हैदराबादः सभी जानते हैं कि कैविटी या सड़न के कारण खराब हो रहे दांतों में समस्या को दूर करने या खोखले दांतों को भरने के लिए किए जाने वाले उपचार जैसे फिलिंग या रूट कैनाल के दौरान दांतों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है. लेकिन ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं की एक बार रूट कैनाल होने के बाद लगभग हमेशा ही दांतों को स्वस्थ व सुरक्षित बनाए रखने के लिए विशेष ध्यान रखने या सावधानियों को बरतने की जरूरत होती है.
जानकार मानते हैं कि ऐसा ना करने पर ना सिर्फ प्रभावित स्थान पर दर्द व सूजन के बढ़ने की आशंका बढ़ सकती हैं वहीं ट्रीटमेंट हुए दांत में क्रैक आने या उनके टूटने की आशंका भी बढ़ जाती है. जो पीड़ित के लिए ना सिर्फ भोजन करने में बल्कि सामान्य रूप से भी कई परेशानियों का कारण बन सकती हैं.
क्या है रूट कैनाल ट्रीटमेंट
बैंगलोर की दांत रोग विशेषज्ञ डॉ अपूर्वी जोशी बताती हैं कि दांतों में सड़न के बढ़ने तथा उनके कारण दांत के खराब होने पर रूट कैनाल ट्रीटमेंट किया जाता है.
वह बताती हैं कि जब दांतों की कैविटी या उनके कारण होने वाली सड़न दांत की अंदरूनी सतह तक पहुंचने लगती है तो ना सिर्फ खराब दांत में बल्कि उसके आसपास तीव्र दर्द, सूजन तथा सेंसेटिविटी काफी ज्यादा बढ़ने लगती है. वहीं ऐसे में दांतों व मसूडों में गंभीर संक्रमण होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इस समस्या के इलाज के लिए प्रभावित दांत में रूट कैनाल किया जाता है.
इस प्रक्रिया में प्रभावित दांत के आसपास के हिस्से को सुन्न करके दांत में ड्रिल की मदद से कैनाल को खोल दिया जाता है. जिसके बाद दांत के अंदरूनी हिस्से में क्षतिग्रस्त टिशू को साफ करके दांतों की कैविटी को हटाया जाता है और खोखले दांत में एंटीबायोटिक भर कर उसकी फिलिंग की जाती है. जिससे संक्रमण ना हो. दांतों में समस्या के आधार पर यह प्रक्रिया एक से ज्यादा सीटींग में पूरी की जाती है. रूट कैनाल के बाद दांतों में क्रैक आने या उनके बाहरी हिस्से के टूटने की आशंका रहती है इसलिए इसके बाद दांत पर कैप या क्राउन लगाया जाता है. जिससे प्रभावित दांत सुरक्षित रहें और टूटे नहीं.
क्यों व कैसे बढ़ सकती हैं परेशानियां
डॉ अपूर्वी जोशी बताती हैं कि रूट कैनाल में प्रभावित दांत की जड़ ही नहीं बल्कि दांत के आसपास के हिस्से भी प्रभावित होते है. इस प्रक्रिया के बाद ना सिर्फ प्रभावित दांत बल्कि उसके आसपास भी मसूड़ों में दर्द और सूजन महसूस होती है. जिसके लिए चिकित्सक कुछ दवाइयां देते हैं और साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखने की सलाह भी देते हैं, जिससे ट्रीटमेंट हुए दांत पर जोर ना पड़े. जैसे खाने में सिर्फ नरम चीजें खाएं, दांतों को चिकित्सक द्वारा बताए गए तरीके व पेस्ट से ध्यान से ब्रश करें, आदि.
सभी सावधानियों व इलाज का पालन करने से सामान्य तौर पर दर्द और सूजन एक या दो दिन में ठीक हो जाता है. लेकिन कई बार अलग-अलग कारणों से दांतों व मसूड़ों में दर्द व सूजन समस्या निर्धारित अवधि के बाद भी बनी रह सकती है.
- वह बताती हैं कि अगर यह दर्द एक-दो दिन में ठीक ना हो तो इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे..
- रूट कैनाल ट्रीटमेंट का सही तरह से ना होना .
- रूट कैनाल के बाद दांतों की स्वच्छता का ध्यान ना रखने तथा दांतों के बीच भोजन फंसने के कारण मसूड़ों में सूजन आना और संक्रमण होना.
- ध्यान से ब्रश ना करना और कठोर भोजन करना.
- अपनी जीभ या हाथ से बार बार रूट कैनाल वाले हिस्से को छूना .
- दांतों में पेरियोडोंटाइटिस होना, आदि.
सावधानी जरूरी
वह बताती हैं कि ना सिर्फ रूट कैनाल के तत्काल बाद बल्कि एक बार रूट कैनाल होने के बाद हमेशा ही ट्रीटमेंट हुए दांत की विशेष देखभाल की जरूरत होती है. अन्यथा उस दांत के टूटने या उसमें संक्रमण होने की आशंका हो सकती है. इसके लिए कुछ सावधानियों का पालन करना लाभकारी हो सकता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- ट्रीटमेंट हुए दांत से ड्राई फ्रूट्स, कड़क व चिपचिपे आहार, ज्यादा गरम और खट्टे फल का सेवन करने से बचें.
- रूट कैनाल के बाद मुंह को बैक्टीरिया मुक्त रखने की जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती हैं इसके लिए इस प्रक्रिया के बाद ओरल हेल्थ पर ज्यादा ध्यान दें. कम से कम दिन में दो बार नरम ब्रश से दांतों की सफाई करें, डेंटल फ्लॉस करें तथा कुछ भी खाने के बाद कुल्ला जरूर करें.
- रूट कैनाल के बाद हाथ या जीभ से बार-बार ट्रीटमेंट हुए दांत को छूने से बचें.
- बिना अल्कोहल वाले माउथवॉश का उपयोग करें. जिससे मुंह में बैक्टीरिया ना पनप पाए.
- दैनिक आहार में ताजे फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं. लेकिन ज्यादा मीठे और खट्टे फलों व अन्य खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें.
- शरीर को हाइड्रेट रखें.
- धूम्रपान और शराब का सेवन सीमित करें.
- ट्रीटमेंट हुए दांत पर कैप जरूर पहने.
डॉ अपूर्वी जोशी बताती हैं कि रूट कैनाल के बाद ट्रीटमेंट हुए दांत में या उसके आसपास ज्यादा दर्द, सूजन, फोड़ा या किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण नजर आने पर चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है. वह बताती हैं कि ना सिर्फ ट्रीटमेंट के बाद बल्कि सामान्य अवस्था में भी दांतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए मुंह व दांतों की स्वच्छता का ध्यान रखना , पौष्टिक आहार का सेवन करना तथा दांतों का नियमित डेंटल चेक-अप करवाना जरूरी होता है.