पटना: राजधानी पटना में शनिवार को मेडिवर्सल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में डायलिसिस कर रहे किडनी के मरीजों के साथ नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञों का सम्मेलन आयोजित किया गया. इस दौरान मरीजों ने अपने डायलिसिस के अनुभव को साझा किया और चिकित्सकों ने मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के तरफ प्रेरित किया. आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ अजय कुमार ने इस दौरान अपने 20 किडनी ट्रांसप्लांट के अनुभव को भी साझा किया.
किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प: डॉ अजय कुमार ने बताया कि किडनी शरीर का पंप हाउस है जो गंदगी को बाहर फेंकती है. जब यह चंपा हाउस काम करना बंद कर देता है तो बाहरी संप हाउस की मशीन के माध्यम से मदद लेनी पड़ती है, लेकिन यह स्थाई व्यवस्था नहीं है. स्थाई व्यवस्था के तहत किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है. इसके संबंध में लोगों के मन में कई भ्रांतियां हैं जो दूर करनी जरूरी है और इसी के दिशा में वह लोग प्रयासरत हैं.
"मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीजों को किडनी का विशेष खयाल करना चाहिए. 30 वर्ष से ऊपर के हर व्यक्ति को साल में एक बार कम से कम जरूर किडनी का जांच करना चाहिए और यह बहुत महंगा भी नहीं है."-डॉ. अजय कुमार, नेफ्रोलॉजिस्ट
किडनी की बीमारी के लक्षण: मेडीवर्सल अस्पताल के आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ऋषि किशोर ने बताया कि किसी व्यक्ति को पेशाब करते समय जलन होना, भूख में कमी,चेहरे और शरीर पर सूजन, शारीरिक कमजोरी,त्वचा की खुजली, सिरदर्द, रक्ताल्पता, बार-बार और अत्यधिक पेशाब आना, विशेषकर रात के समय, पेशाब में खून आना, भूरा या काफी रंग का , पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो तो देर ना करें, यथाशीघ्र चिकित्सक से संपर्क करें.
"किडनी फेलियर की स्थिति में डायलिसिस की व्यवस्था पड़ती है. जो लोग बहुत अधेड़ उम्र के हैं अथवा हृदय रोग की गंभीर बीमारी से ग्रसित है उनके लिए डायलिसिस सही है. लेकिन जो लोग नौजवान है किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं उनके लिए किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प है."-डॉ. ऋषि किशोर, मेडीवर्सल अस्पताल
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