मौसम में ऐसा क्यों होता है. इसके बारे में डॉक्टर जांगड़ा बताते हैं कि इस मौसम में बैक्टीरिया ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. एस्टिलोकोक्कस और सुडोमोनास दो ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जिनके कारण इस तरह के संक्रमण हो जाते हैं. गर्मी के मौसम में लोग अक्सर स्विमिंग पूल में नहाते हैं, जहां इस तरह का इन्फेक्शन सामान्य है. डॉ जांगड़ा बताते हैं कि फंगल इन्फेक्शन के कारण कभी-कभी वायरस भी इस संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है.
संक्रमण का सबसे अधिक खतरा
फेमा के चीफ एडवाइजर और पार्क हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनीष जांगड़ा बताते है कि फॉलिकुलाइटिस गर्मी में कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं. उन्होंने बताया कि जिनके स्किन ज्यादा तैलीय होते हैं. यानी जिनकी त्वचा में ज्यादा वसा की मात्रा होती है, उनकों इससे संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है. सीने के पास जांघ, दाढ़ी और मूंछों के पास इस प्रकार के संक्रमण होने की आशंका अधिक होती है. यह न केवल दर्दनाक होता है, बल्कि इससे काफी असहजता भी होती है. दूसरा कारण, गर्मी में टाइट कपड़े पहनने से इस प्रकार के संक्रमण को उत्तेजना मिलता है. साथ ही बैक्टीरिया को संक्रमण करने का एक उपयुक्त माहौल मिल जाता है.
ऐसे बच सकते हैं इस दर्दनाक संक्रमण से
इस इंफेक्शन से बचने के बारे में डॉक्टर जांगड़ा बताते हैं कि इस मौसम में हमें ढीले-ढाले कपड़े पहनना चाहिए. ताकि पसीने एक जगह इकट्ठा ना हो पाए. गर्मी के मौसम में जिम से वापस आने के तुरंत बाद कपड़े बदल लेना चाहिए और स्नान कर लेना चाहिए. पसीने वाले कपड़े ज्यादा देर तक नहीं पहनना चाहिए. इसके अलावा खान-पान में भी थोड़ा बदलाव की जरूरत है. इस मौसम में वसायुक्त खाना और शुगर वाले चीज खाने से परहेज करना चाहिए. सेविंग करते हुए खास ध्यान रखना चाहिए. नए ब्लेड का प्रयोग करें. जिस जगह पर संक्रमण हो गया है, उस जगह को बार-बार नहीं छूना चाहिए. इसके कारण यह संक्रमण दूसरी जगह पर भी फैल सकता है.
एंटीबायोटिक से ठीक हो जाता है संक्रमण
इसके इलाज के बारे में डॉक्टर ऐश्वर्या बताती हैं कि अधिकतर मरीजों के लिए एंटीबायोटिक प्रिसक्राइब करते हैं. क्योंकि अधिकांश मामलों में बैक्टीरिया के कारण ही यह संक्रमण होता है. इसमें दो तरह के एंटीबायोटिक देते हैं. एक खाने के लिए और दूसरा संक्रमित जगह पर लगाने के लिए. कुछ मामलों में फंगल के कारण भी संक्रमण हो जाता है. इसीलिए ऐसे मरीजों का एंटीफंगल ट्रीटमेंट दिया जाता है. कुछ लोग फॉलिकुलाइटिस को कील- मुहासा समझ लेते हैं, जो कि गलत है. चेहरे पर निकलने वाले दाने और फॉलिकुलाइटिस इससे बिल्कुल अलग होते हैं. डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी भी हालत में खुद से दवाई नहीं लेनी चाहिए. इससे रेजिस्टेंट होने का खतरा होता है. ऐसा होने पर बीमारी ठीक होने में काफी समय लग सकता है.
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