शहडोल। डॉ.अंकित नामदेव के मुताबिक मौसम में बदलाव आ रहा है. इसे संस्कृत में आयुर्वेद में रितु संधि के नाम से डिस्क्रिप्शन मिलता है. रितु संधि का मतलब होता है जब पुरानी रितु अपना स्वभाव धीरे-धीरे छोड़ती है और नई रितु धीरे-धीरे अपना स्वभाव प्रकट करने लग जाती है. इसके बीच का जो ट्रांजिशनल पीरियड होता है, इसे ऋतु संधि कहा जाता है. इस ऋतु संधि में दोनों ऋतुओं के लक्षण मिलते हैं. जैसे दिन में गर्मी होना. लेकिन ठंड ने अभी अपना असर छोड़ा नहीं है.
सर्दी खांसी की समस्या से ऐसे बचें
रात का टेंपरेचर ठंडा है. इस बीच में कई बार बारिश भी हो जाती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक होती है. इस ऋतु संधि में व्यक्ति का जो शरीर बल होता है, या रोगी का जो रोगी बाल होता है, वह काफी कम हो जाता है. क्योंकि बॉडी अडॉप्ट नहीं कर पाती है. इस पार्टिकुलर कंडीशन में लोग बीमार पड़ते हैं. सामान्य तौर पर इम्यून रिलेटेड प्रॉब्लम होती हैं. जैसे सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार और न खाने में मन लगता है. अरुचि की समस्याएं होने लग जाती हैं. ऐसे मौसम में संतुलन बनाने के लिए हमें भी मिक्सड ऋतुचर्या अपनानी चाहिए. मतलब ठंड में जो भी सावधानी हम अपनाते हैं, उनमें उन सावधानियां को अपनाते हुए धीरे-धीरे बसंत की सावधानी और खान-पान की सावधानी अपनानी चाहिए.
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तिल-गुड़ का इस्तेमाल करें
उदाहरण के तौर पर दिन में अगर इस समय ठंडी ज्यादा नहीं है, तो गर्म कपड़े कम या पतले पहन सकते हैं. लेकिन रात में ठंड है तो उतना ही बचाव करना चाहिए. बात करें खान-पान की तो जैसे-जैसे बसंत बढ़ने लग जाता है तो लोगों का पाचक अग्नि उस हिसाब से कम होने लग जाता है. ऐसे में संतुलित भोजन करें. अनावश्यक चीजें ना खाएं और पौष्टिक भोजन करें. कोशिश करें कि अपने भोजन में ऐसी चीज को शामिल करें जो कि स्वभाव में थोड़ी सी गर्म हों, जैसे कि तिल हो गया, थोड़ा गुड़ हो. चाय पीते हैं तो तुलसी अदरक या सोंठ डालकर पीएं. गर्म और सुपाच्य भोजन करें.