नई दिल्ली: दिल्ली सरकार द्वारा संचालित जीबी पंत अस्पताल लिवर और हार्ट प्रत्यारोपण की दिशा में काम रहा है. पहले लिवर प्रत्यारोपण शुरू किया गया था. लेकिन, वह उतना सफल नहीं रहा कि उसे आगे जारी रखा जा सके. अब दोबारा सुपरस्पेशलिटी के लिए काम करते हुए अस्पताल लिवर के साथ हार्ट प्रत्यारोपण शुरू करने की तैयारी कर रहा है. यह जानकारी अस्पताल के निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने दी. वे जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के 60वें स्थापना दिवस डायमंड जुबली समारोह के मौके पर जानकारी दे रहे थे. उन्होंने बताया कि अस्पताल में बंद पड़ी दो कैथ लैब में से एक को चालू कर दिया गया है. साथ ही तीसरी कैथ लैब को भी जल्दी चालू कराने के लिए बातचीत चल रही है.
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल रोबोटिक सर्जरी शुरू करने और लैब के डिजिटाइजेशन पर भी काम रहा है. उन्होंने कहा कि हम रिसर्च को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल जल्द टेलीमेडिसन की शुरुआत भी करने वाला है. इसके जरिये ऑनलाइन उपचार की सुविधाएं दी जाएंगी. इससे पहले ई पुस्तकालय लांच किया गया. इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के 800 से अधिक जर्नल, 1200 पुस्तकें हर वक्त उपलब्ध रहेंगी.
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उन्होंने बताया कि अस्पताल लगातार अपना विस्तार कर रहा है और सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दे रहा है. 1964 में 229 बेड के साथ अस्पताल शुरू हुआ था. वर्तमान में 700 से अधिक बेड यहां हो गए हैं. जीबी पंत हार्ट, मस्तिष्क, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और मानसिक विकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तीसरा देखभाल संस्थान है. कार्यक्रम में पूर्व डाक्टरों को मामेंटो देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जीबी पंत के पूर्व निदेशक पद्म भूषण डॉ. एम खलीउल्लाह थे. विशिष्ट अतिथि पूर्व निदेशक ड. दिनेश चंद्र रहे. इस मौके पर मौलाना आजाद मेडिकल कालेज की डीन डॉ. पूनम नारंग विशेष तौर पर मौजूद रहीं. थोरेसिक सर्जरी विभाग के डॉ. दलजीत सिंह ने अस्पताल की स्थापना के बारे में जानकारी दी.
जीबी पंत के पूर्व निदेशक डॉ. एम. खलीलउल्लाह ने कहा कि दिल्ली में मरीजों का भार अधिक है. इसके लिए अस्पताल का विस्तार जरूरी है. अस्पताल की जमीन पर काफी अतिक्रमण है. इसे दूर किया जाना चाहिए, जिससे नए ब्लॉक बन सकें. डॉक्टर खलीउल्लाह कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अस्पताल के विस्तार पर अधिक ध्यान दिया. उन्होंने डॉक्टरों से अपनी नॉलेज बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा, चिकित्सीय ज्ञान के साथ स्किल डेवलपमेंट पर आपको ध्यान देना चाहिए. मरीजों की देखभाल के नए तरीके सीखने चाहिए. जितना बेहतर तरीके से आप उपचार कर पाएंगे, उतना ही राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे.
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